भारतीयअर्थव्यवस्था (1947 से 1991 तक)- Indian Economy (1947 to 1991)

स्वतंत्रता के पश्चात देश की प्रथम औद्योगिक नीति की घोषणा 6 अप्रैल, 1948(Declaration of First Industrial Policy April 6, 1948) को की गई थी।

भारत की दूसरी औद्योगिक नीति की घोषणा 30 अप्रैल, 1956 (Announcement April 30, 1956)को की गई थी।

भारत का सबसे बड़ा वस्त्र उद्योग केंद्र मुंबई(Center Mumbai) है।

रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) की दृष्टि से भारत आत्मनिर्भर नहीं है।

वस्तुएंस्थल
पर्ल फिशिंगतूतीकोरिन
ऑटोमोबाइल्सपुणे
पोत निर्माणमार्मुगोवा
इंजीनियरिंग सामानपिंजोर

द्वितीय पंचवर्षीय योजना(Second five year plan) में भिलाई इस्पात संयंत्र को तत्कालीन सोवियत संघ (USSR) के सहयोग से स्थापित किया गया था।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ही दुर्गापुर इस्पात कारखाना (पश्चिम बंगाल), ब्रिटेन के सहयोग से तथा राउरकेला स्टील प्लांट (ओडिशा), जर्मनी के सहयोग से स्थापित किए गए थे।

 मिलाई इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अवस्थित है।

भारतीय हीरा संस्थान (आईडीआई) सूरत में स्थापित किया गया है।

भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी।

वस्तुएंप्रसिद्ध स्थान
उर्वरक उत्पादनआंवला (बरेली)
रबरमोदी नगर (मेरठ)
पॉली फाइबरबाराबंकी
विस्फोटक कारखानाकानपुर

सूरत के निकट हजीरा में स्थित कृभको का हजीरा उर्वरक संयंत्र प्राकृतिक गैस(Fertilizer plant natural gas) पर आधारित है।

‘भारत एशिया का पहला देश है, जिसने कांडला में एशिया का पहला निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र वर्ष 1965(First Export Processing Zone Year 1965) में स्थापित किया।

भारत में सबसे महत्वपूर्ण लघु स्तर उद्योग हथकरघा(handloom) उद्योग है।

श्रम गहन उद्योग वे उद्योग हैं, जिनमें श्रम मूल्य का महत्व पूंजी मूल्य की तुलना में अधिक होता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग का कृषि के बाद दूसरा स्थान है।

यह भारत का सबसे प्राचीन उद्योग होने के साथ ही सबसे बड़ा संगठित एवं व्यापक उद्योग है।

कपड़ा उद्योग देश में कृषि के बाद रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र(Second largest sector providing employment) है।

जूट के सामान का केंद्र प. बंगाल का टीटागढ़ तथा रेशम वस्त्र उत्पादन का केंद्र कर्नाटक राज्य का बंगलुरू(Bangalore in the state of Karnataka) है।

ऊनी वस्त्र मिल (ऊन उद्योग) का लगभग 40% पंजाब में है। और पंजाब में अधिकांश ऊनी वस्त्र मिलें अमृतसर, गुरुदासपुर एवं लुधियाना(Amritsar, Gurudaspur and Ludhiana) में हैं।

उत्तर प्रदेश में स्थित भदोही (Bhadohi situated in Uttar Pradesh )जिला कालीन उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है।

भारत में प्रथम उद्योग जिसका विकास हुआ वह कुटीर उद्योग ही था।

अखबारी कागज के उत्पादन के लिए भारत नेशनल न्यूज प्रिंट एंड पेपर मिल्स लिमिटेड, नेपानगर(News Print & Paper Mills Limited, Nepanagar) प्रसिद्ध है, जो मध्य प्रदेश में है।

देवास करेंसी नोट की छपाई के लिए प्रसिद्ध है।

एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited – HAL) वायुयानों के उपकरणों का उत्पादन करती है।

नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO) वर्ष 1981 में संस्थापित किया गया था। यह खान मंत्रालय के अधीन एक

नवरत्न लोक उद्यम है।

योजना आयोग तथा पंचवर्षीय योजनाएं- Planning Commission and Five Year Plans

योजना आयोग- Planning Commission

योजना आयोग का गठन नियोगी समिति की अनुशंसा पर 15 मार्च, 1950 को मंत्रिमंडलीय प्रस्ताव के द्वारा किया गया था।

यह एक गैरसंवैधानिक संस्था थी।

 इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते थे।

यह एक सलाहकारी निकाय थी।

 योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू तथा प्रथम उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नंदा थे।

