हिन्दी की सामान्य अशुद्धियाँ

देवनागरी लिपि अन्य लिपियों की तुलना में सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि स्वीकार की गई है। जहाँ इसमें सभी ध्वनियों को व्यक्त करने की क्षमता है, वहीं दूसरी तरफ एक ध्वनि की अभिव्यक्ति हेतु एक ही लिपिचिह्न है। किन्तु अज्ञानतावश लोग कतिपय लिपि एवं उच्चारण सम्बन्धी त्रुटियाँ कर बैठते हैं। जिससे वर्तनी की अशुद्धियाँ हो जाती हैं। वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ वाक्य को दोषपूर्ण बना देती हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा और लेखन में आमतौर पर पाई जाने वाली वर्तनीगत अशुद्धियों का विवरण परीक्षोपयोगी दृष्टि से आगे प्रस्तुत किया जा रहा है।

वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ अनेक प्रकार से हो सकती हैं; जैसे- स्वर एवं मात्रा सम्बन्धी – मालुम (शुद्ध – मालूम ), परिक्षा (शुद्ध-परीक्षा) आदि।

व्यंजन सम्बन्धी – बड़ई (शुद्ध-बढ़ई), योधा (शुद्ध-योद्धा) आदि । उपसर्ग सम्बन्धी — निरजन (शुद्ध-निर्जन), अनचेत (शुद्ध-अचेत) आदि । समास सम्बन्धी – अहोरात्रि ( शुद्ध – अहोरात्र), अष्टवक्र (शुद्ध- अष्टावक्र) आदि।

प्रत्यय सम्बन्धी – धैर्यता (शुद्ध-धैर्य), आधीन (शुद्ध-अधीन) आदि ।

संधि सम्बन्धी—उपरोक्त (शुद्ध-उपर्युक्त), अत्योक्ति (शुद्ध-अत्युक्ति) आदि।

अव्यय सम्बन्धी- मेरे को (शुद्ध-मुझे), अनुवादित (शुद्ध – अनूदित ) आदि।

लिंग सम्बन्धी- घोड़ा से घोड़िन (शुद्ध-घोड़ी)।

वचन सम्बन्धी – पाँच बहन (पाँच बहनें)।

कारक सम्बन्धी- मेज में (शुद्ध-मेज पर)।

ब’ और ‘व’ की अशुद्धियाँ

ब और व के प्रयोग सम्बन्धी हिन्दी में बहुतायत अशुद्धियाँ दृष्टिगत होती हैं। इसका महत्त्वपूर्ण कारण है- शब्दों का अशुद्ध उच्चारण। जहाँ तक दोनों शब्दों के उच्चारण का प्रश्न है- ‘ब’ के उच्चारण में होंठ जुड़ जाते हैं, वहीं ‘व’ के उच्चारण में नीचे का होंठ ऊपर वाले दाँतों के अगले भाग के निकट पहुँच जाता है और साथ ही साथ दोनों होंठों का आकार गोला हो जाता है, किन्तु वे आपस में मिलते नहीं हैं।

ठेठ हिन्दी में ‘ब’ वाले शब्दों की अधिकता है जबकि संस्कृत में इसके ठीक विपरीत ‘व’ वाले शब्दों की अधिकता है। यद्यपि यह कि हिन्दी में संस्कृत से बहुतायत शब्द ग्रहण किए हैं।

संस्कृत के ‘ब’ उच्चारण वाले कतिपय प्रमुख शब्द है- बर्बर, ब्राह्मण, बुभुक्षा, बहु, बन्धु। ‘ण’ और ‘न’ सम्बन्धी अशुद्धियाँ

वस्तुतः ‘ण ं का प्रयोग प्रायः संस्कृत शब्दों में ही होता है और जिन तत्सम शब्दों में ‘ण’ होता है, उनके तद्भव में ‘ण’ के स्थान पर ‘न’ प्रयुक्त हो जाता है; उदाहरणार्थ- कण-कन, फण-पन्,

विष्णु – विसनु, रण-रन |

खड़ी बोली में भी ‘ण’ और ‘न’ का प्रयोग संस्कृत नियमों के अनुसार ही होता है किन्तु पंजाबी एवं राजस्थानी भाषा में ‘ण’ का ही उच्चारण किया जाता है।

ण’ और ‘न’ विशेष ध्यातव्य तथ्य

(i) संस्कृत भाषा की जिन धातुओं में ‘ण’ होता है उनसे बने शब्दों में भी ‘ण’ ही रहता है; उदाहरण के लिए क्षण. वरुण, निपुण, गुण, गण आदि ।

(ii) कतिपय तत्सम शब्दों में प्रायः ‘ण’ ही होता है; जैसे- कोण, गुण, गणिका, मणि, माणिक्य, बाण, वाणी, वणिक, वीणा, वेणु, लवण, क्षण इत्यादि ।

(iii) यदि किसी एक ही शब्द में ॠ, र् और ष् के उपरांत न हो तो न् के स्थान पर ‘ण’ हो जाता है चाहे इनके बीच कोई स्वर च्, व्, ह, क वर्ग, प वर्ग का वर्ण या अनुस्वार आया हो; उदाहरणार्थ – ऋण, कृष्ण, भूषण, रामायण, श्रवण, विष्णु, उष्ण आदि । किन्तु ध्यातव्य है कि इनसे कोई भिन्न वर्ण आए तो ‘ण’ का ‘न’ हो जाता है; जैसे रचना, प्रार्थना, मूर्च्छना, अर्चना इत्यादि ।

‘छ’ और ‘क्ष’ सम्बन्धी अशुद्धियाँ

जहाँ ‘क्ष’ एक संयुक्त व्यंजन है वहीं ‘छ’ एक स्वतंत्र व्यंजन। ‘क्ष’, क् और ‘ष्´ के मेल से बना है। यह व्यंजन संस्कृत एवं हिन्दी के तत्सम शब्दों में सर्वाधिक प्रयुक्त होता है; जैसे- समीक्षा, परीक्षा, शिक्षा, दीक्षा, क्षत्रिय, निरीक्षक, अधीक्षक आदि ।

‘श, ‘ष’ और ‘स’ सम्बन्धी अशुद्धियाँ

वस्तुतः श, ष और स तीनों पृथक अक्षर हैं और इनका उच्चारण भी पृथक ही है। उनके उच्चारण सम्बन्धी दोष के परिणामस्वरूप ही वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ प्रायः देखने को मिलती हैं। अतएव उच्चारण में विशेष सावधानी बरतना अभीष्ट है। एतद् सम्बन्धित निम्न बातों पर सावधानी अपेक्षित है-

(i) व व्यंजन के प्रयोग केवल संस्कृत से आए तत्सम शब्दों में ही मिलते है; जैसे कृषक, भाषा, संतोष, मूषक, पीयूष, पुरुष, शुश्रूषा आदि।

