- पशुपालन का प्रारंभ (start of animal husbandry) मध्य पाषाण काल में हुआ।
- पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (Adamgarh)(होशंगाबाद, म.प्र.) तथा बागोर (Bagore ) (भीलवाड़ा, राजस्थान) से प्राप्त हुए।
- मध्य पाषाण कालीन महदहा (Mahdaha ) (प्रतापगढ़, उ. प्र.) से हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए।
- भारत में मानव का सर्वप्रथम साक्ष्य (first evidence of humans ) मध्य प्रदेश के पश्चिमी नर्मदा क्षेत्र से मिला है।
- नर्मदा क्षेत्र की खोज वर्ष 1982 (Year 1982) में की गई थी।
- मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल बुर्जहोम (dog skeleton burzahom) (जम्मू-कश्मीर) से प्राप्त हुआ।
- गर्त आवास के साक्ष्य (Evidence of pit dwelling ) भी बुर्जहोम से प्राप्त हुए।
- बुर्जहोम (Burzholm) पुरास्थल की खोज वर्ष 1935 में डी टेरा एवं पीटरसन ने की थी।
- ‘सर्वप्रथम खाद्यान्नों का उत्पादन (production of food grains) नवपाषाण काल में प्रारंभ हुआ।
- ब्लूचिस्तान के कच्छ मैदान स्थित मेहरगढ़ (Mehrgarh) से सर्वप्रथम प्राचीनतम स्थायी जीवन के प्रमाण मिले।
- चालकोलिथिक युग (Chalcolithic Age ) को ताम्र पाषाण युग के नाम से भी जाना जाता है।
- ‘नवदाटोली, (‘Navdatoli)मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक पुरास्थल है, जो खारगोन जिले में स्थित है। नवदाटोली का उत्खनन एच.डी. सांकलिया (HD Sankaliya )ने कराया था।
- नवपाषाण कालीन पुरास्थल से ‘राख के टीले‘(‘Mounds of Ashes’) कर्नाटक में मैसूर के पास वेल्लारी जनपद में स्थित संगनकल्लू (Sangankallu ) नामक स्थान से प्राप्त हुए।
- गेरूवर्णी गैरिक मृद्भांड पात्र (OCP) के साक्ष्य हस्तिनापुर (Hastinapur ) एवं अतरंजीखेड़ा (Ataranjikheda )से प्राप्त हुए हैं।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India )संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक विभाग है।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं उत्खननकर्ता/ खोजकर्ता
(Major sites and excavators/discoverers of Indus Valley Civilization)
प्रमुख स्थल (Major Sites) | उत्खननकर्ता/खोजकर्ता (Excavator/Explorer) | वर्ष (Year) |
हड़प्पा | दयाराम साहनी | 1921 |
मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी | 1922 |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | 1953-55 |
कालीबंगा | बी.बी. लाल | 1961-69 |
रंगपुर | एम. एस. वत्स | 1934-35 |
सुरकोटदा | जे. पी. जोशी | 1964 |
बनावली | आर. एस. विष्ट | 1974-77 |
आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 |
कोटदीजी | फजल अहमद खां | 1957-58 |
सुत्कानडोर | ऑरेल स्टाइन | 1927 |
माण्डा | जे.पी. जोशी | 1982 |
बालाकोट | जॉर्ज एफ. डेल्स | 1973-76 |
धौलावीरा | जे.पी. जोशी | 1967-68 |
मिताथल | सूरजभान | 1968 |
राखीगढ़ी | सूरजभान | 1969 |
- भारत में सर्वप्रथम 1861 ई. में एलेक्जेंडर कनिंघम (Alexander Cunningham in 1861 AD )को पुरातत्व सर्वेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।
- लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon )के समय वर्ष 1901 में इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रूप में केंद्रीकृत कर जॉन मार्शल (John Marshall ) को इसका प्रथम महानिदेशक बनाया गया।
- राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, जिसका नाम बदलकर ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय‘(‘Indira Gandhi National Human Museum’) कर दिया गया है, भोपाल (म.प्र.) में स्थित है।
- सैंधव सभ्यता (Indus Valley Civilization) आद्य ऐतिहासिक काल की सभ्यता है।
