मौर्य वंश : सम्राटअशोक (Maurya Dynasty : Empire Ashoka)

मौर्य वंश : सम्राट अशोक

  • मौर्य राजवंश 323-184 ई.पू. तक था।
  • मौर्य राजवंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी ।
  • विशाखदत्त कृत ‘मुद्राराक्षस’ से चंद्रगुप्त मौर्य के विषय में विस्तृत सूचना प्राप्त होती है।
  • मुद्राराक्षस में चंद्रगुप्त को ‘वृषल’ तथा ‘कुलहीन’ भी कहा गया है।
  • धुंडिराज ने मुद्राराक्षस पर टीका लिखी थी।
  • विलियम जोंस पहले विद्वान थे, जिन्होंने ‘सैंड्रोकोट्स’ की पहचान मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य से की
  • एरियन तथा प्लूटार्क ने चंद्रगुप्त मौर्य को एंड्रोकोट्स के रूप में वर्णित किया है।

प्रमुख भारतीय शासक तथा उनकी उपाधियां – Major Indian rulers and their Titles

भारतीय शासकउपाधियां
बिन्दुसारअमित्रघात
अशोकदेवनागपिय, प्रियदर्शी
समुद्रगुप्तकृतान्त परशु
चंद्रगुप्त प्रथममहाराजाधिराज
चंद्रगुप्त द्वितीयविक्रमादित्य
हर्षवर्धनशिलादित्य
कनिष्कदेवपुत्र
  • जस्टिन नेसैंड्रोकोट्स‘ (चंद्रगुप्त मौर्य) (Chandra Gupta Mourya)और सिकंदर महान की भेंट का उल्लेख किया है।
  • कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा मौर्य काल में रचित अर्थशास्त्र शासन के सिद्धांतों की पुस्तक है। अर्थशास्त्र में 15 अभिकरण हैं।
  • अर्थशास्त्र में राज्य के सप्तांग सिद्धांतराजा, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, दंड एवं मित्र  -( King, Amatya, District, Fort, Treasury, Penalty and Friend) की सर्वप्रथम व्याख्या मिलती है।
  • बिहार में पटन (पाटलिपुत्र ) के समीप बुलंदीबाग एवं कुम्रहार में की गई खुदाई से मौर्य काल के लकड़ी के विशाल भवनों के अवशेष प्रकाश में आए हैं।

प्रमुख राजवंश, संस्थापक एवं राजधानियां (Major Dynasties, Founders and Capitals):

