प्रारंभिक जीव विज्ञान

प्रारंभिक जीव विज्ञान (Introductory Biology)

  • शवसन मूल जलोद्भिद एवं लवणमृदोद्भिद दोनों पादपों में पाए जाते हैं।
  • आलू  में अक्षियां‘ (eyes) कायिक (Somatic) जनन में मदद रती है।
  • ये जो केवल सूर्यप्रकाश में भली-भांति विकसित होते हैं, उन्हेंआतपोद्भिद (Heliophytes) कहते हैं।
  • किसी पौधे की एक शाखा जिसे कलम कहा जाता है, को किसी दूसरे पौधे पर लगाया जाता है।
  • राइजोबियम एक प्रकार का सहजीवी जीवाणु है।
  • कोशिका भित्ति (Cell Wall) के आधार पर जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में अंतर किया जा सकता है।
  • पादप कोशिका में कोशिका भित्ति उपस्थित होती है, जबकि जंतु कोशिका में यह नहीं होती है।
  • परागकोश, (anther)पुष्प का वह भाग होता है, जो परागकण पैदा करता है।
  • अधिक पैदावार वाले (HYV- High Yield Variety) पौधे संकरण विधि द्वारा तैयार किए जाते हैं।
  • ईख (गन्ना) के पौधे प्रायः कायिक प्रवर्धन द्वारा संवर्धित किए जाते हैं इससे आनुवंशिक गुणवत्ता बनाए रखना संभव होता है।
  • टिशू कल्चर (tissue culture) द्वारा बिना बीज के फलों को विकसित किया जा सकता है।
  • पौधों में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया के दौरान प्रकाश ऊर्जा अवशोषित कर ली जाती है।
  • प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) प्रक्रिया में क्लोरोफिल मुख्य कारक है।
  • सूर्य के प्रकाश में उपस्थित विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के दृश्य प्रकाश, प्रकाश संश्लेषण (visible light, photosynthesis) में सहायता करते हैं।
  • हरे पौधे मुख्यतः लाल व नीले रंग में प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
  • पौधों में पत्तों के पृष्ठ पर पाए जाने वाले लघु छिद्रों का नाम ‘रंघ (Stomata) है। पत्तों में असंख्य रंध होते हैं।
  • रंधों का कार्य वाष्पोत्सर्जन (transpiration) तथा गैसीय विनिमय होता है।
  • प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधे के हरे भागों (पत्तियों) में सूर्य के प्रकाश और जल (light and water) तथा कॉर्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में होती है।
  • जब श्वेत प्रकाश पेड़-पौधों की पत्तियों पर पड़ता है तब यह हरे रंग को छोड़कर अन्य सभी रंगों को अवशोषित कर लेती हैं तथा केवल हरे रंग को ही परावर्तित होने देती हैं, जिस कारण हमें पत्तियां हरी दिखाई देती हैं।
  • पौधों में वृद्धि विशेष कोशाओं द्वारा होती है, जो विशेष स्थानों पर स्थित होती है।
  • पादप द्वारा बड़ी मात्रा में अपेक्षित तत्व नाइट्रोजन है।
  • कम्पोस्ट का अपनी उच्च गुणवत्ता के कारण प्रमुख उर्वरक के में उपयोग किया जाता है।
  • ड्रोसेरा (Drosera) एक कीटाहारी पादप (Insectivorous Plants )है।
  • बीज का अंकुरण बिना प्रकाश (Germination without light) के भी संभव है।
  • क्रोकस पौधे (crocus plants) के पुष्प में धागे जैसे महीन भाग को केसर के प्रयोग किया जाता है।
  • पुष्प का पुरुष (Male) हिस्सा पुंकेसर तथा स्त्री (Female) स्त्रीकेसर कहलाता है।
  • पुंकेसर (Stamen) में ही तंतु और परागकोष उपस्थित रह
  • यूट्रीकुलेरिया का पौधा नाइट्रोजन (Nitrogen) की कमी वाले मृदा में है।
  • प्रकाश संश्लेषण के दौरान निर्मुक्त गैस ऑक्सीजन है।
  • पौधे श्वसन की क्रिया में संचित ऊर्जा मुक्त करते हैं।
  • सौर ऊर्जा के प्रयोग में प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है जबकि के जलने में कार्बन डाइऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्स इत्यादि उत्पन्न होती है।
  • चूना पत्थर के ढांचे का निर्माण करने वाला महत्वपूर्ण समुद्री प्रवाल (coral) है, जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह’ में रहते हैं।
  • वृक्ष के तनों में रहने वाले प्राणियों को वृक्षवासी कहते हैं, जो जल तथा थल दोनों जगह रहे उसे उभयचर कहते हैं।
  • जो जल में निवास करे, उसे जलचर तथा आकाश में उड़ने को नभचर कहते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रीन हाउस प्रभावके लिए जिम्मेदार है
  • जीवाश्म तथा शैल के आयु को निर्धारित करने के लिए डेटिंग विधि का प्रयोग किया जाता है।
  • किसी प्रदेश की विशिष्ट वनस्पति का वितरण मुख्य रूप से मिट्टी, वर्षा (पानी) और तापमान पर निर्भर करता है।
  • लीग का वानस्पतिक नाम सीजियम ऐरोमेटिकम है, जो पौधे के पुष्पकली भाग से प्राप्त होता है।