(ii)  सन्धि करने में क, ख, ट, ठ, प और फ के पहले आगत विसर्ग (:) सर्वदा ‘ष’ हो जाता है।

(iii) यदि किसी शब्द में ‘स’ हो और उसके पहले ‘अ’ या ‘आ’ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर हो तो ‘स’ के स्थान पर ‘ष’ हो जाता है।

(iv) ट वर्ग के पहले केवल ‘ष’ का ही प्रयोग होता है; जैसे- षोडस, षडानन, कष्ट, नष्ट।

(v) ऋ के उपरांत प्रायः ‘ष’ ही आता है; जैसे ऋषि, कृषि, वृष्टि,वृषा।

(vi) जहाँ पर श और स एक साथ आते हैं, वहाँ पर ‘श’ पहले प्रयुक्त होता है; जैसे शासक, शासन, प्रशंसा आदि।

(vii) जिस शब्द में ‘श’ और ‘ष’ एक साथ आते हैं, यहाँ ‘श’ के उपरांत ‘ष’ आता है; जैसे शोषण, विशेष, शेष आदि।

(viii) उपसर्ग के रूप में निः वि आदि आने पर मूल शब्द का ‘स’ पहले जैसा ही बना रहता है; जैसे निस्संदेह, निःसंशय, – विस्तार, विस्तृत आदि।

(ix) कदाचित ‘सूठ’ के स्थान पर ‘स’ लिखकर और कभी शब्द के प्रारंभ में ‘सू’ के साथ किसी अक्षर का भेद होने पर अशुद्धियाँ होती हैं; जैसे-स्नान (शुद्ध)- अस्नान (अशुद्ध), परस्पर (शुद्ध)- परसपर (अशुद्ध), स्त्री (शुद्ध)- इस्त्री (अशुद्ध) आदि ।

(x) संस्कृत शब्दों में ‘च’, ‘छ’ के पहले ‘श्’ हो जाता है; जैसे- निश्छल, निश्चला

(xi) कतिपय शब्दों के रूप वैकल्पिक हुआ करते हैं जो दोनों ही शुद्ध होते हैं; जैसे कौशल्या कौसल्या, वशिष्ठ वसिष्ठ, -केशरी – केसरी, कशा – कथा आदि।

इस खण्ड में वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों पर विस्तृत जानकारी के लिए अशुद्ध एवं शुद्ध शब्दों की सूची दी जा रही है जिसका ध्यानपूर्वक अध्ययन परीक्षार्थियों के लिए लाभकारी होगा।

अशुद्धशुद्ध
अपनअर्पण
अनभिग्यअनभिज्ञ
अहारआहार
अस्विकारअस्वीकार
अपरान्हअपराह्न
अमिसेकअभिषेक
अनुग्रहीतअनुगृहीत
आधीनअधीन
अनुवादितअनूदित
अन्तर्कथाअन्तःकथा
अकृतिमअकृत्रिम
अनाधिकारअनधिकार
अनुशरणअनुसरण
आर्शीवादआशीर्वाद
अमावश्याअमावस्या / अमावास्या
अपन्हुतिअपहनुति
असुद्धअशुद्ध
अध्यनअध्ययन
आर्दआर्द्र
आल्हादआहलाद
आतीथेयआतिथेय
आकंक्षाआकांक्षा
आट्टालिकाअट्टालिका
आधिक्यताआधिक्य
अवश्यकीयआवश्यक
अर्न्तराष्ट्रीयअन्तर्राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय
अक्षादनआच्छादन
अध्यात्मकआध्यात्मिक
आजिवकाआजीविका
अदितीयअद्वितीय
अमिसआमिष
अराधनाआराधना
आसाआशा
आसाढ़आषाढ़
अश्मसानश्मशान
उज्वलउज्ज्वल
उलंघनउल्लंघन
उतपातउत्पात
उन्नतीउन्नति
उन्मिलितउन्मीलित
उरीड़उऋण
ऊर्मीलाउर्मिला
उदिग्नउद्विग्न
उपरऊपर
उदेश्यउद्देश्य
उपलक्षउपलक्ष्य
ऐक्यताऐक्य
ऐकदन्तएकदन्त
एश्वर्यऐश्वर्य
ऐतीहासिकऐतिहासिक
कुवर कौशिल्याकुंअर
कृत्यकृत्यकौशल्या
कार्यकर्मकृतकृत्य कार्यक्रम
कृतघ्नीकृतघ्न
करोणकरोड़
केन्द्रीयकरण कियारीकेन्द्रीकरण
क्रिपाक्यारी
किर्तिकृपा
करयकीर्ति
कृप्याक्रय
कवियत्रीकृपया
कैलाशकवयित्री
कन्हैयाकैलास
कालीदासकन्हैया
कर्त्तव्यपालनकालिदास
ईर्षाकर्तव्य पालन
इश्वरईर्ष्या
उपाशनाईश्वर
उद्धरड़उपासना
गायिकीउद्धरण
गृहीणीगायकी
गौवेंगृहिणी
गाधीगाँधी
गरुणगरुड़
गरीष्ठगरिष्ठ
गोपनियगोपनीय
ग्रीहस्थगृहस्थ
गर्मीयोंगर्मियों
गावगाँव
चिहनचिह्न
चन्चलचंचल
छत्रीक्षत्रिय
छमाक्षमा
छुधाक्षुधा
छेमक्षेम
ज्योत्सनाज्योत्स्ना
जमाताजामाता
जानितिजागृति
जात्याभिमानजात्यभिमान
जगत जननीजगज्जननी / जगज्जनी
जगधात्रीजगद्धात्री
तलावतालाब
त्यज्यत्याज्य
तरुछायातरुच्छाया
तत्कालिकतात्कालिक
तृकालत्रिकाल
तालासीतलाशी
त्रिगूड़त्रिगुण
तिलांजलीतिलांजलि
दारिद्रतादरिद्रता
दांतदाँत
देश- निकालादेशनिकाला
दयालदयालु
दुरावस्थादुरवस्था
द्रस्टव्यद्रष्टव्य
दृष्यदृश्य
दोसदोष
द्रिगदृग
धनुसधनुष
धिमान्धीमान्
धराहरधरोहर
निलकंठनीलकंठ
नीवारणनिवारण
नीरवाणनिर्वाण
निस्चेस्टनिश्चेष्ट
नारायड़नारायण
नबाबनवाब
निःपराधनिरपराध
निर्दयीनिर्दय
निरसतानीरसता
निष्कपटीनिष्कपट
नराजनाराज
नारिनारी
निरोग्यनिरोग
पतीतपतित
पुष्पवलिपुष्पावली
प्रेयसिप्रेयसी
प्रदर्शनीप्रदर्शनी
प्रतीज्ञाप्रतिज्ञा
प्रत्यछप्रत्यक्ष
प्रशन्नप्रसन्न
प्राशादप्रासाद
पुरष्कारपुरस्कार
पोशकपोषक
पद्मीनीपद्मिनी
परिछेदपरिच्छेद
पुस्पपुष्प
परिनामपरिणाम
पृष्टपृष्ठ
पारड़पारण
पयपानपयःपान
पिता भक्तिपितृभक्ति
पैत्रिकपैतृक
परीच्छापरीक्षा
पुजापूजा
पौरुसपौरुष
परिसदपरिषद
परेमप्रेम
पुलिंगपुल्लिंग
पिशाचिनीपिशाची
प्रादेसिकप्रादेशिक
पूर्णयपूर्ण
प्राप्तीप्राप्ति
प्रमाणिकप्रामाणिक
प्रनामप्रणाम
प्राज्वलितप्रज्वलित
प्रतिछायाप्रतिच्छाया
प्रसंसाप्रशंसा
वृक्षवृक्ष
वीराजमानविराजमान
वाल्मीकीवाल्मीकि
विरहीणीविरहिणी
दाहनीवाहिनी
ब्रम्हाब्रह्मा
वीधिविधि
व्यापितव्याप्त
बहुल्यताबहुलता
विश्लेसणविश्लेषण
बहिस्कारबहिष्कार
विषेसविशेष
भस्मिभूतभस्मीभूत
भव-सागरभवसागर
महात्ममाहात्म्य
म्रित्युञ्जयमृत्युञ्जय
मान्यनीयमाननीय
मनोग्यमनोज्ञ
मेनहतमेहनत
मन्त्रीमंडलमन्त्रिमंडल
मट्टीमिट्टी
महायग्यमहायज्ञ
यद्यपियद्यपि
योधायोद्धा
यसयश
यावत जीवनयावज्जीवन
यशलाभयशोलाभ
यसस्वीयशस्वी
राजनैतिकराजनीतिक
राजागणराजगण
रीतुऋतु
राजऋषिराजर्षि
रिणऋण
विश्वभरविश्वम्भर
विसमृतविस्मृत
वीदेहविदेह
विकाशविकास
विशमविषम
वेषदेश
व्यवहारिकव्यावहारिक
शिरोपींड़ाशिरः पीड़ा
शशीशशि
शताब्दिशताब्दी
शान्तमयशान्तिमय
साप्ताहीकसाप्ताहिक
सन्याससंन्यास
स्वास्थस्वास्थ्य
साम्यतासाम्य
सन्मुखसम्मुख
संग्रहितसंगृहीत
सर्वस्यसर्वस्व
हतिबुद्धहतबुद्धि
हस्तछेपहस्तक्षेप
हिरण्यकश्यपुहिरण्यकशिपु
ऋषीकेसऋषिकेश
स्वक्षस्वच्छ
सन्चारसंचार
स्थितीस्थिति
सहस्त्रसहस्र
सतीगुणसत्वगुण
सम्भवतहसम्भवतः
स्थाईस्थायी
सम्वादसंवाद
सौन्दर्यतासुन्दरता
सवारनासंवारना
सम्राज्यसाम्राज्य
सौजन्यतासौजन्य
सार्वजनीकसार्वजनिक
स्वालम्बनस्वावलम्बन
साहीत्यिकसाहित्यिक
सन्मानसम्मान
दृष्टाद्रष्टा
जागृतजाग्रत
सृष्टास्रष्टा
अनुदितअनूदित
सुश्रुषाशुश्रूषा
पैत्रिकपैतृक
विक्षवृक्ष
ऐषणाएषणा
एकान्तिकऐकान्तिक
अन्त्यक्षरीअन्त्याक्षरी
परलौकिकपारलौकिक
मालनमालिन
अहिल्याअहल्या
निरसतानीरसता
संग्रहितसंगृहीत
निर्दयीनिर्दय
अनुगृहअनुग्रह
अनाधिकृतअनधिकृत
भगीरथीभागीरथी
स्थायीत्वस्थायित्व
आजीवकाआजीविका
कुमदनीकुमुदिनी

