मुहावरे एवं लोकोत्तियाँ

मुहावरा की परिभाषा

विशिष्ट अर्थ की प्रतीति कराने वाले वाक्यांश को ‘मुहावरा’ कहते है। इनका प्रयोग भाषा को सजीवता और सरसता प्रदान करता है। वास्तव में इन्हें मानव जाति के अनुभवों का विलक्षण सूत्रात्मक कोष माना जा सकता है। इनमें निहित लाक्षणिकता किसी भाषा को सौष्ठव और प्रभावशीलता प्रदान करती है।

“In the Commerce of Speech use only coins of Gold and Silver.” –Joubert

अरबी भाषा का ‘मुहावर:’ शब्द हिन्दी में ‘मुहावरा’ हो गया है। उर्दू वाले ‘मुहाविरा’ बोलते हैं। मुहावरे का अर्थ एक प्रकार की बात-चीत या अभ्यास है। मुहावरा कभी-कभी रोजमर्रा या ‘वाग्धारा’ से सम्बन्धित अर्थ में भी लिया जाता है। हिन्दी में मुहावरा एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। मुहावरा का वास्तविक शब्दार्थ ‘अभ्यास’, ‘बात-चीत’ या ‘बोल-चाल’ है।

मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कारिकता और प्रवाह उत्पन्न होता है। इसका उद्देश्य है- वार्ता एवं सम्प्रेषण के दौरान श्रोता को अर्थ बोध भी हो जाये और वह उसे प्रभावित भी करे।

मुहावरों की विशेषताएँ

(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य प्रयोग में होता है, अलग से नहीं।

(2) मुहावरे का असली रूप कभी नहीं बदलता अर्थात् उन्हें पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नहीं किया जा      सकता है; जैसे- ‘कमर टूटना’ के स्थान पर ‘कटिभंग’ का प्रयोग नहीं होगा।

(3) मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, बल्कि उसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- ‘खिचड़ी पकाना’ का अपना कोई अर्थ नहीं है, पर प्रयोग करने पर इसका अर्थ ‘गुप्त रूप से सलाह करना होगा।

(4) हिन्दी में मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों से है।

(5) समाज और देश के अनुरूप मुहावरे बनते और बिगड़ते हैं।

(6) मुहावरे भाषा की समृद्धि और विकास के मापक हैं।

(7) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है; जैसे- ‘लड़ाई में खेत होना’ का अर्थ ‘युद्ध में शहीद हो जाना’ है न कि लड़ाई के स्थान पर किसी खेत का होना है।

लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ स्व भाषा भाषियों की पारस्परिक सांस्कृतिक विरासत होती हैं। वे इतिहास में किन्हीं विशिष्ट घटनाओं एवं स्थितियों से उपजती हैं और फिर भाषा के माध्यम से देश और काल में छा जाती हैं। लोकोक्तियाँ समाज का भाषायी इतिहास होती हैं, इसलिए लोकोक्तियों के माध्यम से एक समाज का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं व्यावहारिक अध्ययन किया जा सकता है।

समानता

(1) दोनों की सार्थकता प्रयोग के बाद सिद्ध होती है।

(2) दोनों में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर पर्यायवाची या समानार्थी शब्दों का प्रयोग नहीं होता है।

