सल्तनत काल (Delhi Sultanate)

सल्तनत काल (Delhi Sultanate):

  • मक्का’ सऊदी अरब में स्थित है, यहीं पर 570 ई. में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद का जन्म (Birth of Hazrat Muhammad )हुआ था।
  • मुहम्मद साहब मक्का से मदीना 622 ई. में प्रस्थान किए थे।
  • हिजरी संवत् (Hijri era )का प्रारंभ 622 ई. में हुआ था।
  • मुहम्मद साहब की मृत्यु 632 ई. में हुई थी।
  • फारसी ग्रंथ चचनामा’ (‘Chachnama’ )से अरबों द्वारा सिंध विजय की जानकारी  मिलती है।
  • 999 से 1027 ई. के बीच महमूद गजनी (Mahmood Ghazni )(या गजनवी) ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
  • महमूद गजनवी का दरबारी इतिहासकार उत्वी (Utvi )था।
  • उसने किताब-उल- यामिनी’ (‘Kitab-ul-Yamini’)अथवा तारीख-ए- यामिनी’ (‘Tarikh-e-Yamini’ )नामक ग्रंथ की रचना की।
  • फिरदौसी (firdausi )को पूर्व के होमर की उपाधि दी जाती है।
  • पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान अलबरूनी (Alberuni )था।
  • अलबरूनी ने अरबी भाषा में तहकीक-ए-हिंद‘ (‘Tahkeek-e-Hind’)की रचना थी।
  • शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी का प्रथम आक्रमण 1175 ई.में मुल्तान पर हुआ।
  • 1191 ई. में पृथ्वीराज चौहान और गोरी के मध्य तराइन के प्रथम युद्ध (First Battle of Tarain )हुआ। इस युद्ध में शिहाबुद्दीन की सेना के दोनों पार्श्व (lateral )परास्त हो गए।
  • 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध (Second Battle of Tarain )में मुहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई।
  • 1194 ई. में चंदावर के युद्ध (Battle of Chandawar )में मुहम्मद गोरी ने कन्नौज के गहड़वाल राजा जयचंद को पराजित किया था।
  • मुहम्मद गोरी के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी की आकृति (Goddess Lakshmi figure )बनी है और दूसरे तरफ कलमा (Kalma on the other hand )(अरबी में) खुदा हुआ है।
  • 1206 से 1290 ई. तक दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गुलाम वंश के सुल्तानों (sultans of slave dynasty ) के नाम से विख्यात हुए।
  • भारत में गुलाम वंश का प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutubuddin Aibak )(1206-10 ई.) था।
  • ऐबक की राजधानी लाहौर (Lahore )थी।
  • ऐबक ने कभी सुल्तान’ (‘Sultan’) की उपाधि धारण नहीं की।
  • उसने केवल मलिक’ (‘Malik’) और सिपहसालार’ (‘Warlord’)की पदवियों से ही अपने को संतुष्ट रखा।
  • अपनी उदारता के कारण कुतुबुद्दीन ऐबक इतना अधिक दान करता था कि उसे ‘लाख बख्श’ (‘Lakh Baksh’ )(लाखों को देने वाला) के नाम से पुकारा गया।
सल्तनतकालीन प्रमुख भवन
भवननिर्मातास्थल
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिदकुतुबुद्दीन ऐबकदिल्ली
कुतुबमीनार का निर्माणकुतुबुद्दीन ऐबकदिल्ली
अढ़ाई दिन का झोपड़ाकुतुबुद्दीन ऐबकअजमेर
अतारकिन का दरवाजाइल्तुतमिशनागौर
इल्तुतमिश का मकबरा   इल्तुतमिशदिल्ली
सीरी का किला         अलाउद्दीन खिलजीदिल्ली
अलाई दरवाजाअलाउद्दीन खिलजीदिल्ली
गयासुद्दीन का मकबरा गयासुद्दीन तुगलकदिल्ली
आदिलाबाद का किला  मुहम्मद तुगलकदिल्ली
जहांपनाह नगर मुहम्मद तुगलक दिल्ली
अदीना मस्जिद   सिकंदर शाहपांडुआ(बंगाल)
कोटला फिरोजशाह किलाफिरोज तुगलकदिल्ली