- पुरातात्विक साक्ष्यों में अलग-अलग कालों में पाए गए मृद्मांड (clay soil )ही सिंधु घाटी सभ्यता को आर्यों से पूर्व का सिद्ध करते हैं।
- काले रंग की आकृतियों से चित्रित लाल मृद्भांड (Painted Red Ware)जहां हड़प्पा सभ्यता की विशेषता हैं, वहीं धूसर एवं चित्रित घूसर मृद्मांड (gray and painted gray clay) (जो बाद के हैं) आर्यों से संबंधित माने गए हैं।
हड़प्पा कालीन नदियों के किनारे बसे नगर
(Harappan period cities situated on the banks of rivers)
नगर (City) | नदी / सागर तट (River/Sea Shore) |
हड़प्पा | रावी |
मोहनजोदड़ो | सिंधु |
रोपड़ | सतलज |
कालीबंगा | घग्घर |
लोथल | भोगवा |
सुत्कानडोर | दाश्त |
सोत्काकोह | शादीकौर |
आलमगीरपुर | हिन्डन |
रंगपुर | भादर |
कोटदीजी | सिंधु |
कुणाल | सरस्वती |
चन्हूदड़ो | सिंधु |
बनावली | सरस्वती |
माण्डा | चिनाव |
भगवानपुरा | सरस्वती |
दैमाबाद | प्रवरा |
आमरी | सिंधु |
राखीगढ़ी | घग्घर |
- सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization ) नगरीय थी, जबकि वैदिक सभ्यता (Vedic Civilization)ग्रामीण थी।
- पुरातात्विक खुदाई हड़प्पा संस्कृति (Harappan culture) की जानकारी का प्रमुख स्रोत है।
- ‘हड़प्पावासियों को तांबा, कांसा, स्वर्ण और चांदी (copper, bronze, gold and silver) की जानकारी थी।
- प्रारंभिक हड़प्पा सभ्यता में पैर से चालित चाक का प्रयोग (use of foot wheel) किया जाता था।
- परिपक्व हड़प्पा के दौर में हाथ से चालित चाकों का (use of hand wheel) प्रयोग किया जाने लगा था।
- मूर्ति पूजा का प्रारंभ (Beginning of idol worship) पूर्व आर्य काल से माना जाता है।
- हड़प्पा संस्कृति की मुहरों एवं टेराकोटा (seals and terracotta) कलाकृतियों में गाय का चित्रण नहीं मिलता जबकि हाथी, गैंडा, बाघ, हिरण, भेड़ा आदि का अंकन मिलता है।
- हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में से खंभात की खाड़ी के निकट स्थित लोथल से गोदीबाड़ा के साक्ष्य (Evidence of Dockyard from Lothal) मिले हैं।
- राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य (evidence of plowed fields) मिले हैं।
- गुजरात के धौलावीरा (Dholavira) से हड़प्पा लिपि के बड़े आकार के 10 चिह्नों वाला एक शिलालेख (an inscription with 10 symbols)मिला है।
- हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित बनावली (Bnawali) से पकी मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति मिली है।
- सैंधव सभ्यता के महान स्नानागार के साक्ष्य मोहनजोदड़ो (Evidence of the Great Bath Mohenjodaro) से प्राप्त हुए हैं।
- सैंधव सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता (bronze age civilization) थी तथा यहां के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
- राखीगढ़ी (Rakhigarhi) हरियाणा के हिसार जिले में घग्घर नदी (Ghaggar River) पर स्थित है।
- राखीगढ़ी स्थल की खोज वर्ष 1969 में सूरजमान (Surajman in the year 1969) ने की थी।
- मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) तथा चन्हूदड़ो (Chanhudaro) दोनों सिंध प्रांत में तथा सुरकोटदा (surkotada) गुजरात में स्थित हैं।
- रंगपुर (Rangpur) गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप में भादर नदी (Bhadar River)के पास स्थित है।
- रंगपुर (Rangpur) गुजरात के सौराष्ट्र (Saurashtra) क्षेत्र में है।
- रंगपुर में धान की भूसी के ढेर (paddy straw heap) मिले हैं।
- रंगपुर की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव (A. Ranganatha Rao) द्वारा की गई थी।