(3) दोनों ही गंभीर और व्यापक अनुभव की उपज हैं।

मुहावरे तथा लोकोक्तियों में अन्तर

मुहावरेलोकोक्तियाँ
1. मुहावरे अपना शाब्दिक / कोशगत अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं।1. लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं, पर उनका कोशगत अर्थ भी बना रहता है।
2. मुहावरे के अंत में क्रियापद अवश्य होता है।2. लोकोक्तियों के अंत में क्रियापद का होना आवश्यक नहीं है।
3. मुहावरा वाक्यांश होता है। उसका क्रिया रूप, लिंग, वचन, कारक के अनुसार बदल जाता है।3. लोकोक्तियाँ स्वयं में एक स्वतंत्र वाक्य होती हैं तथा प्रयोग में आने पर उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
4. मुहावरों के अंत में बहुधा ना आ जाता है; जैसे- खाक छानना, चलता बनना, चाँदी काटना।4. लोकोक्तियों के अंत में ना आना आवश्यक नहीं होता है।
5. इनमें माध्यम की आवश्यकता होती है। स्वतंत्र प्रयोग नहीं किया जा सकता है।5.माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तथा इनका स्वतंत्र प्रयोग किया जा सकता है।
6. फल से कोई सम्बन्ध नहीं।6. फल से सम्बन्ध होता है।
7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण से प्रभावशाली बनाना।7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण प्रयोग से प्रभावशाली बनाने जैसा कुछ नहीं होता।
8. उद्देश्य, विधेय का पूर्ण विधान नहीं होता। वाक्य के प्रयोग के बिना अर्थ का कोई बोध नहीं।8. उद्देश्य और विधेय दोनों का पूर्ण विधान होता है। अर्थ स्पष्ट होता है।

(4) दोनों ही विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं।

(5) दोनों ही भाषा-शैली को सरस एवं प्रभावशाली बनाते हैं।

अक्ल बड़ी या भैंस – शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना।

अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपना अहित स्वयं करना।

अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धिभ्रष्ट होना।

अपना-अपना है, पराया पराया – अपने पराये की पहचान ।

अपना सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना / निराश होना।

अपमान का घूँट पीना – मान-हानि होने पर भी चुप रहना ।

अमरबेल बनना – दृढ़तापूर्वक चिपकना ।

अन्धे को आँखें मिलना – मनोरथ सिद्ध होना।

अति करना – सीमा या मर्यादा का उल्लंघन करना ।

अन्न जल उठना – किसी स्थान से सम्बन्ध समाप्त होना / किसी दूसरे स्थान पर जाने को विवश होना।

अपनी खाल में मस्त रहना – अपने आप से संतुष्ट रहना ।

अपनी माँ का दूध पिए होना – वीर और साहसी होना।

अरक निकालना – सार निकालना।

अर्द्धचन्द्र देना – गर्दन पकड़कर निकाल देना।

अलादीन का चिराग – आश्चर्यजनक वस्तु ।

अँगूठा छाप होना – अनपढ़ होना।

अन्धा बगुला कीचड़ खाय – संसाधन की कमी से अयोग्य बनना।

अन्धा क्या जाने बसंत बहार – जिसने जो वस्तु नहीं देखी उसका आनंद क्या जाने।

अण्टी मारना – चाल चलना।

अतिशय भक्ति चोर के लक्षण – ढोंग करने वाला कपटी होता है।

अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तु को छोड़कर तुच्छ वस्तु पर ध्यान देना।

