- ‘गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक नागमट्ट प्रथम (Nagamatt I) (730-756 ईस्वी) था
- राष्ट्रकूट वंश की स्थापना 736 ई. में दंतिदुर्ग (dentition) ने की। उस मान्यखेट को अपनी राजधानी बनाया।
- दंतिदुर्ग के संबंध में कहा जाता है कि उज्जयिनी में उस हिरण्यगर्भ (महादान) यज्ञ (Hiranyagarbha (Mahadan) Yagya) करवाया था।
- राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष I का (Of Amoghavarsha I) जन्म 800 ई. में नर्मदा नदी के किनारे श्रीभावन नामक स्थान पर सैनिक छावनी में हुआ था
- गुर्जर जाति का प्रथम उल्लेख पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल (कर्नाटक) लेख (Aihole (Karnataka) Articles) में हुआ है।
- ऐहोल अभिलेख (Aihole Records) 634 ई. में प्राप्त हुआ है। यह संस्कृत काव्य लिखा है।
- ऐहोल अभिलेख जैन कवि रवि कीर्ति (Ravi Kirti) द्वारा रचित है।
- नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची शामिल किया है।
- नालंदा विश्वविद्यालय बख्तियार खिलजी (Bakhtiyar Khilji) के अधीन तुर्क मुस्लि आक्रमणकारियों द्वारा 1193 ई. में नष्ट किया गया था।
- विक्रमशिला (Vikramshila) के प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना बंगाल के पाल वंशीय शासक धर्मपाल (770-810 ई.) द्वारा की गई थ मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो में चंदेल राजाओं (Chandela kings) द्वारा निर्मित मंदिर आज भी चंदेल स्थापत्य की उत्कृष्ट का बखान कर रहे हैं।
- खजुराहो के मंदिरों में कंदरिया महादेव (Kandariya Mahadev) मंदिर सर्वोत्तम है। – यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल म. प्र. ऐतिहासिक स्थलों में खजुराहो का मंदिर, भीमबेटका की गुफाएं (Khajuraho Temple, Bhimbetka Caves) एवं सांची का स्तूप शामिल हैं।
- खजुराहो (Khajuraho) मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।
- दशावतार मंदिर देवगढ़ (ललितपुर) (Dashavatara Temple Deogarh (Lalitpur)) में स्थित है तथा यह मंदिर गुप्तकालीन है।
- माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) संगमरमर के बने हैं, जिनका निर्माण गुजरात के चालुक्य (सोलंकी) शासक भीमदेव प्रथम (Bhimdev I) के सामंत विमलशाह ने करवाया था।
- एलीफैंटा के प्रसिद्ध गुफा मंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूट शासकों द्वारा कराया गया था।
- एलीफैटा से कुल सात गुफाएं मिली हैं, जिसमें से पांच गुफा- मंदिर प्राप्त हुए हैं जिनमें हिंदू धर्म (मुख्यतः शिव) (Hinduism (mainly Shiva) से संबंधित मूर्तियां हैं। साथ ही यहां दो बौद्ध गुफाएं भी हैं।
- एलोरा का कैलाश मंदिर (Kailash Temple) शैलकृत स्थापत्य का उदाहरण है।
- द्रविड़ शैली (Dravidian style) के विश्व प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था।
गुप्तकालीन प्रमुख मंदिर
(Major Gupta Temple)
विष्णु मंदिर | तिगवा (मध्य प्रदेश) |
शिव मंदिर | भूमरा (मध्य प्रदेश) |
पार्वती मंदिर | नचना कुठार (मध्य प्रदेश) |