भारतीय आर्थिक नियोजन के उद्देश्य- Objectives of Indian Economic Planning

(i) आर्थिक विकास को बढ़ावा देना; 
(i) To promote economic development;
(ii) सामाजिक न्याय की स्थापना;  
(ii) establishment of social justice;
(iii) पूर्ण रोजगार की प्राप्तिः    
(iii) Attainment of full employment:
(iv) गरीबी निवारण एवं रोजगार अवसरों का सृजन; 
(iv) poverty alleviation and creation of employment opportunities;
(v) आत्मनिर्भरता की प्राप्ति; 
(v) Attainment of self-reliance;
(vi) निवेश एवं पूंजी निर्माण 
(vi) Investment and capital formation
(vii) आय वितरण में समानता एवं क्षेत्रीय विषमता में कमी और
(vii) Equality in income distribution and reduction in regional disparity and
(viii) समावेशी संवृद्धि एवं धारणीय विकास ।
(viii) Inclusive growth and sustainable development.  

पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि वर्ष 1951-56 थी, जो हैरड- मॉडल पर आधारित थी।

दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) नेहरू- महालनोबिस मॉडल आधारित थी।

कसरी पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों पर बल दिया गया था।

तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) मेंआत्मनिर्भरता स्वतःस्फूर्तिवान बनाने पर बल दिया गया।

1966-69 के काल को योजनावकाश (Plan Holiday) की संज्ञा दी गई।

नौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74) का मुख्य उद्देश्य था ‘स्थिरता के साथ आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता

पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन(‘Poverty eradication) के साथ आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना में वर्ष 1978-79 तक विदेशी सहायता को घटाकर शून्य कर देने का लक्ष्य रखा गया था।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना समय से एक वर्ष पूर्व वर्ष 1978 में ही समाप्त कर दी गई थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) का केंद्र बिंदु है- तीव्र, धारणीय और अधिक समावेशी विकास ।

12वीं योजना के मुख्य निर्धारित लक्ष्य थे GDP दर – 8%, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4%|

केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के माध्यम से नीति आयोग का गठन 1 जनवरी, 2015 को हुआ था।

नीति का पूर्ण रूप है– ‘नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया‘ (National Institution for Transforming India) अर्थात ‘राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान’। नीति आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।

वर्तमान में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव कुमार हैं।

पंचवर्षीय योजनाओं की विकास उपलब्धि- Development achievement of five year plans

क्र.सं.पंचवर्षीय योजनाएंलक्ष्यवास्तविक उपलब्धि
1.पहली योजना (1951-56) दूसरी योजना (1956-61)2.13.60
2.तीसरी योजना (1961-66)4.54.30
3.चौथी योजना (1969-74)5.62.80
4.पांचवीं योजना (1974-79)5.73.30
5.छठीं योजना (1980-85)4.44.80
6.सातवीं योजना (1985-90) आठवीं योजना (1992-97)5.25.70
7.नौवीं योजना (1997-02)5.06.00
8. दसवीं योजना (2002-07)5.66.80
9. ग्यारहवीं योजना (2007-12)6.55.40
10.पंचवर्षीय योजनाएं8.07.6
11.पहली योजना (1951-56) दूसरी योजना (1956-61)9.08.0

नीति आयोग- Policy commission

राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (नीति आयोग ) की स्थापना मंत्रिमंडलीय संकल्प द्वारा 1 जनवरी, 2015 को की गई। नीति आयोग सहकारी संघवाद के सिद्धांत का परिपालन करते हुए भारत सरकार को नीतिगत मुद्दों पर सलाह देने हेतु एक थिंक टैंक (Think Tank) है। नीति आयोग को उसके पूर्ववर्ती संस्था योजना आयोग की तुलना रहा है। में अधिक समावेशी बाजारोन्मुख तथा दक्ष संस्था माना जा रहा है।

नीति आयोग के उद्देश्य- Objectives of NITI Aayog

(i) राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टि में रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना।

(ii) संरचनात्मक सहयोग पहल के माध्यम से सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देना।

(iii) ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने हेतु तंत्र विकसित का करना और इसे सरकार के उच्चतर स्तर तक पहुंचाना।

(iv) आर्थिक रणनीति एवं नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों के ग सम्मिलन को सुनिश्चित करना।

 (v) समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जिन तक आर्थिक प्रगति से समुचित रूप से लाभान्वित हो पाने का जोखिम हो ।

(vi) रणनीतिक और दीर्घावधिक नीति तथा कार्यक्रमों का ढांचा तैयार करना, पहल करना तथा उनकी प्रगति और क्षमता निगरानी करना ।