  • उबसे छोटा पुष्षीय चौधा वल्फिया है। इसे सामान्यतः वाटर भील अथवा ‘डकवीड के नाम से जाना जाता है। यह जलीय पौधा है।
  • अफीम के पौधों के फल आवरण या कैप्सूल (Capsule) से हमें मॉर्फीन प्राप्त होता है।
  • दालचीनी (Cinnamon) एक छोटा सदाबहार पेड़ है, जो 10-15 मीटर ऊंचा होता है। इसकी छाल मसाले की तरह प्रयोग होती है।
  • विश्व का सबसे लंबा पौधा तटीय रेडवुड है।
  • कुनैन को सिनकोना नामक पादप से प्राप्त किया जाता है। इसे पेड़ के तने या शाखाओं की छाल से प्राप्त किया जाता है।
  • कुनैन को मलेरिया के इलाज में प्रयुक्त किया जाता है। बंदगोभी का खाद्य अंश कायिक कलिका होता है।
  • कुनैन को सिनकोना नामक पादप से प्राप्त किया जाता है। इसे पेड़ के तने या शाखाओं की छाल से प्राप्त किया जाता है।
  • कुनैन को मलेरिया के इलाज में प्रयुक्त किया जाता है।
  • बंदगोभी का खाद्य अंश कायिक कलिका होता है। फूलगोभी के पौधे का उपयोगी भाग ताजा पुष्प समूह (Young inflorescence) होता है।
  • पत्तागोभी में खाद्य पदार्थ का संग्रह पत्तियों में होता है। ये पत्तियां विटामिन K और विटामिन C का अच्छा स्रोत हैं। गाजर में विटामिन A प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पान की लता में बनने वाली जड़ आरोही जड़ें (Climbing Roots) होती हैं।
  • अपस्थानिक जड़ें पर्व संधियों से निकलकर किसी आधार से चिपक जाती हैं और पौधों को ऊपर चढ़ने में मदद करती हैं। पादपों में मूलरोमों द्वारा जल तथा खनिज लवण परासरण (Osmosis) की क्रिया द्वारा अवशोषित किया जाता है।
  • मूलरोम पौधों की जड़ों में पाया जाता है।
  • मूलरोम पेड़-पौधों की जड़ों के बाह्यत्वचा ऊतकों से निकलते हैं।
  • बांस एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह घास का सबसे ऊंचा और सबसे मोटा प्रकार है।
  • टमाटर, लाल मिर्च और तरबूज में गहरा लाल रंग लाइकोपीन (Lycopene) के कारण होता है, जो कि एक कैरोटिनॉइड (carotenoid) है।
  • कीस्कोग्राफ़ पौधों की वृद्धि मापने के लिए उपयोग किया जाने दाला एक यंत्र है।
  • क्रीस्कोग्राफ़ का आविष्कार 20वीं शताब्दी में भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने किया था।
  • सैकरीन एक कृत्रिम मीठा पदार्थ है, जिसमें उपस्थित मुख्य बेन्जोइक सल्फाइलीमिन (Benzoic Sulfilimine) से कोई ऊर्जा पदार्थ प्राप्त नहीं होती है।
  • निकोटीन तम्बाकू से थीन व सीन चाय की पत्तियों से, कैफीन कॉफी व चाय से तथा पिपेरीन काली मिर्च से प्राप्त किया जाता है।
  • वर्गीकरण की कैरोलस लिनीयस प्रणाली द्विपद है।
  • कैरोलस लिनीयस को वर्गीकरण विज्ञान का पिता कहा जाता है। लाख का सावण सुर्ख रंग की मादा कीट लैसिफर लक्का करती है।
  • पके हुए अंगूरों में ग्लूकोज होता है। प्रमुख रूप से D-ग्लूकोज या डेक्सट्रोज होता है।
  • यह एक मोनोसेकेराइड सुगर है जिससे ऊर्जा मिलती है।
  • फ्रक्टोज को फल शर्करा कहा जाता है। प्रायः मीठे फलों में फ्रक्टोज की मात्रा अधिक होती है, जो मीठे
  • स्वाद का मुख्य कारण है।
  • लिवर सिरोसिस यकृत की सबसे गंभीर बीमारी है।
  • लिवर सिरोसिस में यकृत कोशिकाएं बड़े पैमाने पर नष्ट हो जाती हैं और उनके स्थान पर फाइबर तंतुओं का निर्माण हो जाता है।
  • शराब का अत्यधिक सेवन लिवर सिरोसिस का एक मुख्य कारण है।
  • चाय में कैफीन नामक एक महत्वपूर्ण उद्दीपक पाया जाता है जो व्यक्ति को तरोताजा रखने में मददगार होता है।
  • वर्मीकम्पोस्टिंग, कृमि द्वारा की जाती है। वर्मीकम्पोस्टिंग एक प्रक्रिया है जिसमें कृमि के द्वारा जैव खाद बनाई जाती है।
  • एक जैव उर्वरक जीवित (सजीव) सूक्ष्मजीवों से युक्त पदार्थ होता है।
  • जैव उर्वरक नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्राकृतिक प्रक्रिया के द्वारा पोषक तत्वों का संयोजन करता है।
  • राइजोबियम, एजोटोबैक्टर (Azotobactor), ऐज़ोस्पिरिलम और नील हरित शैवाल प्रमुख जैव उर्वरक हैं।
  • मृदा में मौजूद कार्बनिक पदार्थ को सामूहिक रूप से खाद मिट्टी या ह्यूमस (Humus) कहा जाता है।
  • कुकुरमुत्ता (Mushroom) एक प्रकार का कवक है।
  • मशरूम की खेती आर्थिक दृष्टि से लाभकारी होने के अतिरिक्त बायोगैस उत्पादन, कृषि अपशिष्ट के पुनःचक्रण तथा कैंसर के निवारण में भी उपयोगी होती है।
  • रबड़ से रॉल को अलग करने के लिए एसिटोन रसायन का उपयोग किया जाता है।