अटाला मस्जिदइब्राहिम शाह शर्कीजौनपुर
हिंडोला महलहुशंगशाह मांडू
जहाज महलहुशंगशाह मांडू
चांद मीनार ( चार मीनार)कुली कुतुबशाहहैदराबाद
विजय स्तंभ                       राणा कुम्भा                       चित्तौड़
  • सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु चौगान के खेल (quadrangular games )( आधुनिक पोलो की भांति का एक खेल) में घोड़े से गिरने के दौरान 1210 ई. में हुई थी। उसे लाहौर में दफनाया गया।
  • दिल्ली का पहला सुल्तान इल्तुतमिश (first sultan iltutmish )था।
  • खलीफा ने 1229 ई. में इल्तुतमिश के शासन की पुष्टि उन सारे क्षेत्रों में कर दी, जो उसने विजित किया और उसे सुल्तान-ए-आजम’ (‘Sultan-e-Azam’) की उपाधि प्रदान की।
  • सल्तनत युग के दो महत्वपूर्ण सिक्के चांदी का टंका (silver tank )(175 ग्रेन) और तांबे का जीतल (copper jital )इल्तुतमिश ने आरंभ किए तथा सिक्कों पर टकसाल का नाम लिखवाने की परंपरा शुरू की।
  • मंगोल नेता चंगेज खां (Genghis Khan ) भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर इल्तुतमिश के शासनकाल में आया था।
  • मध्यकालीन भारत की प्रथम महिला शासिका रजिया सुल्तान (razia sultan )(1236-40) थीं।
  • 3 सुल्तान बलबन का पूरा नाम गयासुद्दीन बलबन (Ghiyasuddin Balban ) था।
  • उसे उलूग खां (ulugh khan )के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1249 ई. में बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह सुल्तान नासिरुद्दीन (sultan nasiruddin )से किया।
  • इस अवसर पर उसे उलूग खां’ (‘Ulugh Khan’ )की उपाधि और नायब-ए- ममलिकात’ (‘Naib-e-Mamlikat’ )का पद दिया गया।
  • बलबन के विषय में कहा गया है कि उसने रक्त और लौह’ (‘Blood and Iron’)की नीति अपनाई थी।
  • बलबन (Balban )ने फारस के लोक-प्रचलित वीरों से प्रेरणा लेकर अपना राजनीतिक आदर्श निर्मित किया था।
  • राजा को धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि नियामत-ए-खुदाई’ (‘Niyamat-e-Khudai’)माना गया।
  • उसके अनुसार मान-मर्यादा (dignity )में वह केवल पैगंबर के बाद है।
  • राजा जिल्ले अल्लाह’ (‘Jille Allah’ ) या जिल्ले इलाही’ (‘Shadow of God’)अर्थात ईश्वर का प्रतिबिंब’ (‘Reflection of God’)है।
  • बलवन ने ईरानी बादशाहों की कई परंपराओं को अपने दरबार में आरंभ किया।
  • बलवन ने सिजदा (prostrate ) (भूमि पर लेटकर अभिवादन करना) और पावोस (Pavos )(सुल्तान के चरणों को चूमना) की रीतियां आरंभ कीं।
  • बलबन ने अपने दरबार में प्रतिवर्ष फारसी त्यौहार नौरोज’ (‘Nauroz’) बड़ी शानो-शौकत के साथ मनाने की प्रथा आरंभ की।
  • अलाउद्दीन (Alauddin ) दिल्ली (का पहला सुल्तान था, जिसने धर्म पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया।
  • उसने अपने आपको यामिन-उल-खिलाफत नासिरी अमीर- उल-मुमनिन’ बताया।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने सिकंदर द्वितीय सानी’ (‘Sikander II Sani’ ) की उपाधि धारण की और उसे अपने सिक्कों पर अंकित करवाया।
  • पद्मिनी, (Padmini,)राणा रतन सिंह की पत्नी थीं।
  • पदमिनी की कहानी का आधार 1540 ई. में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखित काव्य-पुस्तक पद्मावत’ (‘Padmavat’) है।
  • अलाउद्दीन के आक्रमण के समय देवगिरि का शासक रामचंद्रदेव (Ramchandradev, ruler of Devagiri ) था।