दशावतार मंदिर | देवगढ़ (उत्तर प्रदेश) |
शिव मंदिर | खोह (मध्य प्रदेश) |
भीतर गांव मंदिर | कानपुर (उत्तर प्रदेश) |
- अजंता की गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण ‘मरणासन्न राजकुमारी (‘dying princess) का चित्र एलोरा में प्रशंसनीय है।
- पुरी स्थित कोणार्क का विशाल सूर्यदेव का मंदिर नरसिंह देववर्मन प्रथम चोडगंग (Temple of Sun God Narasimha Devvarman I Chodaganga) ने बनवाया था।
- कोणार्क के सूर्य मंदिर को ‘काला पैगोडा‘ (black pagoda) भी कहा जाता है।
- मोढेरा का सूर्य मंदिर (Sun Temple of Modhera) गुजरात में स्थित है। इसका निर्माण सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा कराया गया था।
- लिंगराज मंदिर (Lingaraj Temple) ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित है। इस मंदिर की शैली नागर है।
- जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है।
- यह मंदिर नागर शैली में बना है।
- अंकोरवाट मंदिर (Angkorwat Temple) समूह का निर्माण कंपूचिया (वर्तमान कम्बोडिया) के शासक सूर्यवर्मन II द्वारा 12वीं शताब्दी (12th century by II) के प्रारंभ में अपनी राजधानी यशोधरपुर (वर्तमान अंगकोर) में कराया गया था।
- बोरोबुदुर (Borobudur) का प्रख्यात स्तूप इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित है। बोरोबुदुर एक यूनेस्को द्वारा मान्य ‘विश्व विरासत स्थल’ (World Heritage Site) है।
- बोरोबुदुर एक यूनेस्को द्वारा मान्य ‘विश्व विरासत स्थल‘ (World Heritage Site) है।
- पाण्ड्यों (Pandyas) के राज्यकाल में द्रविड़ शैली में मंदिरों का निर्माण हुआ।
- महाबलिपुरम (Mahabalipuram) में रथ मंदिरों का निर्माण पल्लव शासकों द्वारा करवाया गया था।
- पल्लवकालीन मामल्ल शैली (case style) में बने रथों या एकाश्मक मंदिरों में द्रौपदी रथ सबसे छोटा है।
- संगम युग में दक्षिण भारत में पाण्ड्य राजाओं के संरक्षण में तीन संगम आयोजित (Three Sangams were organized under the patronage of the Pandya kings.) किए गए थे।
संगम | स्थान | अध्यक्षता |
प्रथम संगम | मदुरई | अगस्त्य ऋषि |
द्वितीय संगम | कपाटपुरम (अलैवाई) | अगस्त्य ऋषि तथा तोल्कापियर |
तृतीय संगम | मदुरई | नक्कीरर |
- दक्षिण भारत के आर्यकरण का श्रेय महर्षि अगस्त्य (Maharishi Agastya) को दिया जाता है।
- महर्षि अगस्त्य को तमिल साहित्य के जनक (father of literature) के रूप में जाना जाता है।
- ‘शिलप्पादिकारम‘ (‘Shilappadikaram’) का लेखक इलंगो आडिगल था।
- संगम साहित्य में केवल चोल, चेर एवं पाण्ड्य (Chola, Chera and Pandya) राजाओं के उद्भव और विकास का विवरण प्राप्त होता है।
- कुरल तमिल साहित्य का बाइबिल (Bible of Tamil Literature) तथा लघुवेद (Laghuveda) माना जाता है।
- इसे मुप्पाल (Muppal) भी कहा जाता है।
- इसकी रचना सुप्रसिद्ध कवि तिरुवल्लुवर (thiruvalluvar) ने की थी।
- चोल स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने तंजौर के शैव मंदिर,( Shaiva Temples of Tanjore) जो राजराजेश्वर या वृहदीश्वर (Rajarajeshwar or Brihadishwar) नाम से प्रसिद्ध हैं, का निर्माण राजराज प्रथम के काल में हुआ था।