स्वर मात्रा सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
युधिष्ठरयुधिष्ठिर
विरहणीविरहिणी
द्वारिकाद्वारका
निरपराधीनिरपराध
तदान्तरतदनन्तर
प्रमाणिकप्रामाणिक
बृजब्रज
विशिष्ठविशिष्ट
निष्कपटीनिष्कपट
उर्ध्वऊर्ध्व
गृहीतग्रहीत
प्रिथाप्रथा

व्यंजन सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
प्रवृतनीयप्रवर्तनीय
पटाच्छेपपटाक्षेप
सौन्दर्यत्वसौन्दर्य
पारंगकपारंगत
आहवानआह्वान
महात्ममाहात्म्य
आल्हादआह्लाद
स्मसानश्मशान
असाम्यता बिस्मृतअसाम्य
उश्रृंखलविस्मृत
यथेष्ठउच्छृंखल
वहिरंगयथेष्ट
सर्जनबहिरंग
गरिष्टसृजन
अन्तर्ध्यानगरिष्ठ
अशुद्धअन्तर्धान

संधि सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
परिछेदपरिच्छेद
विद्युत्तलताविद्युत्लता
तत्मयतन्मय
परमोषधिपरमौषधि
मनोकामनामन:कामना
यशलाभयशोलाभ
रीत्यानुसाररीत्यनुसार
उदिग्नउद्विग्न
अधगतिअधोगति
विद्युतचालकविद्युच्चालक
राजऋषिराजर्षि
नदेशनदीश
दिगजालदिग्जाल
दुरावस्थादुरवस्था
सत्वंशसवंश
पुनरामिनयपुनरभिनय
मनोकष्टमनः कष्ट
इतिपूर्वइतः पूर्व
अन्तरप्रान्तीयअन्तः प्रान्तीय
निरोपमनिरुपम
अक्षोहिणीअक्षौहिणी
बाङगमयवाङ्गमय
मक्यमतैक्य
पुष्पवलीपुष्पावली
सत्गतिसद्गति
उपरोक्तउपर्युक्त
स्वयम्बरस्वयंवर
स्वयम्बरस्वयंवर
अत्योक्तिअत्युक्ति
मनझमनोज्ञ
जगतनाथजगन्नाथ
निरपायनिरुपाय
मनहरमनोहर
निष्छलनिश्छल
निष्तारनिस्तार
दुतरदुस्तर

समास सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
दिवारात्रिदिवारात्र
दुरात्मागणदुरात्मगण
सानन्दितसानन्द
गुणीगणगुणिगण
आतागणभ्रातृगण
योगीवरयोगिवर
सतगणसत्वगण
प्राणीवृन्दप्राणिवृन्द
कृतघ्नोंকৃतन
मंत्रीवरमंत्रिवर
वक्तागणवक्तृगण
सलज्जितसलज्ज
अहर्निशिअहिर्निश
सशंकितसशंक
आत्मापुरुषआत्मपुरुष
शान्तमयशान्तिमय