  • तुलसी के पौधे का सभी भाग औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है तथा यह शाक (Herb) की श्रेणी में आता है। तुलसी को शाकीय भारतीय डॉक्टर कहते हैं।
  • कोयला एक जैव शैल है। यह जानवरों के मलबे व पेड़-पौधों के जमीन में दब जाने से हजारों सालों बाद बनता है।
  • कार्बोहाइड्रेट के किण्वन में खमीर ( यीस्ट ) का उपयोग होने के कारण यह एल्कोहल उद्योग में प्रयुक्त होता है।
  • दाद (रिंगवर्म), कवक (फंगस) द्वारा फैलने वाली बीमारी है।
  • विनाइट्रीकरण प्रक्रिया द्वारा नाइट्रोजन वायुमंडल में छोड़ी जाती है।
  • नाइट्रेट्स का नाइट्रोजन गैस में विघटन विनाइट्रीकरण (denitrification) कहलाता है।
  • हड्डी का प्रयोग उर्वरक के रूप में करने से पौधों में फॉस्फोरस की कमी दूर की जा सकती है।
  • बीज के अंकुरण के लिए ऑक्सीजन, नमी एवं उपयुक्त तापक्रम होना आवश्यक होता है।
  • मूंगफली पौधों के फल भूमि की सतह के नीचे पाए जाते हैं।
  • किसी वृक्ष की आयु का निर्धारण विकास वलय (Growth Ring) के आधार पर किया जाता है।
  • पौधों में रस आरोहण (चढ़ाव ) जाइलम के माध्यम से होता है।
  • गेहूं झकड़ा ( रेशेदार) जड़ वाला पौधा है।
  • पौधों में जड़ों के मार्ग से पानी पहुंचने का कारण केशिकत्व होता है।
  • अदरक रूपांतरित तना होता है।
  • अदरक भूमिगत खाद्य तना है।
  • हल्दी पौधे के तने से प्राप्त किया जाता है।
  • समुद्री शैवालमें आयोडीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • मसालों की सौरभ और सुवास इसमें उपस्थित एरोमैटिक एमिनो अम्लों के कारण होती है।
  • वनस्पति तेलों का घी में परिवर्तन हाइड्रोजनीकरण द्वारा होता है।
  • अल्फाल्फा (alfalfa) फेबिएसी कुल का एक पुष्पीय पादप है।
  • एशिया में यह ल्यूसर्न घास के नाम से जाना जाता है।
  • सूर्य के प्रकाश में गुलाब लाल दिखाई देता है।
  • हरे प्रकाश में लाल गुलाब काला दिखाई देगा।

जन्तु विज्ञान (Zoology)

  • प्रोटीन की रचना 20 अमीनो अम्लों के संयोग से होती है।
  • प्रोटीन शरीर के पोषण के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। एन्जाइम (Enzymes ) प्रमुख रूप से प्रोटीन होते हैं।
  • एन्जाइम की खोज सर्वप्रथम जर्मन वैज्ञानिक कुहने ने की थी।
  • पित्त हल्के पीले रंग का क्षारीय ( pH 7.6 to 8.6) तरल होता है। यह यकृत में बनता है।
  • यूरिया का संश्लेषण यकृत में होता है।
  • सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं, क्योंकि उनमें जल की अधिक मात्रा होती है।
  • सोयाबीन और मूंगफली मुख्यतः प्रोटीन के सबसे समृद्ध ज्ञात स्रोत हैं।
  • किरेटिन एक रेशेदार प्रोटीन है। यह प्रोटीन बाल, नाखू सींगों, ऊन इत्यादि में पाए जाते हैं।
  • नींबू में सिट्रिक अम्ल की मात्रा लगभग 5 से 6 प्रतिशत होती है जिसके कारण इसका स्वाद खट्टा होता है।
  • नींबू में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • लार हल्की अम्लीय (p116.8) होती है।
  • लार खाद्य पदार्थ को निगलने में मदद करती है, मुख तथा दांत को साफ रखती है।
  • अन्न में स्टार्च (मंड) की प्रचुरता होती है।
  • जठर रस में रेनिन (Rennin) नामक पाचक एन्जाइम पाय जाता है, जो दूध के पाचन में सहायता करता है।
  • रेनिन, दूध को दही में स्कंदित करने वाला एन्जाइम है।
  • गाय के दूध में कैरोटिन (Carotene) उपस्थित होने के कारण उसका रंग पीला होता है।
  • खट्टे दूध में लैक्टिक एसिड (Lactic acid) होता है।
  • RBC का कब्रिस्तान प्लीहा (Spleen) को कहा जाता है।
  • मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत है।
  • यकृत का प्रमुख कार्य पित्त का स्रावण, अमीनों अम्लों का डिएमिनेशन् यूरिया का संश्लेषण, विषैले पदार्थों से विषहरण, विटामिनों का संश्लेषण इत्यादि है।
  • अस्थियों और दांतों में मौजूद रासायनिक द्रव्य कैल्शियम फॉस्फेट है।
  • यकृत किसी भी पाचक एन्जाइम का स्रावण नहीं करता ।
  • कार्बोहाइड्रेट के अलावा हमारे आहार में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत वसा (Fat) है।
  • मानव शरीर अधिकांश ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त करता है।
  • विटामिन्स शरीर के उपापचय क्रिया तथा प्रतिरक्षा तंत्र के लि आवश्यक हैं।
  • लैक्टोज दूध में पायी जाने वाली शर्करा है, जबकि माल्टो शर्करा को अनाज से प्राप्त किया जाता है।
  • यकृत विटामिन K का संश्लेषण करता है। विटामिन K खून का स्कंदन (Coagulation) करने में सहायता करता है।
  • 17 नाइट्रोजन प्रोटीन का अनिवार्य घटक होता है।