- चोलों की राजधानी तंजौर (Tanjore) थी। इसके अतिरिक्त गंगैकोंडचोलपुरम भी चोलों की राजधानी बनी थी।
- संगम काल में चोलों की राजधानी उरैयूर (Uraiyur) थी।
- परांतक प्रथम ने मदुरा के पाण्ड्य राजा को हराकर ‘मदुरैकोंड उपाधि (Maduraikonda title) धारण की।
- कुलोत्तुंग प्रथम (Kulottunga I) के समय में श्रीलंका के राजा विजयबाहु ने अपनी स्वतंत्रता घोषित की।
- चोल शासक कुलोत्तुंग-1 के शासनकाल में 1077 ई. में 72 सौदागरों का एक चोल दूत मंडल चीन (A Chola embassy of 72 merchants to China) भेजा गया था।
- ‘शिव की ‘दक्षिणामूर्ति‘ (‘Dakshinamurthy’) प्रतिमा उन्हें गुरु (शिक्षक) के रूप में प्रदर्शित करती है।
- ‘चालुक्यों के शासनकाल में प्रायः महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त (appointing women to high positions) किया जाता था।
- कम्बन ने 12वीं शती ई. में तमिल रामायणम या रामावतारम (Tamil Ramayanam or Ramavataram) की रचना तमिल भाषा में की थी।
- राष्ट्रकूट वंश की राजधानी मान्यखेट थी।
- होयसलों की राजधानी द्वारसमुद्र (dwarsamudra) थी।
- हर्ष को संस्कृत के तीन नाटक ग्रंथों का रचयिता माना जाता है- प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानंद ।
- जयदेव ने हर्ष को भास, कालिदास, बाण, मयूर आदि कवियों की समकक्षता में रखते हुए उसे कविताकामिनी का साक्षात हर्ष (Kavitakamini’s real joy) निरूपित किया है।
प्रमुख लेखक एवं उनकी रचनाएं
लेखक | रचनाएं |
सर्ववर्मा | कातंत्र |
भारवि | किरातार्जुनीयम् |
राजशेखर | कर्पूरमंजरी |
चंदबरदाई | पृथ्वीराज रासो |
विशाखदत्त | देवी चंद्रगुप्तम |
जयानक | पृथ्वीराज विजय |
सारंगदेव | हमीर रासो |
विल्हण | विक्रमांकदेवचरित |
- पालवंशी शासक देवपाल (Devpal) बौद्ध मतानुयायी था। लेखों में उसे ‘परम सौगत’ कहा गया है।
- देवपाल (Devpal) ने जावा के शैलेंद्रवंशी शासक बालपुत्रदेव के अनुरोध पर उसे नालंदा में एक बौद्ध विहार बनवाने के लिए पांच गांव दान में दिए थे।
- जेजाकभुक्ति (jejakabhukti) बुंदेलखंड का प्राचीन नाम था। धर्मपाल ने विक्रमशिला तथा सोमपुरी (पहाड़पुर ) में प्रसिद्ध विहारों की स्थापना की थी।
- प्रतिहार वंश का महानतम शासक मिहिरभोज (Mihirbhoj) था। इसका शासनकाल 836-885 ई. था।
- विज्ञानेश्वर, हिमाद्रि एवं जीमूतवाहन मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता (jurist) थे।
- विज्ञानेश्वर (Vigyaneshwar) ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर ‘मिताक्षरा‘ (Mitakshara’) शीर्षक से टीकाग्रंथ लिखा।
- जीमूतवाहन ने ‘दायभाग‘ (‘Dayabhaag’) नामक ग्रंथ की रचना की।
- भोजशाला मंदिर (Bhojshala Temple) म.प्र. के धार जिले में स्थित है।
- यहां पर वाग्देवी (भगवती सरस्वती देवी) (Vagdevi (Goddess Saraswati Devi)) अधिष्ठात्री (स्थापित) हैं।
- रुद्रमा देवी (Rudrama Devi) का संबंध जिस वंश से था, वह काकतीय था।
- काकतीय साम्राज्य की राजधानी वारंगल (warangal) थी।