अवसर चूके डोमिनी गावे ताल बेताल – समय चूकने पर किसी बात का प्रभाव नहीं पड़ता।

अदाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज – अनहोनी / असंभव बात।

आगे कुआँ पीछे खाई – हर तरफ विपत्ति होना ।

आक़बत में दिया दिखाना – परलोक में काम आना।

आकाश का फूल – अप्राप्य वस्तु ।

आग का बाग – सुनार की अंगीठी / आतिशबाजी ।

आग लेने आना – आकर तुरन्त लौट जाना।

आग से पानी हो जाना – क्रोध शान्त हो जाना।

आटे की आया – भोली स्त्री ।

आठ-आठ आँसू रोना – बहुत रोना ।

आन की आन में – शीघ्र ही

आफ़त का परकाला – अथक परिश्रमी ।

आफ़त की पुड़िया – कष्टदायक या भयानक व्यक्ति।

आसमान पर चढ़ना – अत्यधिक अभिमान करना।

आसमान फट जाना – अनहोनी बात होना।

आकाश-पाताल एक करना – सारे प्रयास कर डालना।

आकाश – पाताल का अंतर होना बहुत बड़ा अंतर।

आकाश कुसुम होना – पहुँच के बाहर होना।

आपे के बाहर होना – अत्यंत क्रोधित होना।

आटे दाल का भाव मालूम होना – मुसीबत में पड़ना वास्तदिव स्थिति का सामना करना।

आग में घी डालना – क्रोध को बढ़ावा देना।

आसमान से बातें करना – बहुत ऊँचा होना।

आसमान के तारे तोड़ना – असम्भव कार्य करना।

आयी तो रोजी नहीं तो रोजा – कमाया तो खाया, नहीं तो भूख |

आठ बार नौ त्यौहार – मौज-मस्ती के अधिक अवसर होना।

आँचल पसारना – याचना करना।

आँख फाड़ कर देखना – घूर घूर कर देखना।

आँखों में चर्बी चढ़ना – अधिक घमंड होना / मदान्ध होना।

आँखों से गिरना – सम्मान खो देना।

आँखें पथरा जाना – आँखें थक जाना।

आँख का तारा होना – बहुत प्यारा होना।

आँख चुराना – छिप जाना/सामने न आना।

आँख रखना – निगरानी करना।

आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।

आँखों में खून उतरना – अत्यधिक क्रोध करना।

आँखें फेरना – उपेक्षा करना।

आँखों का पानी गिरना – निर्लज्ज होना।

आँखों के आगे चिनगारी छूटना – मस्तिष्क पर धक्का या चोट लगने से चकाचौंध होना।

आँखों पर रखना – सम्मानपूर्वक रखना ।

आँखों से लगाना – बहुत प्यार करना या श्रद्धा से सम्मान करना।

आँखों में सरसों फूलना – हरियाली ही हरियाली दिखायी देन

आँधी के आम – अनायास सस्ते में मिल जाने वाली वस्तु।

अंधेरे में तीर चलाना – अज्ञात में लक्ष्य प्राप्ति की कोशिश करना

इतिश्री कर देना – समाप्त कर देना।

इज्जत अपने हाथ होना – मर्यादा का वश में होना ।

इन्द्र का अखाड़ा – विलासी समाज ।

इज्जत में बट्टा लगाना – प्रतिष्ठा खराब करना।

इक नागिन अरु पंख लगाई  – दोष पर दोष होना।

इमली के पात पर बारात का डेरा – असम्भव बात।

ईंट का जवाब पत्थर से देना – किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना।

ईमान बगल में दबाना – बेईमानी करना।

ईश्वर की माया, कहीं धूप कही छाया – भाग्य की विचित्रता।

उलटा पासा पड़ना – विपरीत परिणाम निकलना।

उड़ती चिड़िया पहचानना – रहस्य की बात तत्काल जान |

उर्वशी होना – प्रिय होना।

उन्नीस-बीस होना – लगभग एक समान होना।

उतार-चढ़ाव देखना – अनुभव प्राप्त करना।  

उधेड़बुन में पड़ना – सोच-विचार में पड़ना।

उलटे मुँह गिरना – दूसरे को नीचा दिखाने के लिए स्वयं नीचा दिखना ।

उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – अपना अपराध स्वीकार न कर आँखें दिखाना।