- रंगपुर से प्राक्– हड़प्पा, हड़प्पा और उत्तर– हड़प्पाकालीन सम्यता के साक्ष्य (Evidence of Pre-Harappan, Harappan and Post-Harappan civilization) मिले हैं। रंगपुर से कच्ची ईंट के दुर्ग, नालिया, मृदभांड मिले हैं।
- दधेरी (Dadheri) एक परवर्ती पुरास्थल है, जो पंजाब प्रांत के लुधियाना जिले में गोविंदगढ़ के पास स्थित है।
- सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में झेलम नदी के पूर्वी तट से दक्षिण में यमुना की सहायक नदी हिंडन के तट तक (From the east bank of the Jhelum river in the north to the banks of the Hindon river, a tributary of the Yamuna, in the south) माना जाता है।
- सिंधु घाटी के लोग पशुपति शिव (Pashupati Shiva) की पूजा भी करते थे
- इसका प्रमाण मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर (seal) है, जिस पर योगी की आकृति बनी है।
- उस योगी के दाई ओर बाघ (tiger on right side of yogi) और हाथी तथा बाई ओर गैंडा एवं भैंसा चित्रित किए गए हैं।
- योगी के सिर पर एक त्रिशूल जैसा आभूषण (trident ornament) है तथा इसके तीन मुख हैं।
- मार्शल महोदय ने इसे रूद्र शिव से संबंधित किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देश पर वर्ष 1921 में दयाराम साहनी (Dayaram Sahni in 1921) ने पंजाब (पाकिस्तान) के तत्कालीन मांटगोमरी सम्प्रति शाहीवाल जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित हड़प्पा के टीले की खुदाई की
- वर्ष 1922 में राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerjee in the year 1922) ने सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ो के टीलों का पता लगाया।
- सर्वप्रथम मानव द्वारा तांबा धातु का प्रयोग (use of copper metal) किया गया।
- वस्त्रों के लिए कपास (Cotton) का उत्पादन सर्वप्रथम भारत में किया गया।
- सिंधु घाटी (Indus Valley) में कपास के उत्पादन का प्रमाण मिला।
- मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) (वर्तमान पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित) वे उत्खनन से कपास के सूत की प्राप्ति की गई थी। मोहनजोदड़ो से कूबड़ वाले बैल (ककुदमान वृषभ) की आकृति वाली मुहर प्राप्त हुई है।
- मोहनजोदड़ो से कूबड़ वाले बैल (Humped bull) (ककुदमान वृषभ) की आकृति वाली मुहर प्राप्त हुई है।
- सिंधु सभ्यता की मुहरों पर सर्वाधिक अंकन एक श्रृंगी बैलों (Horned bulls) का है उसके बाद कूबड़ वाले बैल(Humped bull) का है।
- कालीबंगा के मृण-पट्टिका पर एक ओर दोहरे सींग वाले देवता (double horned god) का अंकन है।
- दूसरी ओर बकरी को दिखाया गया है, जिसे एक पुरुष ला रहा (bringing a man) है।
- सिधु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
- मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी (Nile River) की द्रोणि में हुआ।
- मिस्र को नील नदी का उपहार (gift of the river nile) कहा जाता है, क्योंकि इस नदी के अभाव में यह भू-भाग रेगिस्तान होता ।
- सुमेरिया सभ्यता के लोग प्राचीन विश्व के प्रथम लिपि – आविष्कर्ता (First Script – Inventor) थे।
- सुमेरिया की क्यूनीफार्म लिपि को सामान्यतः प्राचीनतम लिपि (oldest script) माना जाता है।
- सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी। यह लिपि दाएं से बाएं ओर लिखी जाती थी।
प्रमुख धातु एवं प्राप्ति स्थल
(Major metals and mining sites)
कच्चा माल (raw material) | स्थल (venue) |
तांबा | खेतड़ी (राजस्थान) एवं ब्लूचिस्तान |
लाजवर्द | बदख्शां (अफगानिस्तान) |
फिरोजा, टिन | ईरान |
चांदी | राजस्थान की जावर एवं अजमेर खानों से, अफगानिस्तान एवं ईरान |
सीसा | अफगानिस्तान |
शिलाजीत | हिमालय |
गोमेद | गुजरात |