  • प्रोटीन का आण्विक यौगिक कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन से बना होता है।
  • मानव शरीर में डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) जल की कमी कारण होता है।
  • चावल, सेब, संतरा तथा दालों में से दालों में प्रोटीन की मात्र सबसे अधिक होती है।
  • एक वयस्क मानव में सामान्यतः 12 चवर्णक दंत पाए जाते हैं। हेपेटाइटिस जिगर का रोग है।
  • प्रामाशय रस मे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है।
  • प्रोटीन शरीर में ऊतक निर्माण के लिए आवश्यक होता है ।
  • दालें प्रोटीन का उत्तम स्रोत होती हैं।
  • मक्खन तेल में परिक्षिप्त पानी (Water in Oil emulsion) है।
  • शहद में मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं।
  • पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीन, एमीनो अम्ल में बदल जाता है।
  • विटामिन B6 का दूसरा नाम पाइरिडॉक्सिन (Pyridoxine) है।
  • विटामिन B6 का प्रमुख स्रोत दूध, यीस्ट, अनाज, मांस, जिगर, मछली इत्यादि है।
  • आयरन की कमी से अरक्तता (anemia) हो जाती है।
  • विटामिन B2 राइबोफ्लेविन भी कहा जाता है।
  • दूध, पनीर, पत्तेदार सब्जियां, फलियां, टमाटर, यीस्ट, मशरूम इत्यादि विटामिन B2 के अच्छे स्रोत हैं।
  • प्रातः कालीन धूप से मानव शरीर में विटामिन D उत्पन्न होता है।
  • विटामिन D का रासायनिक नाम कैल्सिफेरॉल (Calciferol) है। यह दसा में विलेय विटामिन है।
  • विटामिन D कैल्शियम के अवशोषण में सहायक है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
  • विटामिन D की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा प्रौढ़ों में ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) नामक रोग हो जाता है।
  • रिकेट्स को सूखा रोग (rickets) के नाम से भी जाना जाता है।
  • विटामिन D मक्खन, घी, अंडे, मछली के तेल आदि में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
  • तंबाकू में निकोटीन (nicotine) पाया जाता है।
  • मानव शरीर के लिए उपयोगी 13 प्रमुख विटामिनों में चार वसा में घुलनशील विटामिन (A,D,E तथा K) तथा 9 जल में घुलनशील विटामिन (B1 , B2, B3, B5, B6,B7, B9, B12तथा C) होते हैं।
  • ‘छिली हुई सब्जियों को धोने से विटामिन C तथा जल में घुलनशील अन्य विटामिन निकल जाते हैं।
  • स्कर्वी रोग विटामिन C की कमी के कारण होता है।
  • विटामिन C का रासायनिक नाम एस्कॉर्बिक एसिड है। यह जल में विलेय विटामिन है।
  • सिट्रस फल ( नींबू, संतरा, मुसम्मी आदि ) आंवला, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां आदि विटामिन C के प्रमुख स्रोत हैं।
  • विटामिन B1 की कमी से बेरी-बेरी नामक रोग होता है।
  • विटामिन B12 का दूसरा नाम सायनोकोवालैमीन‘ है।
  • विटामिन B12 का प्रमुख घटक कोबॉल्ट है।
  • विटामिन A का रासायनिक नाम रेटिनॉल है। यह मानव शरीर में संक्रमण रोकने में मदद करता है।
  • गाजर में विटामिन A प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • विटामिन A की कमी के कारण रतौंधीऔर जीरोप्यैलमिया नामक रोग हो जाता है।
  • विटामिन E का प्रमुख स्रोत तेल, गेहूं, अंडों की जर्दी, सोयाबीन है।
  • विटामिन E की कमी से जनन क्षमता में कमी, जननांग तथा पेशियां कमजोर हो जाती हैं।
  • विटामिन K रक्त के स्कंदन में सहायक है। इसका रासायनिक नाम फिलोक्विनोन है।
  • विटामिन A, विटामिन-D, विटामिन E तथा विटामिन K वसा में घुलनशील होते हैं।
  • साइट्रिक एसिड मुख्यतः साइट्रस फलों में पाया जाता है जैसे- नींबू, संतरा, मुसम्मी आदि
  • मछलियों के यकृत-तेल में विटामिन D प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • प्रातः कालीन धूप में मानव शरीर में विटामिन D उत्पन्न होता है।
  • निशांधता ( रतौंधी) मनुष्यों में विटामिन A की कमी से होती है। आंवला विटामिन C का अच्छा स्रोत होता है।
  • सागों (हरी सब्जियों) में सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व लोहा (आयरन) है।
  • सामान्यतः मूत्र हल्का अम्लीय होता है।
  • मूत्र का हल्का पीला रंग उसमें उपस्थित यूरोक्रोम (Urochrome) वर्णक के कारण होता है।
  • पक्षियों में मूत्र उत्सर्जन यूरिया के रूप में न होकर यूरिक अम्ल के रूप में होता है।
  • निर्जलीकरण के दौरान आमतौर पर शरीर से सोडियम क्लोराइड (NaCl) की हानि होती है।
  • सोडियम क्लोराइड की पूर्ति ओ. आर. एस. घोल द्वारा की जा सकती है।