उपसर्ग और प्रत्यय सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
गोपितगुप्त
चरुताईचारुता
अभलअनभल
द्वैवार्षिकद्विवार्षिक
प्रफुल्लितप्रफुल्ल
औगुणअवगुण
ज्ञानमानज्ञानवान
औतारअवतार
अविदैविकअधिदैविक
अग्नेयआग्नेय
अनवासिकअनावासिक
अनुषांगिकआनुषंगिक
लब्धप्रतिष्ठिलब्धप्रतिष्ठ
भुजंगनीभुजंगी
कृशाँगिनीकृशांगी
प्रेयसिप्रेयसी
सुलोचनीसुलोचना
कोमलांगिनीकोमलांगी
चातकनीचातकी

हलन्त सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्धशुद्ध
अकस्मातअकस्मात्
राजनराजन्
वणिकवणिक्
विद्वानविद्वान्
बिराटविराट्
भविष्यतभविष्यत्
हुतभुकहुतभुक्
सततसतत्
दृश्यमानदृश्यमान्
श्रीयुतश्रीयुत्
प्रत्युतप्रत्युत्

मुहावरे एवं लोकोत्तियाँ

मुहावरा की परिभाषा

विशिष्ट अर्थ की प्रतीति कराने वाले वाक्यांश को ‘मुहावरा’ कहते है। इनका प्रयोग भाषा को सजीवता और सरसता प्रदान करता है। वास्तव में इन्हें मानव जाति के अनुभवों का विलक्षण सूत्रात्मक कोष माना जा सकता है। इनमें निहित लाक्षणिकता किसी भाषा को सौष्ठव और प्रभावशीलता प्रदान करती है।

“In the Commerce of Speech use only coins of Gold and Silver.” –Joubert

अरबी भाषा का ‘मुहावर:’ शब्द हिन्दी में ‘मुहावरा’ हो गया है। उर्दू वाले ‘मुहाविरा’ बोलते हैं। मुहावरे का अर्थ एक प्रकार की बात-चीत या अभ्यास है। मुहावरा कभी-कभी रोजमर्रा या ‘वाग्धारा’ से सम्बन्धित अर्थ में भी लिया जाता है। हिन्दी में मुहावरा एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। मुहावरा का वास्तविक शब्दार्थ ‘अभ्यास’, ‘बात-चीत’ या ‘बोल-चाल’ है।

मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कारिकता और प्रवाह उत्पन्न होता है। इसका उद्देश्य है- वार्ता एवं सम्प्रेषण के दौरान श्रोता को अर्थ बोध भी हो जाये और वह उसे प्रभावित भी करे।

मुहावरों की विशेषताएँ

(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य प्रयोग में होता है, अलग से नहीं।

(2) मुहावरे का असली रूप कभी नहीं बदलता अर्थात् उन्हें पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नहीं किया जा      सकता है; जैसे- ‘कमर टूटना’ के स्थान पर ‘कटिभंग’ का प्रयोग नहीं होगा।

(3) मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, बल्कि उसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- ‘खिचड़ी पकाना’ का अपना कोई अर्थ नहीं है, पर प्रयोग करने पर इसका अर्थ ‘गुप्त रूप से सलाह करना होगा।

(4) हिन्दी में मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों से है।

(5) समाज और देश के अनुरूप मुहावरे बनते और बिगड़ते हैं।

(6) मुहावरे भाषा की समृद्धि और विकास के मापक हैं।

(7) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है; जैसे- ‘लड़ाई में खेत होना’ का अर्थ ‘युद्ध में शहीद हो जाना’ है न कि लड़ाई के स्थान पर किसी खेत का होना है।

लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ स्व भाषा भाषियों की पारस्परिक सांस्कृतिक विरासत होती हैं। वे इतिहास में किन्हीं विशिष्ट घटनाओं एवं स्थितियों से उपजती हैं और फिर भाषा के माध्यम से देश और काल में छा जाती हैं। लोकोक्तियाँ समाज का भाषायी इतिहास होती हैं, इसलिए लोकोक्तियों के माध्यम से एक समाज का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं व्यावहारिक अध्ययन किया जा सकता है।

समानता

(1) दोनों की सार्थकता प्रयोग के बाद सिद्ध होती है।

(2) दोनों में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर पर्यायवाची या समानार्थी शब्दों का प्रयोग नहीं होता है।

(3) दोनों ही गंभीर और व्यापक अनुभव की उपज हैं।

मुहावरे तथा लोकोक्तियों में अन्तर

मुहावरेलोकोक्तियाँ
1. मुहावरे अपना शाब्दिक / कोशगत अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं।1. लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं, पर उनका कोशगत अर्थ भी बना रहता है।
2. मुहावरे के अंत में क्रियापद अवश्य होता है।2. लोकोक्तियों के अंत में क्रियापद का होना आवश्यक नहीं है।
3. मुहावरा वाक्यांश होता है। उसका क्रिया रूप, लिंग, वचन, कारक के अनुसार बदल जाता है।3. लोकोक्तियाँ स्वयं में एक स्वतंत्र वाक्य होती हैं तथा प्रयोग में आने पर उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
4. मुहावरों के अंत में बहुधा ना आ जाता है; जैसे- खाक छानना, चलता बनना, चाँदी काटना।4. लोकोक्तियों के अंत में ना आना आवश्यक नहीं होता है।
5. इनमें माध्यम की आवश्यकता होती है। स्वतंत्र प्रयोग नहीं किया जा सकता है।5.माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तथा इनका स्वतंत्र प्रयोग किया जा सकता है।
6. फल से कोई सम्बन्ध नहीं।6. फल से सम्बन्ध होता है।
7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण से प्रभावशाली बनाना।7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण प्रयोग से प्रभावशाली बनाने जैसा कुछ नहीं होता।
8. उद्देश्य, विधेय का पूर्ण विधान नहीं होता। वाक्य के प्रयोग के बिना अर्थ का कोई बोध नहीं।8. उद्देश्य और विधेय दोनों का पूर्ण विधान होता है। अर्थ स्पष्ट होता है।

(4) दोनों ही विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं।

(5) दोनों ही भाषा-शैली को सरस एवं प्रभावशाली बनाते हैं।

अक्ल बड़ी या भैंस – शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना।

अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपना अहित स्वयं करना।

अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धिभ्रष्ट होना।

अपना-अपना है, पराया पराया – अपने पराये की पहचान ।

अपना सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना / निराश होना।

अपमान का घूँट पीना – मान-हानि होने पर भी चुप रहना ।

अमरबेल बनना – दृढ़तापूर्वक चिपकना ।

अन्धे को आँखें मिलना – मनोरथ सिद्ध होना।

अति करना – सीमा या मर्यादा का उल्लंघन करना ।

अन्न जल उठना – किसी स्थान से सम्बन्ध समाप्त होना / किसी दूसरे स्थान पर जाने को विवश होना।