उलटी माला फेरना – अहित सोचना।

उल्लू बोलना – उजाड़ होना।

उलटी गंगा बहाना – प्रतिकूल कार्य करना ।

ऊसर में बीज बोना – निष्फल कार्य करना।

ऊँची-नीची सुनाना – भला-बुरा कहना।

ऊँट की गरदन – ऊँची गरदन ।

एड़ी चोटी का पसीना एक करना – कठिन परिश्रम करना।

एक पंथ दो काज – एक साथ दो लाभ प्राप्त करना ।

एक ही कहना – अनोखी / विचित्र बात कहना।

एड़ी से चोटी तक – सिर से पैर तक

एड़ियाँ रगड़ना – सिफारिश के लिए चक्कर लगाना।

एक-एक नस पहचानना – सब कुछ समझना।

एक घाट का पानी पीना – एकता और सहनशीलता का होना।

एक टाँग पर खड़ा रहना – सदैव तैयार रहना ।

एक से इक्कीस करना – वृद्धि को प्राप्त होना ।

एक हाथ से ताली न बजना – एक पक्ष से कुछ नहीं होता ।

ओंठ चबाना – क्रोधित हो उठना।

ओर-छोर न मिलना – भेद का पता न चलना।

ओस पड़ जाना – कुम्हला जाना या लज्जित हो जाना।

ओंठ तक न हिलना – मुख से शब्द न निकलना।

ओंठ बिचकाना – घृणा प्रकट करना।

औंधे मुँह गिरना – धोखा खाना।

औने-पौने करना – मनमाने दाम पर बेचना।

और का और होना – कुछ का कुछ होना

और ही रंग खिलाना – कुछ विचित्र करना ।

औंधी खोपड़ी का होना – मूर्ख होना।

अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना।

अंग-अंग ढीला होना – थक जाना।

अंग में अंग न समाना – अत्यन्त प्रसन्न होना।

अंगारों पर पैर रखना – खतरनाक कार्य करना।

अंगारे उगलना – क्रोध में कठोर वचन बोलना।

अंजर पंजर ढीला होना – दुर्बल हो जाना।

कमर खोलना – आराम करना।

कलेजे पर पत्थर रखना – मुश्किल से धैर्य धारण करना।

कच्ची गोटी खेलना – असफल प्रयास / अनुभवहीन |

कफन से सिर बाँधना – हर तरह की बाधा झेलने के लिए तत्पर |

कटकर रह जाना – अत्यन्त लज्जित होना।

कन्धे से कन्धे मिलाना – पूर्ण रूप से सहयोग देना।

कन्धा डालना – हार मान लेना।

कन्धा लगाना – सहारा बनना।

कहकहा मारना – खूब जोर से हँसना।

कदम पर कदम रखना – अनुसरण करना।

कलेजा थामकर रह जाना – मन मसोस कर रह जाना।

कल पड़ना – चैन मिलना।

कल्पना के घोड़े दौड़ाना – बिना सिर-पैर की बात करना।

कलेजा दो टूक होना – बहुत दुःखी होना।

कलेजा मुँह को आना – दुःख होना।

कमी घी घना, कमी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना – व्यक्ति की स्थिति सदा समान नहीं रहती ।