  • मूत्र के स्रावण को बढ़ाने वाली औषधि को डाइयूरेटिक कहते हैं। मानव में गुर्दे का रोग कैडमियम प्रदूषण से होता है। जिसे इटाई – इटाई रोग भी कहते हैं।
  • ‘स्वेदन’ शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए आवश्यक होता है।
  • गुर्दे जब सही ढंग से काम करना बंद कर देते हैं, तो रक्त का शोधन अपोहन या डायलिसिस (dialysis) की कृत्रिम विधि से किया जाता है।
  • वृक्क के काम न करने पर रक्त में नाइट्रोजनी अपशिष्ट जमा होने लगते हैं।
  • वयस्क मनुष्य के शरीर में कुल 206 हड्डियां होती हैं।
  • शरीर की सबसे बड़ी हड्डी ‘फीमर’ (उरु-अस्थि, जो जांघ में पाई जाती है) तथा सबसे छोटी हड्डी ‘स्टेपीज’ (कान की) होती है।
  • मानव शरीर में कुल 12 जोड़ी पसलियां पायी जाती हैं।
  • कोशिकाओं से नई हड्डी के गठन की प्रक्रिया को अस्थीभवन‘ कहा जाता है।
  • मानव शरीर में लगभग 656 मांसपेशियां होती है।
  • औसत मानव मस्तिष्क का वजन लगभग 1.36 kg होता है।
  • एम्फिबिया (उभयचर) प्राणी में बहिःकंकाल नहीं होता है।
  • स्तनपायी (मैमल) में पसलियों की संख्या अधिक होती है।
  • अकल दाढ़ या तीसरा दाढ़ (wisdom teeth or third molar) उन दांतों के नाम हैं, जो आखिर में निकलते हैं।
  • अधिकतर लोगों को चार अकल दाढ़ होते हैं।
  • मानव शरीर में पाया जाने वाला सबसे अधिक कठोर पदार्थ दंतवल्क (इनेमल ) है।
  • कान में छः हड्डियां होती हैं।
  • सपाट अस्थियां खोपड़ी में होती हैं।
  • शरीर की सर्वाधिक प्रबल अस्थि जबड़े में होती है।
  • शरीर में श्वेत रुधिराणुओं (W.B.C.) का मुख्य कार्य शरीर की रोगों से रक्षा करना है।
  • लिम्फोसाइट कणिकाविहीन श्वेत रुधिराणु होती हैं। यह श्वेत रुधिराणुओं की कुल संख्या का 20% से 40% होती है।
  • एचआईवी विषाणु लिम्फोसाइट को नष्ट कर प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देते हैं।
  • विसरण प्रक्रिया द्वारा श्वसन के दौरान गैसें रुधिर में प्रवेश करती हैं और फिर उसे छोड़ती हैं।
  • हीमोग्लोबिन  (hemoglobin) रुधिर की लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जिसमें लोहा पाया जाता है।
  • लाल रुधिर कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ होता है, जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है।
  • रक्त में मूत्राम्ल के उच्च स्तर के कारण जोड़ों पर यूरिक एसिड क्रिस्टल (acid crystal) एकत्र हो जाने के कारण गाउट रोग (एक प्रकार का गठिया रोग) हो जाता है।
  • अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रिनल ग्लैंड) का संबंध रक्तचाप से है।
  • मनुष्य में श्वसन-रंजक हीमोग्लोबिन (respiratory pigment hemoglobin) होता है, जिसका रंग लाल होता है।
  • रक्त समूह ‘AB’ को सर्वग्राही समूह कहते हैं, क्योंकि इसमें एंटीबॉडी नहीं होता है।
  • रक्त को चार प्रमुख समूहों में बांटा जा सकता है- A, B, AB तथा O
  •  मानव का सामान्य रक्त दाब 80/120 मिमी. पारा होता है। – जिसमें 80 मिमी. पारा डायस्टोलिक और 120 मिमी. पार सिस्टोलिक होता है।
  • रक्त दाब को स्फिग्मोमैनोमीटर यंत्र द्वारा मापते हैं। यदि शरीर में रक्तदाब कम होता है, तो एड्रिनल ग्रंथि एड्रिनलिन हॉर्मोन्स (Adrenal Gland Adrenaline Hormones) निकलता है, जो रक्त दाब को बढ़ाता है। हाइपरटेन्शन‘ शब्द का प्रयोग उच्च रक्तचाप के संदर्भ में होत है।
  • यदि मानव शरीर में रक्त की अपर्याप्त आपूर्ति हो, तो इस इस्कीमिया कहते हैं।
  • रुधिर में हिपैरिन नामक प्रतिस्कंदक पदार्थ तरल व सॉल दशा रहता है।
  • हिपैरिन को एंटीग्राम्बिन कहते हैं। यह एक संयुक्त पॉलीसेकेराइझ है। इसकी वजह से रुधिर में थक्का नहीं जमता है। मानव रुधिर में कोलेस्टेरोल का सामान्य स्तर 180-200mg/DL होता है।
  • स्वस्थ मनुष्य में लगभग 5-6 लीटर रुधिर (blood) होता है। जिसका p मान 7.4 होता है।
  • यह एक तरल संयोजी ऊतक है, जो दो भागों से मिलकर बना होता है- प्लाज्मा (55%) एवं रुधिराणु (45%)।
  • मानव में लाल रुधिर कणिकाओं का औसत जीवन-काल लगभग 100-120 दिन तथा इनकी संख्या 54 लाख घन मिमी. होती है ।
  • पहली बार रुधिर परिसंचरण की व्याख्या विलियम हार्वे  (William Harvey) ने की थी।
  • लसीका कोशिकाएं रोगों का प्रतिरोध करने में सहायता करती है।
  • ह्रदय शरीर का एक ऐसा अंग है, जो कभी विश्राम नहीं करता है।
  • फेफड़े से हृदय के लिए रक्त को ले जाने वाली रुधिर वाहिका से फुफ्फुस शिरा कहते हैं।
  • रक्त के थक्के जमने का कारण थ्रॉम्बिन है।
  • डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला स्टेथोस्कोप ध्वनि का परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
  • एक्यूपंक्चर (acupuncture) सुइयों के माध्यम से उपचार विधि है।
  • मानव रक्त प्लाज्मा  (human blood plasma) में पानी की प्रतिशत मात्रा लगभग 91-92 प्रतिशत होती है।
  • शल्य चिकित्सा के लिए कृत्रिम हृदय (artificial heart) का प्रयोग सर्वप्रथम भाइकल दि पैकी द्वारा शुरू किया गया था।
  • पेसमेकर दिल की धड़कन को नियमित करने का कार्य करता है।
  • हीमोफीलिया रोग विलंबित रक्त स्कंदन से संबंधित है। प्रतिदिन हमारे हृदय के कपाट (वाल्व) लगभग 100,000 बार खुलते और बंद होते हैं।
  • लाल रुधिर कोशिकाओं का उत्पादन अस्थि मज्जा द्वारा होता है। रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है।
  • सामान्य वयस्क व्यक्ति के हृदय का वजन लगभग 300 ग्राम होता है।
  • हृदय के संकुचन (Systole) एवं शिथिलन (Diastole) को सम्मिलित  रूप से हृदय की धड़कन कहते हैं।
  • एक वयस्क व्यक्ति का हृदय सामान्य अवस्था में 72-75 बार प्रति मिनट तथा भ्रूण की अवस्था में लगभग 150 बार प्रति मिनट धड़कता है।
  • हृदय का काम रुधिर को शरीर के विभिन्न अंगों में पंप करना है।
  • मानव हृदय चार कक्षों में बटा होता है।
  • ई.सी.जी. (इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम) एक प्रकार का चिकित्सीय परीक्षण है, जो हृदय की गतिविधि को दर्शाता है।
  • हृदय तथा उससे संबंधित बीमारियों का अध्ययन कार्डियोलॉजी के अंतर्गत आता है।
  • हृदय की मांसपेशियों को कम रक्त पहुंचने या बिल्कुल भी रक्त न पहुंचने की वजह से दिल का दौरा पड़ता है।
  • पीयूष ग्रंथि मास्टर ग्रंथि के नाम से सुप्रसिद्ध है।
  • पीयूष ग्रंथि, शरीर की सबसे छोटी अंतःस्रावी ग्रंथि है।
  • मानव शरीर की सबसे बड़ी मिश्रित ग्रंथि अग्न्याशय है।
  • यकृत स्तनपायी में पाई जाने वाली सबसे बड़ी ग्रंथि तथा सबसे बड़ा आंतरिक अंग है।
  • थाइरॉइड हमारी गर्दन में वायुनाल के शीर्ष भाग पर स्थित होती है।
  • थायरायड से थाइरॉक्सिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जिसका काम आधार उपापचयी दर को बढ़ाना है।
  • आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है।
  • इंसुलिन में जिंक (Zn) पाया जाता है।
  • इंसुलिन का आविष्कार सर्वप्रथम बेंटिंग और बेस्ट ने वर्ष 1932 में किया।
  • अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रीनल ) से एड्रिनेलिन और नारएड्रिनलिन नामक हॉर्मोन निकलते हैं जो शरीर को उत्तेजित करते हैं। इसे संघर्ष या पलायन हॉर्मोन भी कहते हैं।
  • नर लिंग हॉर्मोन को एंड्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य नर लिंग हॉर्मोन को टेस्टोस्टेरॉन कहते हैं।
  • वृद्धिकर हॉर्मोन पीयूष ग्रंथि द्वारा बनाए जाते हैं।
  • ग्रेव की बीमारी थायरॉइड की अतिसक्रियता के कारण होती है।
  • पेप्सिन एक पाचक एन्जाइम (Enzyme) है। स्वेद ग्रंथियां स्तनी वर्ग के प्राणियों के त्वचा में पाई जाती हैं।
  • स्वेद ग्रंथियों का मुख्य कार्य तापमान नियंत्रण है।
  • स्त्री का मासिक चक्र 28 दिन का होता है।
  • आयोडीन की पूर्ति आयोडीनयुक्त नमक, मछली तथा हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से होता है।
  • शरीर में इंसुलिन की कमी से मधुमेह (डायबिटीज मेलिटस) रोग हो जाता है।
  • एस्ट्रोजन एक स्त्रीलिंग हॉर्मोन है।
  • पीनियल ग्रंथि मस्तिष्क में होती है।
  • अंडाशय केवल स्त्रियों में पाया जाता है।
  • तंत्रिका कोशिका (Neuron) तंत्रिका तंत्र में स्थित एक उत्तेजनीय कोशिका है।
  • वर्णाधता एक आनुवंशिक बीमारी (Genetic disease) है, जिसमें मनुष्य लाल और हरे रंग में अंतर नहीं कर पाता है।
  • इसको सबसे पहले हार्नर (Harner) ने खोजा था।
  • यह कुल जनसंख्या के लगभग 8 प्रतिशत लोगों में पाया जाता है।
  • इलेक्ट्रोइनसेफैलोग्राफी (EEG) का प्रयोग मस्तिष्क की गतिविधि दर्ज करने के लिए किया जाता है।
  • जन्म के बाद मानव के तंत्रिका ऊतक में कोई कोशिका विभाजन नहीं होता है।
  • किसी रोगी की जैविक मृत्यु का अर्थ उसके मस्तिष्क के ऊतकों का मर जाना होता है।
  • सबसे बड़ा एक कोशिकीय जीव एसीटेबुलेरिया (acetabularia) है, इसका नामिक भी सबसे बड़ा होता है।
  • जन्म के बाद मानव के तंत्रिका ऊतक में कोई कोशिका विभाजन नहीं होता है।