सिंधु घाटी की सभ्यता (Indus Valley Civilization)
- पशुपालन का प्रारंभ (start of animal husbandry) मध्य पाषाण काल में हुआ।
- पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (Adamgarh)(होशंगाबाद, म.प्र.) तथा बागोर (Bagore ) (भीलवाड़ा, राजस्थान) से प्राप्त हुए।
- मध्य पाषाण कालीन महदहा (Mahdaha ) (प्रतापगढ़, उ. प्र.) से हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए।
- भारत में मानव का सर्वप्रथम साक्ष्य (first evidence of humans ) मध्य प्रदेश के पश्चिमी नर्मदा क्षेत्र से मिला है।
- नर्मदा क्षेत्र की खोज वर्ष 1982 (Year 1982) में की गई थी।
- मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल बुर्जहोम (dog skeleton burzahom) (जम्मू-कश्मीर) से प्राप्त हुआ।
- गर्त आवास के साक्ष्य (Evidence of pit dwelling ) भी बुर्जहोम से प्राप्त हुए।
- बुर्जहोम (Burzholm) पुरास्थल की खोज वर्ष 1935 में डी टेरा एवं पीटरसन ने की थी।
- ‘सर्वप्रथम खाद्यान्नों का उत्पादन (production of food grains) नवपाषाण काल में प्रारंभ हुआ।
- ब्लूचिस्तान के कच्छ मैदान स्थित मेहरगढ़ (Mehrgarh) से सर्वप्रथम प्राचीनतम स्थायी जीवन के प्रमाण मिले।
- चालकोलिथिक युग (Chalcolithic Age ) को ताम्र पाषाण युग के नाम से भी जाना जाता है।
- ‘नवदाटोली, (‘Navdatoli)मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक पुरास्थल है, जो खारगोन जिले में स्थित है। नवदाटोली का उत्खनन एच.डी. सांकलिया (HD Sankaliya )ने कराया था।
- नवपाषाण कालीन पुरास्थल से ‘राख के टीले‘(‘Mounds of Ashes’) कर्नाटक में मैसूर के पास वेल्लारी जनपद में स्थित संगनकल्लू (Sangankallu ) नामक स्थान से प्राप्त हुए।
- गेरूवर्णी गैरिक मृद्भांड पात्र (OCP) के साक्ष्य हस्तिनापुर (Hastinapur ) एवं अतरंजीखेड़ा (Ataranjikheda )से प्राप्त हुए हैं।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India )संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक विभाग है।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं उत्खननकर्ता/ खोजकर्ता
(Major sites and excavators/discoverers of Indus Valley Civilization)
प्रमुख स्थल (Major Sites) | उत्खननकर्ता/खोजकर्ता (Excavator/Explorer) | वर्ष (Year) |
हड़प्पा | दयाराम साहनी | 1921 |
मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी | 1922 |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | 1953-55 |
कालीबंगा | बी.बी. लाल | 1961-69 |
रंगपुर | एम. एस. वत्स | 1934-35 |
सुरकोटदा | जे. पी. जोशी | 1964 |
बनावली | आर. एस. विष्ट | 1974-77 |
आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 |
कोटदीजी | फजल अहमद खां | 1957-58 |
सुत्कानडोर | ऑरेल स्टाइन | 1927 |
माण्डा | जे.पी. जोशी | 1982 |
बालाकोट | जॉर्ज एफ. डेल्स | 1973-76 |
धौलावीरा | जे.पी. जोशी | 1967-68 |
मिताथल | सूरजभान | 1968 |
राखीगढ़ी | सूरजभान | 1969 |
- भारत में सर्वप्रथम 1861 ई. में एलेक्जेंडर कनिंघम (Alexander Cunningham in 1861 AD )को पुरातत्व सर्वेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।
- लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon )के समय वर्ष 1901 में इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रूप में केंद्रीकृत कर जॉन मार्शल (John Marshall ) को इसका प्रथम महानिदेशक बनाया गया।
- राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, जिसका नाम बदलकर ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय‘(‘Indira Gandhi National Human Museum’) कर दिया गया है, भोपाल (म.प्र.) में स्थित है।