कौआ चला हंस की चाल-अन्ध – अनुकरण करना।

कूद-कूद मछली बगुले को खाय – बिल्कुल विपरीत कार्य होना।

कान पर जूँ न रेंगना – किसी बात पर ध्यान न देना।

काजल की कोठरी – कलंकित होने का स्थान।

काटो तो खून नहीं – बहुत डर जाना।

कागज की नाव – अस्थायी वस्तु ।

कान पकड़ना – गलती स्वीकार करना।

कान में तेल डाले बैठना – अनसुनी कर देना।

कागज काले करना – व्यर्थ लिखना ।

कान खाना – ज्यादा बातें करके कष्ट पहुँचाना।

कान फूँकना – चुपके से कह देना।

कान लगाना – ध्यान देना।

काठ का उल्लू – बड़ा मूर्ख ।

कागजी घोड़े दौड़ाना – खूब लिखा-पढ़ी करना।

काफूर होना – गायब होना।

काया पलट जाना – भारी परिवर्तन होना।

कोठी वाला रोये छप्पर वाला सोये – अधिक समृद्धि भी दुखदायी होती है।

किये कराये पर पानी फेरना – बिगाड़ देना।

कौवे उड़ाना – निकृष्ट कार्य करना ।

किताब का कीड़ा होना – अधिक पढ़ने वाला।

कुत्ते की चाल जाना, बिल्ली की चाल आना – बहुत जल्द जाना- आना।

कुम्हड़े की बतिया – कोमल और अशक्त व्यक्ति।

कुल्हिया में गुड़ फोड़ना – छिपाकर काम करना।

कूच कर जाना – प्रस्थान कर जाना।

कूप मण्डूक – संकुचित ज्ञान वाला।

कीचड़ उछालना – बदनाम करना |

कौड़ी के मोल – बिकना बेकार।

कुआँ खोदकर पानी पीना – जीविका हेतु श्रम करना ।

कुएँ में बाँस डालना – बहुत खोज करना ।

कलेजा दूना होना – साहस बढ़ना।

कलेजा थामकर बैठना – बड़े इत्मीनान के साथ बैठना।

काँटों पर लोटना – दुःख से लड़ना।

कानों कान खबर न होना – किसी को जानकारी न होना।

कारूँ का खजाना – कुबेर का कोष / अतुल धनराशि ।

काशी करवट लेना – कठोर से कठोर दुःख सहना।

काठ की पुतली होना – शक्तिहीन होना।

कान खड़े होना – भयभीत होना / चौकन्ना होना।

कै हंसा मोती चुगै कै भूखा रह जाय – प्रतिष्ठा के विरुद्ध कार्य न करना।

कैफियत तलब करना – कारण पूछना।

काले के आगे दीया नहीं जलता – बलवान के आगे किसी का वश नहीं चलता।

कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाई – कितना भी प्रयत्न किया जाय स्वभाव नहीं बदलता।

कोदी डरावे थूक से – निर्बल, थोथे आचरण से दूसरों को डराते हैं।

कोठी बैठना – दिवाला निकलना।

खाल उठाय सिंह की स्यार सिंह नहिं होय – बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते।