अपनी खाल में मस्त रहना – अपने आप से संतुष्ट रहना ।

अपनी माँ का दूध पिए होना – वीर और साहसी होना।

अरक निकालना – सार निकालना।

अर्द्धचन्द्र देना – गर्दन पकड़कर निकाल देना।

अलादीन का चिराग – आश्चर्यजनक वस्तु ।

अँगूठा छाप होना – अनपढ़ होना।

अन्धा बगुला कीचड़ खाय – संसाधन की कमी से अयोग्य बनना।

अन्धा क्या जाने बसंत बहार – जिसने जो वस्तु नहीं देखी उसका आनंद क्या जाने।

अण्टी मारना – चाल चलना।

अतिशय भक्ति चोर के लक्षण – ढोंग करने वाला कपटी होता है।

अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तु को छोड़कर तुच्छ वस्तु पर ध्यान देना।

अवसर चूके डोमिनी गावे ताल बेताल – समय चूकने पर किसी बात का प्रभाव नहीं पड़ता।

अदाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज – अनहोनी / असंभव बात।

आगे कुआँ पीछे खाई – हर तरफ विपत्ति होना ।

आक़बत में दिया दिखाना – परलोक में काम आना।

आकाश का फूल – अप्राप्य वस्तु ।

आग का बाग – सुनार की अंगीठी / आतिशबाजी ।

आग लेने आना – आकर तुरन्त लौट जाना।

आग से पानी हो जाना – क्रोध शान्त हो जाना।

आटे की आया – भोली स्त्री ।

आठ-आठ आँसू रोना – बहुत रोना ।

आन की आन में – शीघ्र ही

आफ़त का परकाला – अथक परिश्रमी ।

आफ़त की पुड़िया – कष्टदायक या भयानक व्यक्ति।

आसमान पर चढ़ना – अत्यधिक अभिमान करना।

आसमान फट जाना – अनहोनी बात होना।

आकाश-पाताल एक करना – सारे प्रयास कर डालना।

आकाश – पाताल का अंतर होना बहुत बड़ा अंतर।

आकाश कुसुम होना – पहुँच के बाहर होना।

आपे के बाहर होना – अत्यंत क्रोधित होना।

आटे दाल का भाव मालूम होना – मुसीबत में पड़ना वास्तदिव स्थिति का सामना करना।

आग में घी डालना – क्रोध को बढ़ावा देना।

आसमान से बातें करना – बहुत ऊँचा होना।

आसमान के तारे तोड़ना – असम्भव कार्य करना।

आयी तो रोजी नहीं तो रोजा – कमाया तो खाया, नहीं तो भूख |

आठ बार नौ त्यौहार – मौज-मस्ती के अधिक अवसर होना।

आँचल पसारना – याचना करना।

आँख फाड़ कर देखना – घूर घूर कर देखना।

आँखों में चर्बी चढ़ना – अधिक घमंड होना / मदान्ध होना।

आँखों से गिरना – सम्मान खो देना।

आँखें पथरा जाना – आँखें थक जाना।

आँख का तारा होना – बहुत प्यारा होना।

आँख चुराना – छिप जाना/सामने न आना।

आँख रखना – निगरानी करना।

आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।

आँखों में खून उतरना – अत्यधिक क्रोध करना।

आँखें फेरना – उपेक्षा करना।

आँखों का पानी गिरना – निर्लज्ज होना।

आँखों के आगे चिनगारी छूटना – मस्तिष्क पर धक्का या चोट लगने से चकाचौंध होना।

आँखों पर रखना – सम्मानपूर्वक रखना ।

आँखों से लगाना – बहुत प्यार करना या श्रद्धा से सम्मान करना।

आँखों में सरसों फूलना – हरियाली ही हरियाली दिखायी देन

आँधी के आम – अनायास सस्ते में मिल जाने वाली वस्तु।

अंधेरे में तीर चलाना – अज्ञात में लक्ष्य प्राप्ति की कोशिश करना

इतिश्री कर देना – समाप्त कर देना।

इज्जत अपने हाथ होना – मर्यादा का वश में होना ।

इन्द्र का अखाड़ा – विलासी समाज ।

इज्जत में बट्टा लगाना – प्रतिष्ठा खराब करना।

इक नागिन अरु पंख लगाई  – दोष पर दोष होना।

इमली के पात पर बारात का डेरा – असम्भव बात।

ईंट का जवाब पत्थर से देना – किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना।

ईमान बगल में दबाना – बेईमानी करना।

ईश्वर की माया, कहीं धूप कही छाया – भाग्य की विचित्रता।

उलटा पासा पड़ना – विपरीत परिणाम निकलना।

उड़ती चिड़िया पहचानना – रहस्य की बात तत्काल जान |

उर्वशी होना – प्रिय होना।

उन्नीस-बीस होना – लगभग एक समान होना।

उतार-चढ़ाव देखना – अनुभव प्राप्त करना।  

उधेड़बुन में पड़ना – सोच-विचार में पड़ना।

उलटे मुँह गिरना – दूसरे को नीचा दिखाने के लिए स्वयं नीचा दिखना ।

उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – अपना अपराध स्वीकार न कर आँखें दिखाना।