- सैंधव सभ्यता (Indus Valley Civilization) आद्य ऐतिहासिक काल की सभ्यता है।
- पुरातात्विक साक्ष्यों में अलग-अलग कालों में पाए गए मृद्मांड (clay soil )ही सिंधु घाटी सभ्यता को आर्यों से पूर्व का सिद्ध करते हैं।
- काले रंग की आकृतियों से चित्रित लाल मृद्भांड (Painted Red Ware)जहां हड़प्पा सभ्यता की विशेषता हैं, वहीं धूसर एवं चित्रित घूसर मृद्मांड (gray and painted gray clay) (जो बाद के हैं) आर्यों से संबंधित माने गए हैं।
हड़प्पा कालीन नदियों के किनारे बसे नगर
(Harappan period cities situated on the banks of rivers)
नगर (City) | नदी / सागर तट (River/Sea Shore) |
हड़प्पा | रावी |
मोहनजोदड़ो | सिंधु |
रोपड़ | सतलज |
कालीबंगा | घग्घर |
लोथल | भोगवा |
सुत्कानडोर | दाश्त |
सोत्काकोह | शादीकौर |
आलमगीरपुर | हिन्डन |
रंगपुर | भादर |
कोटदीजी | सिंधु |
कुणाल | सरस्वती |
चन्हूदड़ो | सिंधु |
बनावली | सरस्वती |
माण्डा | चिनाव |
भगवानपुरा | सरस्वती |
दैमाबाद | प्रवरा |
आमरी | सिंधु |
राखीगढ़ी | घग्घर |
- सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization ) नगरीय थी, जबकि वैदिक सभ्यता (Vedic Civilization)ग्रामीण थी।
- पुरातात्विक खुदाई हड़प्पा संस्कृति (Harappan culture) की जानकारी का प्रमुख स्रोत है।
- ‘हड़प्पावासियों को तांबा, कांसा, स्वर्ण और चांदी (copper, bronze, gold and silver) की जानकारी थी।
- प्रारंभिक हड़प्पा सभ्यता में पैर से चालित चाक का प्रयोग (use of foot wheel) किया जाता था।
- परिपक्व हड़प्पा के दौर में हाथ से चालित चाकों का (use of hand wheel) प्रयोग किया जाने लगा था।
- मूर्ति पूजा का प्रारंभ (Beginning of idol worship) पूर्व आर्य काल से माना जाता है।
- हड़प्पा संस्कृति की मुहरों एवं टेराकोटा (seals and terracotta) कलाकृतियों में गाय का चित्रण नहीं मिलता जबकि हाथी, गैंडा, बाघ, हिरण, भेड़ा आदि का अंकन मिलता है।
- हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में से खंभात की खाड़ी के निकट स्थित लोथल से गोदीबाड़ा के साक्ष्य (Evidence of Dockyard from Lothal) मिले हैं।
- राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य (evidence of plowed fields) मिले हैं।
- गुजरात के धौलावीरा (Dholavira) से हड़प्पा लिपि के बड़े आकार के 10 चिह्नों वाला एक शिलालेख (an inscription with 10 symbols)मिला है।
- हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित बनावली (Bnawali) से पकी मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति मिली है।
- सैंधव सभ्यता के महान स्नानागार के साक्ष्य मोहनजोदड़ो (Evidence of the Great Bath Mohenjodaro) से प्राप्त हुए हैं।
- सैंधव सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता (bronze age civilization) थी तथा यहां के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
- राखीगढ़ी (Rakhigarhi) हरियाणा के हिसार जिले में घग्घर नदी (Ghaggar River) पर स्थित है।
- राखीगढ़ी स्थल की खोज वर्ष 1969 में सूरजमान (Surajman in the year 1969) ने की थी।
- मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) तथा चन्हूदड़ो (Chanhudaro) दोनों सिंध प्रांत में तथा सुरकोटदा (surkotada) गुजरात में स्थित हैं।
- रंगपुर (Rangpur) गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप में भादर नदी (Bhadar River)के पास स्थित है।
- रंगपुर (Rangpur) गुजरात के सौराष्ट्र (Saurashtra) क्षेत्र में है।
- रंगपुर में धान की भूसी के ढेर (paddy straw heap) मिले हैं।
- रंगपुर की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव (A. Ranganatha Rao) द्वारा की गई थी।