खरी मजूरी चोखा काम – उचित पारिश्रमिक से ही अच्छा काम होता है।

खूँटा के बल बछड़ा कूदे – दूसरे के बल पर काम करना ।

खाक में मिलाना – नष्ट कर देना।

खेल बिगाड़ना – काम बिगाड़ना।

खड़िया में कोयल – बेमेल मिश्रण

खबर लेना – दण्ड देना / देखभाल करना ।

खेत रहना – लड़ाई में मारा जाना।

खाक उड़ाते फिरना – भटकना ।

खुशामदी टट्टू होना – चापलूस होना।

खुगीर की भर्ती – व्यर्थ पदार्थों का संग्रह।

खाला का घर – अपना घर / सहज काम।

खुला खेल फर्रुखाबादी – निष्कपट व्यवहार ।

खिल्लियाँ उड़ाना – उपहास करना ।

ख्याली पुलाव पकाना – मनमानी कल्पना करना।

खटाई में पड़ना – व्यवधान आ जाना।

खरी खोटी सुनाना – डाँटना फटकारना ।

खिचड़ी पकाना – आन्तरिक षड्यन्त्र रचना

खाक छानना – भटकते रहना।

गुदड़ी का लाल दीनता में अभ्युन्नति करने वाला ।

गाल फुलाना – रूठना / नाराज होना।

गले का हार होना – अत्यन्त प्रिय होना ।

गड़े मुर्दे उखाड़ना – निरर्थक पुरानी बातों को उद्घाटित करना |

गज भर की छाती होना – गर्व महसूस करना ।

गढ़ फतह करना – बहुत कठिन काम करना ।

गति पाना – मोक्ष पाना।

गति होना – किसी विषय की जानकारी होना ।

गर्दन पर छुरी फेरना – हानि पहुँचाना।

गंगा नहाना – कठिन कार्य पूरा होना।

गिरगिट की तरह रंग बदलना – एक रंग-ढंग पर न रहन अवसरवादी होना।

गोबर गणेश – बेवकूफ |

गागर में सागर भरना – थोड़े में ही सब कुछ कह देना।

गिन-गिन कर दिन काटना – परेशानी में जीवन बिताना।

गुल खिलाना – कोई बखेड़ा खड़ा करना ।

गूलर का कीड़ा – अल्पज्ञ व्यक्ति ।

गाढ़े का साथी – संकटकाल में सहायता करने वाला।

गाढ़े की नाव – संकट के समय का सहायक।

गरम होना – नाराज होना।

गर्दन फंसाना – परेशानी में पड़ना ।

गुस्सा पीना – क्रोध प्रकट न करना।

गाँठ बाँधना – हमेशा याद रखना।

गहरा हाथ मारना – अच्छी वस्तु प्राप्त करना ।

गोटी बैठना – युक्ति सफल होना।

गूंगे का गुड़ – अकथनीय सुख ।

गोलमाल करना – गड़बड़ करना।

गयी माँगने पूत खो आई भरतार – थोड़े लाभ के चक्कर में अधिक नुकसान

गरीब की जोरू सबकी भौजाई – कमजोर से सब लाभ उठाते हैं।

गरीब की हाय बुरी होती है – गरीब को सताना बहुत बुरा होता है।

गोद में बैठकर आँख में उंगली – भलाई के बदले बुराई।

गागर में अनाज, गँवार का राज – मूर्ख थोड़े में इतरा जाते हैं।

गोद में छोरा शहर में ढिंढोरा – पास में रही वस्तु की दूर तक तलाश।

गौ का यार – स्वार्थी ।

गुरु कीजै जान, पानी पीजै छान – जानकारी प्राप्त कर ही कोई काम करना।

घर फूँक तमाशा देखना – अपना नुकसान करके मौज उड़ाना।

घोड़े के आगे गाड़ी रखना – विपरीत कार्य करना।

घिग्घी बँधना – स्पष्ट बोल न सकना।

घूँघट की लाज – आत्म-सम्मान की सुरक्षा ।

घाट घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना।

घाव हरा होना – कष्ट का पुनः प्रादुर्भाव ।

घर में गंगा बहना – अच्छी चीज पास में मिल जाना।

चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – भयभीत होना/दोषारोपण से दब जाना।

चादर से बाहर पैर पसारना – आय से अधिक व्यय करना।

चैन की वंशी बजाना – सुखमय जीवन व्यतीत करना।

चोर-चोर मौसेरे भाई – एक ही स्वभाव के लोग।

चोली दामन का साथ – परस्पर गहरा प्रेम।

चार चाँद लगना – शोभा में वृद्धि होना।

चूड़ियाँ पहनना – कायर होना।

चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।

चाँदी का चश्मा लगाना – रिश्वत लेकर किसी का काम करना।

चाँदी कटना – खूब लाभ होना।

चंदी का जूता मारना – धन का लालच देना।

चाँद पर थूकना – निर्दोष को कलंकित करना ।

चम्पत होना – भाग जाना।

टुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बाँधेगा – थोड़े-थोड़े इकट्ठा करके धनी होना।

चुपड़ी और दो-दो – दोहरा लाभ।

चुल्लू में उल्लू होना – बहुत थोड़ी-सी भाँग या शराब पीने से बेसुध हो जाना।

चील के घोसले में मांस कहाँ – जहाँ कुछ भी बचने की सम्भावना न हो।

चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले – ताकतवर आदमी से दो लोग भी हार जाते हैं।

छठी का राजा – पुराना रईस ।

छठी में न पड़ना – भाग्य में न होना |

छत्तीस बनना – विरक्त विरोधी होना।

छाती दूनी होना – बहुत ही उत्साहित होना

छाती पर पत्थर रखना – शान्त भाव से कष्ट सह लेना।

छुपा रुस्तम – सामान्य लक्षित, किन्तु असाधारण

जहर का घूंट पीना – असहज स्थिति को भी सहन करना।

जल में रहे मगर से बैर – सहारा देने वाले से ही दुश्मनी मोल लेना।

जन्म भरना – दुःखपूर्वक जीवन व्यतीत करना।

जने-जने की लकड़ी एक जने का बोझ – सभी के प्रयत्न से कार्य पूरा होता है।

जर है तो नर, नहीं तो खंडहर – धन से ही आदमी की इज्जत है।

जब नाचने निकली तो घूँघट क्या – काम करने में लाज क्या।

जमीन आसमान एक करना – कोई भी उपाय न छोड़ना ।

जी जान से खेलना – जीवन की परवाह न करना

जी नहीं भरना – सन्तोष नहीं होना।

जंजाल में फंसना – झंझट में पड़ना।

जलती आग में घी डालना – विवाद बढ़ाना या उदीप्त करना।

बगुला भगत होना – कपटी होना।

बाँसों उछलना – बहुत प्रसन्न होना।

बट्टा लगाना – दोष मढ़ना।

बछिया का ताऊ – बिल्कुल मूर्ख।

बीड़ा उठाना – उत्तरदायित्व सम्भालना ।

बोली मारना – व्यंग्य करना।

बात का धनी होना – वचन का पक्का होना।

बिल्ली के गले घण्टी बाँधना – अपने को संकट में डालना।

बसन्त के कोकिल – अच्छे दिनों के साथी ।

बन्दर घुड़की देना – व्यर्थ की धमकी देना।

बालू से तेल निकालना – असम्भव कार्य करना।

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख किसी अच्छी वस्तु का महत्त्व नहीं समझ सकता।