राजवंशसंस्थापकसंस्थापक
हर्यक वंश    बिम्बिसारराजगृह
मौर्य वंशचंद्रगुप्त मौर्यपाटलिपुत्र
शुंग वंशपुष्यमित्र शुंगपाटलिपुत्र
सातवाहनसिमुकप्रतिष्ठान
गुप्त वंशश्रीगुप्तपाटलिपुत्र
वर्धन वंशपुष्यभूतिथानेश्वर
गहड़वालचंद्रदेवकन्नौज
पल्लव वंशसिंह विष्णुकांचीपुरम
राष्ट्रकूटदंतिदुर्गमान्यखेट
  • चंद्रगुप्त मौर्य ने दक्षिण भारत की विजय प्राप्त की थी।
  • जैन एवं तमिल साक्ष्य भी चंद्रगुप्त मौर्य की दक्षिण विजय की पुष्टि करते हैं।
  • चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के साम्राज्य के पूर्वी भाग के शासक सेल्यूकस की आक्रमणकारी सेना को 305 . पू. में परास्त किया था।
  • 269 .पू. के लगभग अशोक का राज्याभिषेक हुआ।
  • अशोक के अभिलेखों में सर्वत्र उसे देवनामपिय‘, ‘देवानां पियदसि ‘Devanampiya’, ‘Devanam Piyadasi’ कहा गया है जिसका अर्थ है-देवताओं का प्रिय या देखने में सुंदर। पुराणों में उसे ‘अशोकवर्द्धन’ कहा गया है।
  • दशरथ भी अशोक की तरह देवनामपिय ‘Devanampiya’की उपाधि धारण करता था।
  • अशोक के अभिलेखों में ‘रज्जुक‘ (rope) नामक अधिकारी का उल्लेख मिलता है।
  • रज्जुकों की स्थिति आधुनिक जिलाधिकारी जैसी थी, जिसे राजस्व तथा न्याय दोनों क्षेत्रों में अधिकार प्राप्त थे।
  • मौर्यकाल में व्यापारिक काफिलों (कारवां) (Caravan) को सार्थवाह की संज्ञा दी गई थी।
  • सारनाथ स्तंभ Sarnath Pillar का निर्माण अशोक ने कराया था।
  • बौद्ध धर्म ग्रहण करने के उपरांत अशोक ने आखेट तथा विहार यात्राएं रोक दीं तथा उनके स्थान पर धर्म यात्राएं प्रारंभ कीं ।
  • इतिहासकार विंसेट ऑर्थर स्मिथ -Historian Vincent Arthur Smith ने अपनी पुस्तक इंडियन लीजेंड ऑफ अशोक में साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर उपगुप्त के साथ अशोक की धम्म यात्राओं का क्रम इस प्रकार दिया है- लुम्बिनी, कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और श्रावस्ती। Lumbini, Kapilvastu, Bodh Gaya, Sarnath, Kushinagar and Shravasti.
  • कालसी, गिरनार और मेरठ के अभिलेख ब्राह्मी लिपि में हैं।
  • अशोक के अभिलेखों का विभाजन 3 वर्गों में किया जा सकता हैं-
  • शिलालेख,
  • स्तंभलेख
  • गुहालेख

अशोक के शिलालेख (Ashoka’s inscriptions):

प्रथम शिलालेखपशुबलि की निंदा
दूसरा शिलालेखमनुष्य एवं पशु की चिकित्सा
तीसरा शिलालेखअधिकारियों का पांचवें वर्ष दौरा
पांचवां शिलालेख धर्म – महामात्रों की नियुक्ति
छठां शिलालेख आत्म-नियंत्रण की शिक्षा
ग्यारहवां शिलालेख धम्म की व्याख्या
तेरहवां शिलालेखकलिंग युद्ध का वर्णन

प्रमुख भारतीय दर्शन एवं उनके संस्थापक (Major Indian Philosophies and their founders):