  • मलिक काफूर (Malik Kafur )को अलाउद्दीन ने अपनी गुजरात विजय के दौरान प्राप्त किया था।
  • मलिक काफूर को हजार-दीनारी’ (‘thousand-denari’) भी कहा जाता था।
  • अलाउद्दीन (Alauddin ) पहला सुल्तान था जिसने भूमि की पैमाइश करा कर लगान वसूल करना आरंभ किया।
  • अलाउद्दीन ने एक पृथक विभाग “दीवान-ए-मुस्तखराज(Diwan-i-Mustakhraj )की स्थापना की।
  • अलाउद्दीन (Alauddin )ने परंपरागत लगान अधिकारियों (खुत्त, मुकद्दम एवं चौधरी) से लगान वसूल करने का अधिकार छीन लिया था।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने उपज का 50 प्रतिशत भूमिकर (50 percent land tax on produce )(खराज ) के रूप में निश्चित किया।
  • सल्तनतकालीन शासक अलाउद्दीन खिलजी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (‘Public Distribution System’ )प्रारंभ की थी।
  • अलाउद्दीन खिलजी द्वारा लगाए गए दो नवीन कर थे- घरी कर’ (‘household tax’)जो कि घरों एवं झोपड़ियों पर लगाया जाता था तथा चराई कर’ ‘(grazing tax’ )जो कि दुधारू पशुओं पर लगाया जाता था।
  • अलाउद्दीन के सेनापतियों में गयासुद्दीन तुगलक (Ghiyasuddin Tughlaq ) या गाजी मलिक (Ghazi Malik ) तुगलक वंश का प्रथम शासक था।
  • दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351) सर्वाधिक विद्वान most learned एवं शिक्षित शासक (educated ruler )था।
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नए विभाग दीवान-ए-अमीर-ए-कोही’ (‘Diwan-e-Amir-e-Kohi’) की स्थापना की।
  • इब्नबतूता (Ibn Battuta )(1333-1347 ) मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
  • रेहला (Rehla )इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है।
  • यह मुहम्मद बिन तुगलक (Muhammad bin Tughlaq ) के कार्यकाल (1325-51 ) में भारत आया।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के निधन पर बदायूंनी ने लिखा है, सुल्तान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुल्तान से मुक्ति मिल गई।”
  • फिरोज शाह तुगलक (Firoz Shah Tughlaq )ने एक विभाग दीवान-ए-खैरात’ (‘Diwan-e-Khairat’ ) स्थापित किया था, जो गरीब मुसलमानों, अनाथ स्त्रियों एवं विधवाओं को आर्थिक सहायता देता था और निर्धन मुसलमान लड़कियों के विवाह की व्यवस्था करता था।
  • सल्तनत काल में सर्वप्रथम फिरोज शाह तुगलक ने ही लोक निर्माण विभाग की स्थापना की थी।
  • सिंचाई की सुविधा के लिए फिरोज तुगलक ने पांच बड़ी नहरों का निर्माण कराया तथा 1200 बागों को लगवाया था।
  • फिरोज तुगलक उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात हक्क-ए-शर्व’ (‘Haq-e-Sharv’ )नामक सिंचाई कर लगाने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान था।
  • फिरोज तुगलक द्वारा ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया गया था।
  • फिरोज शाह तुगलक (Firoz Shah Tughlaq ) (द्वारा अशोक के दो स्तंभों को मेरठ एवं टोपरा (अब अम्बाला जिले में) से दिल्ली लाया गया।
  • राज्य के खर्च पर हज की व्यवस्था करने वाला पहला भारतीय शासक फिरोज तुगलक (First Indian ruler Firoz Tughlaq ) था।
  • फिरोज शाह तुगलक ने दारुलशफा’(‘Darulshafa) नामक एक खैराती अस्पताल की स्थापना भी की और उसमें कुशल हकीम रखे।
  • नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मध्य एशिया के महान मंगोल सेनानायक तैमूर ने भारत पर आक्रमण (1398 ई.) किया।
  • खिलजी वंश का संस्थापक – जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (Jalaluddin Firoz Khilji)
  • तुगलक वंश का संस्थापक – गयासुद्दीन तुगलक (Ghiyasuddin Tughlaq)
  • सैय्यद वंश का संस्थापक – खिज्र खां (Khizr Khan)
  • लोदी वंश का संस्थापक – बहलोल लोदी (Bahlol Lodi)
  • आगरा की स्थापना – सिकंदर लोदी (Sikandar Lodhi)
  • 1518 ई. में महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के मध्य घटोली का युद्ध (Battle of Ghatoli )हुआ। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी पराजित हुआ था।
  • नाप का पैमाना गज-ए-सिकंदरी’ (‘Gaj-e-Sikandari’)सिकंदर लोदी के समय में आरंभ किया गया।
  • सिकंदर लोदी के समय में गायन विद्या के एक श्रेष्ठ ग्रंथ लज्जत-ए-सिकंदरशाही’ (‘Lajjat-e-Sikandarshahi’ )की रचना हुई। सिकंदर लोदी शहनाई सुनने का बहुत शौकीन था ।
  • सिकंदर लोदी गुलरुखी’ (‘Gulrukhi’)उपनाम से कविताएं लिखता था।
  • सुल्तान सिकंदर ने अनाज से जकात (संपत्ति कर) समाप्त कर दिया।
  • जौनपुर (Jaunpur )की स्थापना फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई जौना खां (मुहम्मद बिन तुगलक) की स्मृति में की थी।
  • जौनपुर का संस्थापक मलिक सरवर (Malik Sarwar ) था, जिसने स्वतंत्र शर्की राज्य की स्थापना की।
  • शर्की शासकों ने लगभग 85 वर्षों तक जौनपुर की स्वतंत्रता को स्थापित रखा, किंतु 1479 ई. में बहलोल लोदी (Bahlol Lodi ) ने इसके अंतिम शासक हुसैन शाह शर्की को पराजित कर जौनपुर को पुनः दिल्ली सल्तनत का अंग बना लिया।
  • इब्राहिम शाह शर्की (Ibrahim Shah Sharqi ) (1402-40 ई.) जौनपुर के शर्की वंश का सबसे महान शासक था।
  • फैल गई और जौनपुर भारत का सिराज’ (‘Siraj of India’ )नाम से विख्यात गया।
  • 1420 ई. में अलीशाह का भाई शाही खां जैन -उल- आबेदीन (Shahi Khan Zain-ul-Abedin )के नाम से कश्मीर के सिंहासन पर बैठा ।
  • इनका शासनकाल 1420-1470 ई. तक था।
  • उसकी धार्मिक उदारता के कारण उसकी तुलना मुगल बादशाह अकबर से की जाती है। उसे कश्मीर का अकबर’ (‘Akbar of Kashmir’ )कहा जाता था।
  • वूलर झील’ में ‘जौना लंका’ जौनूक लेक (द्वीप) नामक द्वीप का निर्माण जैन-उल आबेदीन ने ही करवाया था।
  • बहमनी राज्य से स्वतंत्र हुए राज्य हैं-
राज्यसंस्थापकराजवंश
बरारफ़तेहउल्ला इमादशाहइमादशाही वंश
बीजापुरयूसुफ आदिलशाहआदिलशाही वंश
अहमदनगरमलिक अहमदनिजामशाही वंश
गोलकुंडाकुली कुतुबशाहकुतुबशाही वंश
बीदरअमीर अली बरीदवरीदशाही वंश
  • विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर (Harihar )तथा बुक्का (Bukka )ने 1336 ने ई. में की थी। विजयनगर साम्राज्य के चार राजवंशों – संगम वंश (1336-1485), सालुव वंश (1485-1505), तुलुव वंश (1505- 1570) एवं अरावीडु वंश ने लगभग 300 वर्षों तक शासन किया।
  • 1377 ई. में बुक्का की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हरिहर द्वितीय (Harihara II )(1377-1404 ई.) सिंहासन पर बैठा ।
  • उसने महाराजाधिराज‘ (‘Maharajadhiraj’) की उपाधि धारण की।
  • कृष्णदेव राय का शासनकाल (1509-1529 ई.) विजयनगर में साहित्य का क्लासिकी युग (classical period of literature ) माना जाता है।