(vii) महत्वपूर्ण हितधारकों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंकों के साथ-साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच परामर्श और भागीदारी को प्रोत्साहन देना।

(viii) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, पेशेवरों तथा अन्य साझीदारों के सहयोग के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता

समर्थक प्रणाली का विकास करना।

(ix) विकास के एजेंडे में गति लाने के क्रम में अंतक्षेत्रीय और अंतर्विभागीय मुद्दों के समाधान हेतु मंच प्रदान करना।

(x) कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन हेतु प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर देना।

(xi) अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाना, जो सुशासन तथा सतत एवं न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान तथा हितधारकों तक उसका प्रसार करे।

 
XII आवश्यक संसाधनों की पहचान करने के साथ-साथ कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन का सक्रिय मूल्यांकन एवं निगरानी करना।

(xiii) राष्ट्रीय विकास एजेंडा और उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियों को संपादित करना।

 नीति आयोग का गठन- Constitution of NITI Aayog

कति

1 जनवरी, 2015 के संकल्प तथा 16 फरवरी, 2015 के संशोधन द्वारा नीति आयोग के गठन की व्यवस्था इस प्रकार है-

(क) भारत के प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे।

(ख) इसके शासी परिषद में सभी राज्यों एवं विधानमंडलों से युक्त संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्री तथा अन्य संघ राज्य क्षेत्रों के

 उप-राज्यपाल होंगे।

(ग) विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया जाएगा। ये विशिष्ट कार्यकाल के लिए गठित होंगी। उस क्षेत्र के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री तथा केंद्रशासित प्रदेश के उप-राज्यपाल इसके सदस्य होंगे। नीति आयोग के अध्यक्ष या उनके नामित प्रतिनिधि इसके अध्यक्ष होंगे।

(घ) आयोग में प्रधानमंत्री द्वारा संबंधित क्षेत्र का ज्ञान रखने वाले दक्ष, विशेषज्ञ और कार्यरत व्यक्ति, विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किए जाएंगे।

ङ) पूर्णकालिक संगठनात्मक ढांचे में अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के अलावा निम्न भी होंगे-

(i) उपाध्यक्ष प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त

(ii) पूर्णकालिक सदस्य

(iii) अंशकालिक सदस्य अग्रणी विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों तथा अन्य संबद्ध संस्थानों से अधिकतम दो पदेन सदस्य चुने जाएंगे। अंशकालिक सदस्यों की नियुक्ति चक्रीय आधार पर होगी।

(iv) पदेन सदस्य अधिकतम चार सदस्य जिनका मनोनयन केंद्रीय मंत्रिपरिषद में से प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा।

(v) मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी, जिसकी नियुक्ति एक निश्चित कार्यकाल

के लिए प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी।

(vi) आवश्यकता के अनुसार सचिवालय

वर्तमान में नीति आयोग की संरचना- Present composition of NITI Aayog

अध्यक्ष– श्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
उपाध्यक्ष– डॉ. राजीव कुमार
मुख्य कार्यकारी अधिकारी– श्री अमिताभ कांत
पूर्णकालिक सदस्य
(क) श्री वी. के. सारस्वत
(ख) प्रो. रमेश चंद्र
(ग) प्रो. वी. के. पॉल

राष्ट्रीय विकास परिषद

योजना निर्माण में राज्यों की भूमिका को सुनिश्चित करने हेतु 6 अगस्त, 1952 को राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन किया गया था।

यह भी संविधानेत्तर निकाय है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।

राष्ट्रीय विकास परिषद की संरचना निम्नलिखित है-

संरचना

अध्यक्ष प्रधानमंत्री –

सदस्य- Member

1. सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं केंद्रशासित प्रदेशों – के उपराज्यपाल / मुख्यमंत्री

2. योजना आयोग के सभी सदस्य

3. केंद्रीय मंत्रिपरिषद

कार्य:

  1. योजना आयोग द्वारा तैयार की गई योजनाओं को अंतिम रूप देना।

2. राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन का मूल्यांकन

3.राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाली नीतियों की समीक्षा

[ नोट- वर्तमान में योजना आयोग की जगह नीति आयोग ने ले ली है, जबकि राष्ट्रीय विकास परिषद की संरचना अभी-भी अपनी पुरानी स्थिति में यथावत है ।]

भारतीय संविधान में नियोजन भारत में नियोजन की प्रेरणा संविधान की प्रस्तावना (आर्थिक एवं सामजिक न्याय) तथा नीति निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 38, 39 व 46) से प्राप्त होती है।

आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन का उल्लेख सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रवृष्टि 20 में मिलता है।