उलटी माला फेरना – अहित सोचना।

उल्लू बोलना – उजाड़ होना।

उलटी गंगा बहाना – प्रतिकूल कार्य करना ।

ऊसर में बीज बोना – निष्फल कार्य करना।

ऊँची-नीची सुनाना – भला-बुरा कहना।

ऊँट की गरदन – ऊँची गरदन ।

एड़ी चोटी का पसीना एक करना – कठिन परिश्रम करना।

एक पंथ दो काज – एक साथ दो लाभ प्राप्त करना ।

एक ही कहना – अनोखी / विचित्र बात कहना।

एड़ी से चोटी तक – सिर से पैर तक

एड़ियाँ रगड़ना – सिफारिश के लिए चक्कर लगाना।

एक-एक नस पहचानना – सब कुछ समझना।

एक घाट का पानी पीना – एकता और सहनशीलता का होना।

एक टाँग पर खड़ा रहना – सदैव तैयार रहना ।

एक से इक्कीस करना – वृद्धि को प्राप्त होना ।

एक हाथ से ताली न बजना – एक पक्ष से कुछ नहीं होता ।

ओंठ चबाना – क्रोधित हो उठना।

ओर-छोर न मिलना – भेद का पता न चलना।

ओस पड़ जाना – कुम्हला जाना या लज्जित हो जाना।

ओंठ तक न हिलना – मुख से शब्द न निकलना।

ओंठ बिचकाना – घृणा प्रकट करना।

औंधे मुँह गिरना – धोखा खाना।

औने-पौने करना – मनमाने दाम पर बेचना।

और का और होना – कुछ का कुछ होना

और ही रंग खिलाना – कुछ विचित्र करना ।

औंधी खोपड़ी का होना – मूर्ख होना।

अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना।

अंग-अंग ढीला होना – थक जाना।

अंग में अंग न समाना – अत्यन्त प्रसन्न होना।

अंगारों पर पैर रखना – खतरनाक कार्य करना।

अंगारे उगलना – क्रोध में कठोर वचन बोलना।

अंजर पंजर ढीला होना – दुर्बल हो जाना।

कमर खोलना – आराम करना।

कलेजे पर पत्थर रखना – मुश्किल से धैर्य धारण करना।

कच्ची गोटी खेलना – असफल प्रयास / अनुभवहीन |

कफन से सिर बाँधना – हर तरह की बाधा झेलने के लिए तत्पर |

कटकर रह जाना – अत्यन्त लज्जित होना।

कन्धे से कन्धे मिलाना – पूर्ण रूप से सहयोग देना।

कन्धा डालना – हार मान लेना।

कन्धा लगाना – सहारा बनना।

कहकहा मारना – खूब जोर से हँसना।

कदम पर कदम रखना – अनुसरण करना।

कलेजा थामकर रह जाना – मन मसोस कर रह जाना।

कल पड़ना – चैन मिलना।

कल्पना के घोड़े दौड़ाना – बिना सिर-पैर की बात करना।

कलेजा दो टूक होना – बहुत दुःखी होना।

कलेजा मुँह को आना – दुःख होना।

कमी घी घना, कमी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना – व्यक्ति की स्थिति सदा समान नहीं रहती ।

कौआ चला हंस की चाल-अन्ध – अनुकरण करना।

कूद-कूद मछली बगुले को खाय – बिल्कुल विपरीत कार्य होना।

कान पर जूँ न रेंगना – किसी बात पर ध्यान न देना।

काजल की कोठरी – कलंकित होने का स्थान।

काटो तो खून नहीं – बहुत डर जाना।

कागज की नाव – अस्थायी वस्तु ।

कान पकड़ना – गलती स्वीकार करना।

कान में तेल डाले बैठना – अनसुनी कर देना।

कागज काले करना – व्यर्थ लिखना ।

कान खाना – ज्यादा बातें करके कष्ट पहुँचाना।

कान फूँकना – चुपके से कह देना।

कान लगाना – ध्यान देना।

काठ का उल्लू – बड़ा मूर्ख ।

कागजी घोड़े दौड़ाना – खूब लिखा-पढ़ी करना।

काफूर होना – गायब होना।

काया पलट जाना – भारी परिवर्तन होना।

कोठी वाला रोये छप्पर वाला सोये – अधिक समृद्धि भी दुखदायी होती है।

किये कराये पर पानी फेरना – बिगाड़ देना।

कौवे उड़ाना – निकृष्ट कार्य करना ।

किताब का कीड़ा होना – अधिक पढ़ने वाला।

कुत्ते की चाल जाना, बिल्ली की चाल आना – बहुत जल्द जाना- आना।

कुम्हड़े की बतिया – कोमल और अशक्त व्यक्ति।

कुल्हिया में गुड़ फोड़ना – छिपाकर काम करना।

कूच कर जाना – प्रस्थान कर जाना।

कूप मण्डूक – संकुचित ज्ञान वाला।

कीचड़ उछालना – बदनाम करना |

कौड़ी के मोल – बिकना बेकार।

कुआँ खोदकर पानी पीना – जीविका हेतु श्रम करना ।

कुएँ में बाँस डालना – बहुत खोज करना ।

कलेजा दूना होना – साहस बढ़ना।

कलेजा थामकर बैठना – बड़े इत्मीनान के साथ बैठना।

काँटों पर लोटना – दुःख से लड़ना।

कानों कान खबर न होना – किसी को जानकारी न होना।

कारूँ का खजाना – कुबेर का कोष / अतुल धनराशि ।

काशी करवट लेना – कठोर से कठोर दुःख सहना।

काठ की पुतली होना – शक्तिहीन होना।

कान खड़े होना – भयभीत होना / चौकन्ना होना।

कै हंसा मोती चुगै कै भूखा रह जाय – प्रतिष्ठा के विरुद्ध कार्य न करना।

कैफियत तलब करना – कारण पूछना।

काले के आगे दीया नहीं जलता – बलवान के आगे किसी का वश नहीं चलता।

कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाई – कितना भी प्रयत्न किया जाय स्वभाव नहीं बदलता।

कोदी डरावे थूक से – निर्बल, थोथे आचरण से दूसरों को डराते हैं।

कोठी बैठना – दिवाला निकलना।

खाल उठाय सिंह की स्यार सिंह नहिं होय – बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते।