  • उसके दरबार को तेलुगू के आठ महान विद्वान एवं कवि’, (‘Eight great scholars and poets’, )(जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता है) सुशोभित करते थे।
  • कृष्णदेव राय के शासनकाल को तेलुगू साहित्य का स्वर्ण युग (Golden Age of Telugu Literature )भी कहा जाता है।
  • उनकी प्रमुख रचना – अमुक्तमाल्यद’ (‘Amuktmalyad’)थी, जो तेलुगू भाषा पांच महाकाव्यों में से एक है।
  • कृष्णदेव राय ने नागलपुर (Nagalpur )नामक नगर की स्थापना की। उसके समय में पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पायस’ (‘Domingo Pies’ )ने विजयनगर साम्राज्य की यात्रा की।
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा (बाबरनामा- तुर्की भाषा में) में कृष्णदेव राय को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है।
  • 1565 ई. में तालीकोटा (Talikota )के प्रसिद्ध युद्ध में बहमनी राज्यों की संयुक्त सेनाओं ने विजयनगर को पराजित किया। इस संयुक्त सेना में केवल बरार शामिल नहीं था।
  • होयसल राजवंश की राजधानी द्वारसमुद्र (Dwarasamudra ) का वर्तमान नाम हलेबिड (Halebid )है, जो कर्नाटक के हासन जिले में है।
  • हम्पी (Hampi) के खंडहर (वर्तमान उत्तरी कर्नाटक में अवस्थित) विजयनगर साम्राज्य की प्राचीन राजधानी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • विजयनगर काल में बना विरूपाक्ष मंदिर (Virupaksha Temple )यहीं पर अवस्थित है।
  • विट्ठल मंदिर (हम्पी) का निर्माण (Construction of Vittala Temple (Hampi) )विजयनगर साम्राज्य के तुलुव वंश के महाप्रतापी राजा कृष्णदेव राय (1509-29 ई.) ने करवाया था।
  • प्रशासनिक विभाग एवं इसे प्रारंभ करने वाले शासक निम्न हैं-
विभागसंस्थापक शासक
दीवान-ए-मुस्तखराज (राजस्व विभाग)अलाउद्दीन खिलजी
दीवान-ए-रियासत (बाजार नियंत्रण विभाग)अलाउद्दीन खिलजी
दीवान-ए- अमरकोही (कृषि विभाग)मुहम्मद बिन तुगलक
दीवान-ए- खैरात (दान विभाग)फिरोज तुगलक
दीवान-ए-बन्दगानफिरोज तुगलक
विभाग एवं उनकी कार्यविधियां
दीवाने अर्जसेना विभाग से सम्बंधित
दीवाने रिसालतधार्मिक मुद्दों से सम्बंधित
दीवाने इन्शासरकारी पत्र व्यवहार से सम्बंधित
दीवाने वजारतवित्तीय मामलात से सम्बंधित
  • अलाउद्दीन मसूद शाह (Alauddin Masood Shah )( 1242-46 ई.) के सिक्के पर सर्वप्रथम बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम अंकित हुआ था।
  • अलाई दरवाजा’ (‘Alai Darwaza’) का निर्माण सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने ‘कुतुबमीनार’ के निकट करवाया था।
  • मालवा विजय के उपलक्ष्य में मेवाड़ के राणा कुंभा ने कीर्ति स्तंभ (Kirti Stambh ) का निर्माण करवाया था।
  • सही सुमेलित हैं –
स्मारकशासक
दोहरा गुबंदसिकंदर लोदी
अष्टभुजीय मकबराशेरशाह
जहाँगीरी महलअकबर
गोल गुंबदमुहम्मद आदिलशाह
  • अबुल हसन यामिनुद्दीन खुसरो (Abul Hasan Yaminuddin Khusro ) जिसे प्रायः अमीर खुसरो के नाम से जाना जाता है, का जन्म 1253 ई. (651 हिजरी ) में उत्तर प्रदेश के वर्तमान कासगंज जिले के पटियाली नामक स्थान पर हुआ था।
  • ‘खुसरो ने स्वयं को तूती-ए-हिंद’ (‘Tutti-e-Hind’ ) कहा है।
  • अमीर खुसरो की रचनाओं में मिफ्ताह-उल- फुतूह, तारीख-ए- दिल्ली, खजाइन – उल – फुतूह (तारीख-ए-अलाई), आशिका, नूह सिपिहर तथा तुगलकनामा प्रमुख हैं।