- रंगपुर से प्राक्– हड़प्पा, हड़प्पा और उत्तर– हड़प्पाकालीन सम्यता के साक्ष्य (Evidence of Pre-Harappan, Harappan and Post-Harappan civilization) मिले हैं। रंगपुर से कच्ची ईंट के दुर्ग, नालिया, मृदभांड मिले हैं।
- दधेरी (Dadheri) एक परवर्ती पुरास्थल है, जो पंजाब प्रांत के लुधियाना जिले में गोविंदगढ़ के पास स्थित है।
- सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में झेलम नदी के पूर्वी तट से दक्षिण में यमुना की सहायक नदी हिंडन के तट तक (From the east bank of the Jhelum river in the north to the banks of the Hindon river, a tributary of the Yamuna, in the south) माना जाता है।
- सिंधु घाटी के लोग पशुपति शिव (Pashupati Shiva) की पूजा भी करते थे
- इसका प्रमाण मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर (seal) है, जिस पर योगी की आकृति बनी है।
- उस योगी के दाई ओर बाघ (tiger on right side of yogi) और हाथी तथा बाई ओर गैंडा एवं भैंसा चित्रित किए गए हैं।
- योगी के सिर पर एक त्रिशूल जैसा आभूषण (trident ornament) है तथा इसके तीन मुख हैं।
- मार्शल महोदय ने इसे रूद्र शिव से संबंधित किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देश पर वर्ष 1921 में दयाराम साहनी (Dayaram Sahni in 1921) ने पंजाब (पाकिस्तान) के तत्कालीन मांटगोमरी सम्प्रति शाहीवाल जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित हड़प्पा के टीले की खुदाई की
- वर्ष 1922 में राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerjee in the year 1922) ने सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ो के टीलों का पता लगाया।
- सर्वप्रथम मानव द्वारा तांबा धातु का प्रयोग (use of copper metal) किया गया।
- वस्त्रों के लिए कपास (Cotton) का उत्पादन सर्वप्रथम भारत में किया गया।
- सिंधु घाटी (Indus Valley) में कपास के उत्पादन का प्रमाण मिला।
- मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) (वर्तमान पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित) वे उत्खनन से कपास के सूत की प्राप्ति की गई थी। मोहनजोदड़ो से कूबड़ वाले बैल (ककुदमान वृषभ) की आकृति वाली मुहर प्राप्त हुई है।
- मोहनजोदड़ो से कूबड़ वाले बैल (Humped bull) (ककुदमान वृषभ) की आकृति वाली मुहर प्राप्त हुई है।
- सिंधु सभ्यता की मुहरों पर सर्वाधिक अंकन एक श्रृंगी बैलों (Horned bulls) का है उसके बाद कूबड़ वाले बैल(Humped bull) का है।
- कालीबंगा के मृण-पट्टिका पर एक ओर दोहरे सींग वाले देवता (double horned god) का अंकन है।
- दूसरी ओर बकरी को दिखाया गया है, जिसे एक पुरुष ला रहा (bringing a man) है।
- सिधु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
- मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी (Nile River) की द्रोणि में हुआ।
- मिस्र को नील नदी का उपहार (gift of the river nile) कहा जाता है, क्योंकि इस नदी के अभाव में यह भू-भाग रेगिस्तान होता ।
- सुमेरिया सभ्यता के लोग प्राचीन विश्व के प्रथम लिपि – आविष्कर्ता (First Script – Inventor) थे।
- सुमेरिया की क्यूनीफार्म लिपि को सामान्यतः प्राचीनतम लिपि (oldest script) माना जाता है।
- सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी। यह लिपि दाएं से बाएं ओर लिखी जाती थी।
प्रमुख धातु एवं प्राप्ति स्थल
(Major metals and mining sites)
कच्चा माल (raw material) | स्थल (venue) |
तांबा | खेतड़ी (राजस्थान) एवं ब्लूचिस्तान |
लाजवर्द | बदख्शां (अफगानिस्तान) |
फिरोजा, टिन | ईरान |
चांदी | राजस्थान की जावर एवं अजमेर खानों से, अफगानिस्तान एवं ईरान |
सीसा | अफगानिस्तान |
शिलाजीत | हिमालय |
गोमेद | गुजरात |