खरी मजूरी चोखा काम – उचित पारिश्रमिक से ही अच्छा काम होता है।

खूँटा के बल बछड़ा कूदे – दूसरे के बल पर काम करना ।

खाक में मिलाना – नष्ट कर देना।

खेल बिगाड़ना – काम बिगाड़ना।

खड़िया में कोयल – बेमेल मिश्रण

खबर लेना – दण्ड देना / देखभाल करना ।

खेत रहना – लड़ाई में मारा जाना।

खाक उड़ाते फिरना – भटकना ।

खुशामदी टट्टू होना – चापलूस होना।

खुगीर की भर्ती – व्यर्थ पदार्थों का संग्रह।

खाला का घर – अपना घर / सहज काम।

खुला खेल फर्रुखाबादी – निष्कपट व्यवहार ।

खिल्लियाँ उड़ाना – उपहास करना ।

ख्याली पुलाव पकाना – मनमानी कल्पना करना।

खटाई में पड़ना – व्यवधान आ जाना।

खरी खोटी सुनाना – डाँटना फटकारना ।

खिचड़ी पकाना – आन्तरिक षड्यन्त्र रचना

खाक छानना – भटकते रहना।

गुदड़ी का लाल दीनता में अभ्युन्नति करने वाला ।

गाल फुलाना – रूठना / नाराज होना।

गले का हार होना – अत्यन्त प्रिय होना ।

गड़े मुर्दे उखाड़ना – निरर्थक पुरानी बातों को उद्घाटित करना |

गज भर की छाती होना – गर्व महसूस करना ।

गढ़ फतह करना – बहुत कठिन काम करना ।

गति पाना – मोक्ष पाना।

गति होना – किसी विषय की जानकारी होना ।

गर्दन पर छुरी फेरना – हानि पहुँचाना।

गंगा नहाना – कठिन कार्य पूरा होना।

गिरगिट की तरह रंग बदलना – एक रंग-ढंग पर न रहन अवसरवादी होना।

गोबर गणेश – बेवकूफ |

गागर में सागर भरना – थोड़े में ही सब कुछ कह देना।

गिन-गिन कर दिन काटना – परेशानी में जीवन बिताना।

गुल खिलाना – कोई बखेड़ा खड़ा करना ।

गूलर का कीड़ा – अल्पज्ञ व्यक्ति ।

गाढ़े का साथी – संकटकाल में सहायता करने वाला।

गाढ़े की नाव – संकट के समय का सहायक।

गरम होना – नाराज होना।

गर्दन फंसाना – परेशानी में पड़ना ।

गुस्सा पीना – क्रोध प्रकट न करना।

गाँठ बाँधना – हमेशा याद रखना।

गहरा हाथ मारना – अच्छी वस्तु प्राप्त करना ।

गोटी बैठना – युक्ति सफल होना।

गूंगे का गुड़ – अकथनीय सुख ।

गोलमाल करना – गड़बड़ करना।

गयी माँगने पूत खो आई भरतार – थोड़े लाभ के चक्कर में अधिक नुकसान

गरीब की जोरू सबकी भौजाई – कमजोर से सब लाभ उठाते हैं।

गरीब की हाय बुरी होती है – गरीब को सताना बहुत बुरा होता है।

गोद में बैठकर आँख में उंगली – भलाई के बदले बुराई।

गागर में अनाज, गँवार का राज – मूर्ख थोड़े में इतरा जाते हैं।

गोद में छोरा शहर में ढिंढोरा – पास में रही वस्तु की दूर तक तलाश।

गौ का यार – स्वार्थी ।

गुरु कीजै जान, पानी पीजै छान – जानकारी प्राप्त कर ही कोई काम करना।

घर फूँक तमाशा देखना – अपना नुकसान करके मौज उड़ाना।

घोड़े के आगे गाड़ी रखना – विपरीत कार्य करना।

घिग्घी बँधना – स्पष्ट बोल न सकना।

घूँघट की लाज – आत्म-सम्मान की सुरक्षा ।

घाट घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना।

घाव हरा होना – कष्ट का पुनः प्रादुर्भाव ।

घर में गंगा बहना – अच्छी चीज पास में मिल जाना।

चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – भयभीत होना/दोषारोपण से दब जाना।

चादर से बाहर पैर पसारना – आय से अधिक व्यय करना।

चैन की वंशी बजाना – सुखमय जीवन व्यतीत करना।

चोर-चोर मौसेरे भाई – एक ही स्वभाव के लोग।

चोली दामन का साथ – परस्पर गहरा प्रेम।

चार चाँद लगना – शोभा में वृद्धि होना।

चूड़ियाँ पहनना – कायर होना।

चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।

चाँदी का चश्मा लगाना – रिश्वत लेकर किसी का काम करना।

चाँदी कटना – खूब लाभ होना।

चंदी का जूता मारना – धन का लालच देना।

चाँद पर थूकना – निर्दोष को कलंकित करना ।

चम्पत होना – भाग जाना।

टुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बाँधेगा – थोड़े-थोड़े इकट्ठा करके धनी होना।

चुपड़ी और दो-दो – दोहरा लाभ।

चुल्लू में उल्लू होना – बहुत थोड़ी-सी भाँग या शराब पीने से बेसुध हो जाना।

चील के घोसले में मांस कहाँ – जहाँ कुछ भी बचने की सम्भावना न हो।

चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले – ताकतवर आदमी से दो लोग भी हार जाते हैं।

छठी का राजा – पुराना रईस ।

छठी में न पड़ना – भाग्य में न होना |

छत्तीस बनना – विरक्त विरोधी होना।

छाती दूनी होना – बहुत ही उत्साहित होना

छाती पर पत्थर रखना – शान्त भाव से कष्ट सह लेना।

छुपा रुस्तम – सामान्य लक्षित, किन्तु असाधारण

जहर का घूंट पीना – असहज स्थिति को भी सहन करना।

जल में रहे मगर से बैर – सहारा देने वाले से ही दुश्मनी मोल लेना।

जन्म भरना – दुःखपूर्वक जीवन व्यतीत करना।

जने-जने की लकड़ी एक जने का बोझ – सभी के प्रयत्न से कार्य पूरा होता है।

जर है तो नर, नहीं तो खंडहर – धन से ही आदमी की इज्जत है।

जब नाचने निकली तो घूँघट क्या – काम करने में लाज क्या।

जमीन आसमान एक करना – कोई भी उपाय न छोड़ना ।

जी जान से खेलना – जीवन की परवाह न करना

जी नहीं भरना – सन्तोष नहीं होना।

जंजाल में फंसना – झंझट में पड़ना।

जलती आग में घी डालना – विवाद बढ़ाना या उदीप्त करना।

बगुला भगत होना – कपटी होना।

बाँसों उछलना – बहुत प्रसन्न होना।

बट्टा लगाना – दोष मढ़ना।

बछिया का ताऊ – बिल्कुल मूर्ख।

बीड़ा उठाना – उत्तरदायित्व सम्भालना ।

बोली मारना – व्यंग्य करना।

बात का धनी होना – वचन का पक्का होना।

बिल्ली के गले घण्टी बाँधना – अपने को संकट में डालना।

बसन्त के कोकिल – अच्छे दिनों के साथी ।

बन्दर घुड़की देना – व्यर्थ की धमकी देना।

बालू से तेल निकालना – असम्भव कार्य करना।

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख किसी अच्छी वस्तु का महत्त्व नहीं समझ सकता।

बड़े-बड़े वह गए गदहा कहे/पूछे कितना पानी – शक्ति सम्पन्न लोगों के अशक्त होने के उपरान्त छुटभैयों की डींग हाँकना ।

बाँझ क्या जाने प्रसूत (प्रसव ) की पीड़ा – दुःख भोगने वाला ही दुःख को जानता है।

भीगी बिल्ली बन जाना – डर जाना।

भीम के हाथी – न लौटने वाला पदार्थ।

भेड़ बना लेना – अपने वश में करके जो चाहना वह करवाना।

मुस्स में आग लगा जमालो दूर खड़ी – स्थायी विग्रह का बीजारोपण कर तटस्थ की भूमिका अदा करना।

भगीरथ प्रयत्न करना – अथक प्रयास करना।

भूंजी भाँग न होना – कुछ भी पास न होना।

भूखे भजन न होय गोपाला – खाली पेट कुछ नहीं किया जा सकता।

मन चंगा तो कठौती में गंगा – पवित्र हृदय ही तीर्थ है।

मैदान मारना – जीत हासिल करना।

मीन मेख करना – गलती निकालना।

मुँह बनाना – खीझ प्रकट करना।

मुँह में राम बगल में छुरी – प्रत्यक्ष में हितकर, परोक्ष में हानिकारक |

मुँह फिर जाना – मतलब समाप्त हो जाना।

मुँह पर नाक न होना – निर्लज्ज होना।

मूँछ नीची होना – प्रतिष्ठा का हनन ।

मरी गाय बामन को दान – किसी को बेकार चीज देना।

मन के लड्डू खाना – व्यर्थ की आशा में प्रसन्न रहना ।

मन की मन में रखना – व्यक्त न करना ।

मीठी छुरी चलाना – विश्वासघात करना ।

म्याऊँ का ठौर पकड़ना – खतरे में पड़ना।

मिट्टी के माधो – निरा मूर्ख ।

मिट्टी के मोल बिकना – अत्यधिक सस्ता होना।

मेंढकी को जुकाम – अपनी औकात से ज्यादा नखरे ।

मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त – प्रमुख की अपेक्षा सहायकों का बढ़- चढ़कर हिस्सा लेना ।