दर्शनसंस्थापक
न्याय दर्शनमहर्षि गौतम
 सांख्य दर्शनमहर्षि कपिल
मीमांसा दर्शनमहर्षि जैमिनी
योग दर्शनमहर्षि पतंजलि
वैशेषिक दर्शनमहर्षि कणाद
  • अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा एवं ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं, केवल दो अभिलेखों शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा
  • की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है।
  • तक्षशिला से आरमेइक लिपि में लिखा गया एक भग्न अभिलेख शरेकुना नामक स्थान से यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में लिखा गया द्विभाषीय यूनानी एवं सीरियाई भाषा अभिलेख तथा लंघमान नामक स्थान से आरमेइक लिपि में लिखा गया अशोक का अभिलेख प्राप्त हुआ है।
  • जेम्स प्रिंसेप James Prinsep को अशोक के अभिलेखों को पढ़ने का श्रेय हासिल किया।
  • प्राचीन भारत में खरोष्ठी लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी।
  • अशोक ने अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष लुम्बिनी( Lumbini in the 20th year of the coronation) की यात्र की।
  • अशोक ने बुद्ध की जन्मभूमि होने के कारण लुम्बिनी ग्राम का – धार्मिक कर माफ कर दिया तथा भूराजस्व 1/6 से घटाकर 8 कर दिया।
  • अशोक के तेरहवें (XIII) शिलालेख से कलिंग युद्ध के संदर्भ में स्पष्ट साक्ष्य मिलते हैं।
  • अशोक के दीर्घ शिलालेख XII में सभी संप्रदायों के सार की वृद्धि होने की कामना की गई है तथा धार्मिक सहिष्णुता हेतु उपाय बता गए हैं।
  • अशोक के दूसरे (II) एवं तेरहवें (XIII) शिलालेख में संग राज्योंचोल, पाण्ड्य, सतियपुत्त एवं केरलपुत्त सहित ताम्रपर्ण
  • (श्रीलंका) की सूचना मिलती है
  • मौर्य शासक अशोक के तेरहवें शिलालेख से यह ज्ञात होता कि अशोक के पांच यवन राजाओं के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे जिनमें अंतियोक (एटियोकस – II थियोससीरिया का शासक ) तुरमय या तुरमाय (टालेमी II फिलाडेल्फसमिस्र का राजा अंतकिनी (एंटीगोनस गोनातास मेसीडोनिया या मकदूनिया राजा), मग (साइरीन का शासक), अलिक सुंदर (एलेक्जेंडर एपाइरस या एपीरस का राजा)
  • मेगस्थनीज, सेल्यूकस निकेटर द्वारा चंद्रगुप्त मौर्य की राज सभा में भेजा गया यूनानी राजदूत था ।
  • मेगस्थनीज ने तत्कालीन भारतीय समाज को सात श्रेणियों में विभाजित किया था, जो इस प्रकार हैं – (1) दार्शनिक, (2) कृषक, (3) पशुपालक, (4) कारीगर, (5) योद्धा, (6) निरीक्षक एवं (7) मंत्री
  • मेगस्थनीज भारतीय समाज में दास प्रथा के प्रचलित होने क उल्लेख नहीं करता है।
प्रांतराजधानी
उत्तरापथतक्षशिला
अवंतिरट्ठउज्जयिनी
कलिंगतोसली
दक्षिणापथसुवर्णगिरि
प्राच्य या पूर्वी प्रदेशपाटलिपुत्र

अशोक के अभिलेखों में मौर्य साम्राज्य के 5 प्रांतों के नाम मिलते हैं-

  • भाग एवं बलि प्राचीन भारत में राजस्व के खोत थे।
  • मौर्य मंत्रिपरिषद में राजस्व एकत्र करने का कार्य समाहर्ता के द्वारा किया जाता था।
  • अंतपाल सीमा रक्षक या सीमावर्ती दुर्गों की देखभाल करता था, जबकि प्रदेष्टा विषयों या कमिशनरियों का प्रशासक था।
  • मौर्ययुगीन अधिकारी पौतवाध्यक्ष तौल-मान का प्रभारी था।
  • पण्याध्यक्ष वाणिज्य विभाग तथा सूनाध्यक्ष बूचड़खाने के प्रभारी थे।
  • मौर्य युग में नगरों का प्रशासन नगरपालिकाओं द्वारा चलाया जाता था, जिसका प्रमुखनागरक या ‘पुरमुख्य’ था।
  • यूनानी लेखकों ने बिंदुसार को अमित्रोकेडीज कहा है, विद्वानों के अनुसार अमित्रोकेडीज का संस्कृत रूप है अमित्रघात (शत्रुओं का नाश करने वाला)
  • पुष्यमित्र शुंग ने 184 .पू. में अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या करके शुंग राजवंश की स्थापना की।
  • वायु पुराण के अनुसार, अंतिम कण्व शासक सुशर्मा अपने आंध्र जातीय भृत्य सिमुक (सिंधुक) द्वारा मार दिया गया था।
  • गिरनार क्षेत्र में चंद्रगुप्त मौर्य ने सुदर्शन झील खुदवाई तथा अशोक ने ई.पू. तीसरी शताब्दी में इससे नहरें निकालीं ।
  • शक क्षत्रप रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में इन दोनों के कार्यों का वर्णन है।