राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy)

  • भारतीय संविधान में अनुच्छेद 36 से 51 तक में राज्य नीति-निदेशक तत्व (State Policy – Directive Principles) की व्यवस्था है।
  • भारत में पंचायती राज का उल्लेख राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों (Directive Principles of State Policy) में है।

मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य (fundamental rights and duties)

  • भारतीय संविधान के भाग-3 में मूल अधिकार, भाग-4 में राज्य के नीति-निदेशक (Fundamental Rights in Part-3, Directive Principles of State Policy in Part-4)  तत्व तथा भाग-4 क में मूल कर्तव्य (Fundamental Duties in Part-4 A) का उल्लेख किया गया है।
  • वर्तमान में मूल अधिकारों की संख्या छः (number of rights six) है।
  • मूल भारतीय संविधान (original indian constitution) में मौलिक अधिकारों की संख्या सात थी।
  • 44वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा अनु. 31 तथा अनु. 19 के खंड (1) के उपखंड (च) में उल्लिखित संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया (31 and Anu. The right to property mentioned in sub-clause (f) of clause (1) of section 19 has been removed from the list of fundamental rights) गया।
  • संपत्ति के अधिकार को अनु. 300 (क) के अंतर्गत कानूनी अधिकार बनाया गया (Anu. Legal right created under 300(a) है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
  • ‘कानून का नियम’ का अर्थ है- कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति  समान (All persons are equal in the eyes of law) हैं।
  • अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक के अधिकार समानता अधिकार में शामिल हैं।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का स्रोत ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश संविधान (British Constitution) से तथा ‘विधियों का समान संरक्षण’अमेरिकी संविधान (US Constitution) से प्राप्त होता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 16(Article 16) में सार्वजनिक रोजगार से संबंधित मामलों में भारत के सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता की गारंटी दी गई है।
  • अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक चार अनुच्छेदों द्वारा स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom) प्रदान किया गया है।
  • हमारे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) 19 (1) (a) में प्रेस की स्वतंत्रता वर्णित है।
  • 17 अनुच्छेद 21क (17 Article 21A) में उल्लिखित है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का कार्य राज्य विधि द्वारा अवधारित करे। अन्य मौलिक अधिकार हैं- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  • (अनुच्छेद 25-28). संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)।
  • अनुच्छेद 22 में गिरफ्तारी और निरोध (कुछ दशाओं में) से  संरक्षण के संबंध में उपबंध हैं।
  • हमारे संविधान का अनुच्छेद 23 (Article 23) मनुष्यों के अवैध व्यापार एवं  बलात श्रम (Trafficking in human beings and forced labour) का निषेध करता है।
  • हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 में धर्म की स्वतंत्रता (freedom of religion) का उल्लेख है।
  • भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या ग्यारह (Eleven) है।
  • राष्ट्रपति (President) आपातकाल के दौरान भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर उपयुक्त प्रतिबंध लगा सकता है।
  • मौलिक अधिकार न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं, जबकि नीति- निदेशक सिद्धांत न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं हैं।
  • भारतीय भूमि पर धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव से प्रतिरक्षा (Immunity from discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth) का मौलिक अधिकार, एक विदेशी नागरिक को प्राप्त नहीं है।
  • निवारक निरोध के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 3 माह के लिए बंदी बनाया जा सकता है।
  • परमादेश (Mandamus) याचिका (Writ) का शाब्दिक अर्थ’ समादेश’ (Command) है।
  • प्रतिषेध का आदेश उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय द्वारा जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है, तो उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए (When a lower court hears a case by exceeding its jurisdiction, to prevent them from doing so) जारी होता है।
  • मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिता को प्रचालित करने की गारंटी संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32) में है।
  • नीतिनिदेशक सिद्धांतों (directive principles) में पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था की गई है। [अनु. 39 (घ)]
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(2) (Article 16(2) में वर्णित है कि धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्म-स्थान, निवास या इनमें  से किसी के आधार पर सार्वजनिक नियुक्ति के विषय में किसी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  • समानता का अधिकार राज्य की महिलाओं, बच्चों और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान बनाने की अनुमति देता है। (Allows the state to make special provisions for women, children and backward classes.)
  • हमारे संविधान में काम का अधिकार (right to work) को मूलभूत अधिकार के रूप में समावेशित नहीं किया गया है।
  • संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों में संसद (Parliament) संशोधन कर सकती है।
  • पंचायती राज व्यवस्था में, पंचायत के सदस्य ग्राम सभा की जनता द्वारा निर्वाचित (elected by the people of Gram Sabha) होते हैं।
  • किसी गिरफ्तार व्यक्ति की स्वतंत्रता या जीने के अधिकार (liberty or right to life of an arrested person) का उल्लंघन माना जाएगा यदि उसे अपने वकील से विचार-विमर्श करने का मौका नहीं दिया जाता है।
  • केवल कुछ लोगों के पास (only a few people have) ही मत देने का अधिकार होना चुनाव की प्रजातांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन नहीं करता है।
  • 86वें (86th) संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्यम से शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (Article 14) के अनुसार, भारतीय भू भाग में किसी भी व्यक्ति को, कानून की नजर में समान होने या कानून द्वारा समान सुरक्षा पाने के अधिकार की अनदेखी राज्य सरकारों द्वारा नहीं की जा सकती है।
  • हमारे संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता (equality before the law) से संबंधित है।
  • धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग अथवा जन्म-स्थान के आधार पर भेद-भाव का निषेध अनुच्छेद 15 (Article15) में किया गया है।
  • हमारे संविधान में सामाजिक समानता (social equality) की स्वीकृति है।
  • न्यायपालिका (Judiciary) मौलिक अधिकारों की रक्षक होती है।
  • किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का जब उल्लंघन होता है, तो वह सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) एवं उच्च न्यायालय (high Court) के पास जा सकता है।
  • भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 1976 (in1976) में सम्मिलित किया गया।
  • वैज्ञानिक सोच और सुधार की भावना का विकास करना भारतीय संविधान के भाग-4 क के अंतर्गत मौलिक कर्तव्य (fundamental duty) में शामिल है।