भारतीय संविधान की उद्देशिका (PREAMBLE)

हम, भारत के लोग, भारत को एक 1[संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य ] बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और 2 [ राष्ट्र की एकता और अखंडता ] सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए
दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई० ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं ।

  1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 2 द्वारा (3-1-1977 से) प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  2. 2. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 2 द्वारा ( 3-1-1977 से) राष्ट्र की एकता के स्थान
    पर प्रतिस्थापित |

WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a ‘[SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC] and to secure to all its citizens:
JUSTICE, social, economic and political;
LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;
EQUALITY of status and of opportunity;
and to promote among them all
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the [unity and integrity of the Nation];
IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this twenty-sixth day of November, 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.

  1. Subs. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s.2, for “SOVEREIGN DEMOCRATIC REPUBLIC” (w.e.f. 3-1-1977).
  2. Subs. by s. 2. ibid., for “Unity of the Nation” (w.e.f. 3-1-1977).