  • किसी रोगी की जैविक मृत्यु का अर्थ उसके मस्तिष्क के ऊतकों का मर जाना होता है।
  • सबसे बड़ा एक कोशिकीय जीव एसीटेबुलेरिया है, इसका नामिक भी सबसे बड़ा होता है।
  • नीली हेल सबसे बड़ा शावक पैदा करती है, जिसकी लंबाई लगभग 24 फीट तथा वजन चार टन होता है।
  • ह्वेल का गर्भावस्था काल लगभग एक वर्ष होता है।
  • हेल, सील एवं चमगादड़ स्तनधारी वर्ग के हैं जबकि मत्स्य वर्ग एक पृथक वर्ग है।
  • हेल एक विशालतम स्तनधारी है।
  • मानव जातियों के वर्गीकरण के लिए आंखों का प्रयोग नहीं किया जाता।
  • अकेशरुकी में नोटोकॉर्ड (पृष्ठरज्जु) अनुपस्थित होता है, जबकि कशेरुकियों में जीवन की किसी न किसी अवस्था में नोटोकॉर्ड (पृष्ठरज्जु) उपस्थित होता है।
  • पृथ्वी पर विशालतम जीवित पक्षी शुतुरमुर्ग है। यह अफ्रीका में पाया जाता है।
  • शुतुरमुर्ग उड़ने में असमर्थ तथा तेज दौड़ने वाला पक्षी है। बसे छोटा पक्षी गुंजन पक्षी (Humming bird ) है। वर्तमान में 5 सेमी. आकार की बी हमिंग बर्ड (bee Humming bird) संसार की सबसे छोटी चिड़िया या पक्षी है, जो कि क्यूबा में पाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा पक्षी है जो आगे-पीछे उड़ सकता है।
  • बत्तख, राजहंस आदि पानी में तैरने वाले पक्षियों में परांगुलियां आपस में जाल द्वारा जुड़ी रहती है।
  • चमगादड़ कॉर्डेटा संघ का प्राणी है। इसमें पराश्रव्य ध्वनि को सुनने की क्षमता होती है।
  • डायनासोर, सरीसृप वर्ग का प्राणी था, जो कि ट्राइएसिक समय में पैदा हुए और क्रिटेशियस युग में विलुप्त हो गए।
  • डायनोसॉर करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के सबसे प्रमुख स्थलीय कशेरुकी जीव थे।
  • असम और नगालैंड के पहाड़ी वनों में पाया जाने वाला भारत का एकमात्र कपि गिबन (Gibbon) है।
  • हेल, एक नियततापी प्राणी है।
  • नाभिकीय विकिरण का अत्यधिक दुष्प्रभाव सबसे पहले आंखों पर पड़ता है।
  • पैन्येरा टाइग्रिस (टाइगर) को साधारण भाषा में बाघ कहते हैं।
  • बाघ वर्ष 1972 से भारत के राष्ट्रीय प्राणी के रूप में जाना जाता है।
  • अपघटक वे परपोषी जीव हैं जो मृत कार्बनिक पदार्थों या अपरदों (Detritus) पर जीवित रहते हैं। इन्हें ‘मृतोपजीवी’ भी कहते हैं। जैसे- कवक, जीवाणु ।
  • प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में पौधे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड तथा मृदा से जल लेकर अपने भोजन का निर्माण क्लोरोफिल (वर्णक) एवं सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में करते हैं।
  • संकटग्रस्त प्रजातियों को आईयूसीएन की रेड डाटा बुक में दर्शाया जाता है।
  • जीवाणु, नाइट्रोजन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र सबसे अधिक स्थायी है।
  • जल के भारी धातु प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान घरेलू मलजल का है।
  • नील हरित शैवाल एक प्रकार के मुक्तजीवी नाइट्रोजन यौगिकीकरण सूक्ष्म जीव हैं।
  • पृथ्वी पर जीवाणु और कवक अपमार्जक हैं।
  • पारिस्थितिक तंत्र में नाइट्रोजन का परिसंचरण जीवाणु द्वारा होता है।
  • पारिस्थितिक प्रणाली जीव-भू रासायनिक प्रणाली होती है।
  • आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरण की विधियों और कारणों के अध्ययन को ‘आनुवंशिकी‘ (Genetics) कहते हैं।
  • आनुवंशिकता के बारे में सर्वप्रथम जानकारी वर्ष 1866 में ग्रेगर जॉन मेंडल ने दी।
  • ग्रेगर जॉन मेंडल को आनुवंशिकता का पिता (Father of Genetics) कहा जाता है।
  • जीनजीवित प्राणियों की आनुवंशिक इकाई होती है।
  • ‘जीन’ शब्द की खोज डेनमार्क के वनस्पति शास्त्री विल्हेम जोहॉनसेन (Wilhelm Johannsen) ने की थी।
  • डी.एन.ए. संरचना का सही मॉडल वॉट्सन और क्रिक ने वर्ष 1953 में प्रतिपादित किया था।
  • डी.एन.ए. को जीवन का रासायनिक ब्लू प्रिंट कहा जाता है। इससे व्यक्तियों की पहचान की जाती है।
  • मानव डिम्ब में गुणसूत्रों की संख्या 23 जोड़ी होती है।
  • मानव के अंगों के अतिरिक्त भाग (हिस्से) स्टेम कोशिकाओं द्वारा तैयार किए जा सकते हैं।
  • किसी शिशु के वंशागत जीनों की कुल संख्या में माता और पिता (प्रत्येक) से प्राप्त जीनों की संख्या समान होती है।
  • प्रथम एंटीबॉयोटिक (पेनिसिलिन) की खोज वर्ष 1929 में सर अलेक्जेन्डर फ्लेमिंग द्वारा की गई।
  • पेनिसिलिन का उपयोग कवक ( फफूंद ) द्वारा उत्पन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।
  • ट्यूबरकुलोसिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु द्वारा संक्रमित बीमारी है।