बड़े-बड़े वह गए गदहा कहे/पूछे कितना पानी – शक्ति सम्पन्न लोगों के अशक्त होने के उपरान्त छुटभैयों की डींग हाँकना ।

बाँझ क्या जाने प्रसूत (प्रसव ) की पीड़ा – दुःख भोगने वाला ही दुःख को जानता है।

भीगी बिल्ली बन जाना – डर जाना।

भीम के हाथी – न लौटने वाला पदार्थ।

भेड़ बना लेना – अपने वश में करके जो चाहना वह करवाना।

मुस्स में आग लगा जमालो दूर खड़ी – स्थायी विग्रह का बीजारोपण कर तटस्थ की भूमिका अदा करना।

भगीरथ प्रयत्न करना – अथक प्रयास करना।

भूंजी भाँग न होना – कुछ भी पास न होना।

भूखे भजन न होय गोपाला – खाली पेट कुछ नहीं किया जा सकता।

मन चंगा तो कठौती में गंगा – पवित्र हृदय ही तीर्थ है।

मैदान मारना – जीत हासिल करना।

मीन मेख करना – गलती निकालना।

मुँह बनाना – खीझ प्रकट करना।

मुँह में राम बगल में छुरी – प्रत्यक्ष में हितकर, परोक्ष में हानिकारक |

मुँह फिर जाना – मतलब समाप्त हो जाना।

मुँह पर नाक न होना – निर्लज्ज होना।

मूँछ नीची होना – प्रतिष्ठा का हनन ।

मरी गाय बामन को दान – किसी को बेकार चीज देना।

मन के लड्डू खाना – व्यर्थ की आशा में प्रसन्न रहना ।

मन की मन में रखना – व्यक्त न करना ।

मीठी छुरी चलाना – विश्वासघात करना ।

म्याऊँ का ठौर पकड़ना – खतरे में पड़ना।

मिट्टी के माधो – निरा मूर्ख ।

मिट्टी के मोल बिकना – अत्यधिक सस्ता होना।

मेंढकी को जुकाम – अपनी औकात से ज्यादा नखरे ।

मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त – प्रमुख की अपेक्षा सहायकों का बढ़- चढ़कर हिस्सा लेना ।

मोतियों से मुँह भर देना – मालामाल कर देना।

युधिष्ठिर होना – सत्यप्रिय होना।

योगी था सो उठ गया आसन रही मभूत – पुराना गौरव समाप्त।

रुस्तम होना – अति बहादुर ।

रंगे हाथों पकड़ना – अपराध / गलत काम करते हुए पकड़ना

रंग जमाना – अत्यधिक प्रभावित करना।

रोंगटे खड़े हो जाना – डर जाना।

राई से पर्वत करना – तुच्छ बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना |

लाद दे, लदा दे, लाद के पहुँचा दे – सब कार्य दूसरे ही कर दे |

लूट में चटखा नफा – मुफ्त में जो मिले वही फायदा।

लकड़ी के बल बन्दर नाचे – भयवश काम करना।

लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना ।

विधि का लिखा को मेटनहार – होनी होकर ही रहती है।

शौकीन बुढ़िया चटाई का लहँगा – विचित्र शौक।

सिक्का जमाना – प्रभाव स्थापित करना।

साढ़े साती लगना – विपत्ति घेरना।

सोना (कंचन) बरसना – बहुत अधिक लाभ होना।

सोने का मृग – विभ्रम / मायावी की स्थिति ।

सोने पे सुहागा – अत्यधिक गुणवान ।

हाथ बाँधना – मजबूर करना ।

हाथ जोड़ना – विनती करना ।

हाथ-पाँव फूलना – डर जाना।

हवाई किले बनाना – कल्पना की उड़ान भरना ।

हाथों-हाथ लेना – तेजी से बिक जाना।

हथियार डाल देना – हार स्वीकार कर लेना।

हौसला पस्त होना – उत्साह न रह जाना / उत्साह क्षीण होना |

हथेली खुजलाना – धन प्राप्ति की आशा ।