  • खुसरो पहला मुसलमान था, जिसने भारतीय होने का दावा (claim to be an indian )किया था।
  • नई फारसी काव्य शैली सबक-ए-हिंदी’ (‘Sabak-e-Hindi’) या हिंदुस्तानी शैली का जन्मदाता अमीर खुसरो को माना जाता है।
  • जियाउद्दीन बरनी ने फारसी में तारीख-ए-फिरोजशाही’ (‘Tarikh-e-Firozshahi’ ) की रचना की थी।
  • संगीत यंत्रों तबला’ (‘Tabla’) तथा सितार’ (‘Sitar’) का प्रचलन 13वीं शताब्दी में अमीर खुसरो ने ही किया था।
  • राणा कुंभा (Rana Kumbha ) ने संगीतशास्त्र पर संगीत मीमांसा, संगीत राज आदि ग्रंथों का प्रणयन किया।
  • तुगलक वंशीय शासक फिरोजशाह तुगलक ने अपना संस्मरण फुतुहात – ए फिरोजशाही’ (‘Futhuhat – A Firozshahi’ ) के नाम से लिखा है।
  • कबीर (Kabir )(1398-1518 ई.) रामानंद के 12 शिष्यों में से प्रमुख थे।
  • सबद’, ‘साखी’ (‘Sabad’, ‘Sakhi’) एवं रमैनी’ (‘Ramini’) कबीर की रचनाएं हैं।
  • गुरुनानक (gurunanak )(1469-1539 ई.) ने सिख धर्म की स्थापना सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.) के समय में की थी।
  • मीराबाई मेड़ता के रतन सिंह राठौर की इकलौती पुत्री थीं।
  • नामदेव (Namdev )वारकरी संप्रदाय से संबंधित थे।
  • सुप्रसिद्ध भक्त संत कवि गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas )अकबर तथा जहांगीर के समकालीन थे।
  • तुलसीदास ने लगभग 25 ग्रंथ लिखे, जिनमें रामचरितमानस‘(‘Ramcharitmanas’) तथा विनयपत्रिका’ (‘Vinayapatrika’) सर्वोत्तम हैं।
  • तुकाराम (Tukaram )का काल 1608 से 1649 ई. के मध्य माना जाता है।
  • तुकाराम वारकरी संप्रदाय (Varkari sect )से संबंधित थे।
  • चिश्तिया सूफी मत (Chishtiyya Sufism) की स्थापना अफगानिस्तान के चिश्त में अबू इस्हाक सामी और उनके शिष्य ख्वाजा अबू अब्दाल चिश्ती ने की थी, किंतु भारत में सर्वप्रथम इसका प्रचार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Moinuddin Chishti ) के द्वारा हुआ था।
  • शेख निजामुद्दीन औलिया के आध्यात्मिक गुरु हजरत बाबा फरीदुद्दीन मसूद गंजशकर (Hazrat Baba Fariduddin Masood Ganjshakar ) थे, जिन्हें बाबा फरीद (Baba Farid )के नाम से भी जाना जाता है।
  • शेख निजामुद्दीन औलिया (Sheikh Nizamuddin Auliya )की दरगाह दिल्ली में स्थित है।
  • 1325 ई. में निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु हुई।
  • शेख निजामुद्दीन औलिया (Sheikh Nizamuddin Auliya )ने सात से अधिक सुल्तानों का राज्य देखा।
  • निजामुद्दीन औलिया, महबूब-ए-इलाही और ‘सुल्तान-उल-औलिया’ (संतों का राजा) के नाम से प्रसिद्ध थे।
  • कादरी शाखा (Kadri branch )के सर्वप्रथम संस्थापक बगदाद के शेख मुहीउद्दीन कादिर जिलानी थे।
  • नक्शबंदी सिलसिले (Naqshbandi series )की स्थापना 14वीं सदी में ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंद ने की थी।
  • सूफी संत शाह मोहम्मद गौस (Shah Mohammad Ghaus )ने कृष्ण को औलिया के रूप में स्वीकार किया है।
  • सूफी संतों के निवास स्थान को खानकाह’ (‘Khanqah’)कहते हैं।
  • प्रेमवाटिका‘ (‘Premvatika’)काव्यग्रंथ की रचना रसखान ने की थी।
  • बारहमासा’ (Perennial’)की रचना मलिक मोहम्मद जायसी ने की।
  • जायसी की पद्मावत’, ‘अखरावट’ (‘Padmavat’, ‘Akharavat’) तथा आखिरी कलाम’(‘last sentence’) में से ‘पद्मावत’ का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है।