  • ट्यूबरकुलोसिस (tuberculosis) के लिए BCG का टीका लगाया जाता है।
  • पीत ज्वर एक वायरस के संक्रमण से होता है, जो एडीज मच्छर द्वारा फैलता है।
  • फाइलेरिया के लिए दूचेरेरिया बैन्क्रोफ्टाई (bancrofte) नामक सूत्र कृमि उत्तरदायी होता है।
  • फाइलेरिया के कारण लसीका वाहिनी और ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। इसे फाइलेरियोसिस कहते हैं।
  • एड्स की पहचान वर्ष 1981 में सर्वप्रथम सं.रा. अमेरिका में की गई थी।
  • IF एड्स समलिंगी और इतरलिंगी यौन संपर्क, रक्ताधान इत्यादि द्वारा फैलता है।
  • दाद की बीमारी ट्राइकोफाइटॉन तथा माइक्रोस्पोरम (Trichophyton and Microsporum) नामक कवक से होती है।
  • किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता विकसित करने के लिए जो दवा खिलायी या पिलायी अथवा किसी अन्य रूप में दी जाती है, उसे टीका (Vaccine) कहते हैं। इस क्रिया को टीकाकरण (Vaccination) कहते हैं।
  • संक्रामक रोगों से रोकथाम के लिए टीकाकरण (Vaccination) सर्वाधिक प्रभावी एवं सस्ती विधि माना जाता है।
  • चेचक के प्रति टीकाकरण में जीवित प्रतिरक्षियों का समावेश किया जाता है। इसकी खोज एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने की थी।
  • टिटेनस क्लॉस्ट्रीडियम टिटेनी (Tetanus’ Clostridium titanii) द्वारा प्रसारित होता है।
  • क्लास्ट्रीडियम टिटेनी (clostridium tetani) एक जीवाणु है। इस रोग के उपचार हेतु DPT का टीका लगाया जाता है।
  • रोहिणी (गलघोंटू या डिप्थीरिया) जीवाणु द्वारा फैलता है।
  • रोहिणी (Rohini) गले की एक बीमारी है, जबकि इन्फ्लूएंजा एक वायरस के द्वारा फैलता है जिसे इन्फ्लूएंजा वायरस कहते हैं।
  • साल्मोनेला टॉइफी बैक्टीरिया (Salmonella typhi bacteria) द्वारा टायफॉइड रोग उत्पन्न होता है।
  • पीलिया यकृत (Liver) का एक रोग है।
  • पीलिया रोग में रुधिर में पित्तरंजक (bilirubin) की मात्रा बढ़ जाने से श्लैष्मिक झिल्ली तथा त्वचा का रंग पीला हो जाता है।
  • मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम (Plasmodium) गण के प्रोटोजोआ (Protozoa) परजीवी के माध्यम से होता है।
  • मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है।
  • मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर है।
  • जुकाम (कॉमन कोल्ड) एक वायरल संक्रमण से होने वाला रोग है, जो वाइरस से फैलता है।
  • लैक्टोज को दुग्ध शर्करा कहते हैं।
  • मक्खी का वैज्ञानिक नाम मस्का डोमेस्टिका है। यह परजीवी नहीं है। यह मनुष्यों में हैजा, मियादी बुखार, क्षय, अतिसार, प्रमेह, संग्रहणी, कोढ़ इत्यादि घातक बीमारियों को फैलाता है।
  • फीताकृमि‘ (फैसिओला हिपैटिका) भेड़ की आंत में परजीवी के रूप में पाया जाता है।
  • दूध के दही रूप में जमने का कारण लैक्टोबैसिलस (lactobacillus) नामक जीवाणु होता है।
  • क्लोरोक्वीन (chloroquine) नामक दवा मलेरिया के उपचार में प्रयोग में लाई जाती है।
  • गोलकृमि (सूत्रकृमि) एक मानव परजीवी है, जो क्षुद्रांत में पाया जाता है।
  • इन्फ्लुएंजा विषाणु द्वारा फैलता है।
  • चिकन पॉक्स विषाणु के कारण होता है।
  • डिप्थीरियाएक संक्रामक रोग है।
  • एड्स वायरस (aids virus) शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को नष्ट कर देता है।
  • संदूषित खाद्य पदार्थों के कारण फैलने वाला रोग आंत्र ज्वर (Typhoid) है, जो मक्खियों द्वारा फैलता है।
  • एथलीट्स फुट रोग का कारण कवक (फंगस) होती है।
  • भूजल, पेयजल का बेहतर स्रोत है, क्योंकि इसमें आर्सेनिक (arsenic) की मात्रा कम होती है।
  • शहद की मक्खी का विष अम्लीय होता है तथा इसमें पेप्टाइड मेलिटिन उपस्थित होता है।
  • मधुमेह रोग को टीकाकरण द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
  • ‘रिंडरपेस्ट’ रोग को पशुओं का महामारी रोग कहा जाता है।
  • रिंडरपेस्ट एक प्रकार के विषाणुओं (वाइरस) द्वारा उत्पन्न होता है।
  • यह फटे हुए खुर वाले पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी और जुगाली करने वाले दूसरे पशुओं में होने वाला एक भयानक संक्रामक रोग है। उंगली के नाखून में विद्यमान प्रोटीन का नाम कैराटिन (Keratin) है।
  • मरीचिका जो कि पूर्ण आंतरिक परावर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न होती है, एक प्रकार का दृष्टि भ्रम है। – ब्रेल लिपि की खोज लुई ब्रेल ने किया।