मोतियों से मुँह भर देना – मालामाल कर देना।

युधिष्ठिर होना – सत्यप्रिय होना।

योगी था सो उठ गया आसन रही मभूत – पुराना गौरव समाप्त।

रुस्तम होना – अति बहादुर ।

रंगे हाथों पकड़ना – अपराध / गलत काम करते हुए पकड़ना

रंग जमाना – अत्यधिक प्रभावित करना।

रोंगटे खड़े हो जाना – डर जाना।

राई से पर्वत करना – तुच्छ बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना |

लाद दे, लदा दे, लाद के पहुँचा दे – सब कार्य दूसरे ही कर दे |

लूट में चटखा नफा – मुफ्त में जो मिले वही फायदा।

लकड़ी के बल बन्दर नाचे – भयवश काम करना।

लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना ।

विधि का लिखा को मेटनहार – होनी होकर ही रहती है।

शौकीन बुढ़िया चटाई का लहँगा – विचित्र शौक।

सिक्का जमाना – प्रभाव स्थापित करना।

साढ़े साती लगना – विपत्ति घेरना।

सोना (कंचन) बरसना – बहुत अधिक लाभ होना।

सोने का मृग – विभ्रम / मायावी की स्थिति ।

सोने पे सुहागा – अत्यधिक गुणवान ।

हाथ बाँधना – मजबूर करना ।

हाथ जोड़ना – विनती करना ।

हाथ-पाँव फूलना – डर जाना।

हवाई किले बनाना – कल्पना की उड़ान भरना ।

हाथों-हाथ लेना – तेजी से बिक जाना।

हथियार डाल देना – हार स्वीकार कर लेना।

हौसला पस्त होना – उत्साह न रह जाना / उत्साह क्षीण होना |

हथेली खुजलाना – धन प्राप्ति की आशा ।

प्रतिशतता (Percentage)

               प्रतिशतता (Percentage)प्रतिशत(Percent)का शाब्दिक अर्थ प्रत्येक सैकड़ा या सौवां भाग होता है। अर्थात प्रतिशत(Percent)

 एक भिन्न है जिसका हर हमेशा 100 होता है। भिन्न का अंश प्रतिशत(Percent)की दर कहलाता है। इसे सामान्यतः % चिह्न द्वारा दर्शाया जाता है।

उदाहरणस्वरूप, 20 प्रतिशत का अर्थ होता है किसी वस्तु का 100 बराबर भाग करके 20 भाग लेना।

यदि कोई व्यक्ति अपनी आय का 50 प्रतिशत(Percent)बचाता है तो इसका अर्थ है कि वह अपने प्रत्येक 100 रु. पर 50 रु. बचाता है। यदि  व्यक्ति की आय 1000 रु. है तो वह 1000 x = 500 रु. बचाता है।

प्रतिशत का भिन्न में परिवर्तन(conversion of percentage to fraction)

उदाहरणार्थ प्रश्न देखें (See example question)

प्रश्न: (Question:) 50 प्रतिशत(Percent) के बराबर भिन्न का मान कितना होगा?

हल: (Plough:)  50% = =>

प्रतिशत(Percent) को भिन्न में बदलने के लिए 100 से भाग देकर प्रतिशत(Percent)चिह्न हटा लिया जाता है।

प्रश्न: (Question:)को प्रतिशत(Percent)में बदलें।

हल: (Plough:)  x 100% ⇒25%

भिन्न को प्रतिशत(Percent)में बदलने के लिए 100 से गुणा करके प्रतिशत(Percent)का चिह्न लगाते हैं।

उदाहरणार्थ प्रश्न देखें-

प्रश्न: (Question:) 520 का 75% कितना होगा?

हल: (Plough:)  520 का 75% = 520x- ⇒ 390

प्रश्न: (Question:) 70, 280 का कितना प्रतिशत(Percent) है?

हल: (Plough:)  x, y का  % होगा।

इसलिए 70, 280 का % =  ⇒25%

प्रश्न: (Question:) एक आदमी की आय 6500 रु. से बढ़कर 7800 रु. हो जाती है। आदमी की आय में कितने प्रतिशत(Percent)की वृद्धि हुई?

हल: (Plough:)  प्रतिशत(Percent) वृद्धि =  × 100

आय में वृद्धि = (7800 – 6500)

                         = 1300 रु.

आय में प्रतिशत(Percent) वृद्धि  × 100% ⇒ 20%

अतः आदमी की आय में 20% की वृद्धि हुई।

प्रश्न: (Question:) रमेश के घर का किराया 2000 रु. से घटकर 1500 रु. है जाता है।

घर के किराये में प्रतिशत(Percent) कमी कितनी हुई?

हल: (Plough:)  प्रतिशत(Percent) कमी =  x 100

किराये में कमी = (2000-1500) रु. = 500 रु.

प्रतिशत(Percent) कमी =  ×100% ⇒ 25%

अतः रमेश के घर के किराये में 25% की कमी हुई।

यदि A की आय B से x प्रतिशत(Percent) अधिक है, तो B की आय A

से   प्रतिशत(Percent) कम होगी।

‘उदाहरणार्थ प्रश्न देखें –

प्रश्न: (Question:) राम की आय श्याम की आय से 45% अधिक है तो श्याम की आय राम की आय से कितने प्रतिशत(Percent) कम है?

हल: (Plough:)  अभीष्ट प्रतिशत(Percent) =  × 100

=  = 31.03%

अतः श्याम की आय राम की आय से 31.03% कम होगी।

इसी प्रकार यदि A की आय B की आय से x प्रतिशत(Percent) कम है, तो

B की आय A से   प्रतिशत(Percent) अधिक होगी।

उदाहरणार्थ प्रश्न देखें-

प्रश्न: (Question:) यदि चीनी के मूल्य में 20% की बढ़ोतरी करने पर बिक्री में 25% कमी हो जाती है, तो चीनी से आय में कितने प्रतिशत(Percent) की वृद्धि  या कमी होगी?

हल: (Plough:)  यदि किसी वस्तु के मूल्य में x% की वृद्धि तथा उसके बाद

% की कमी की जाए तो प्रतिशत(Percent) परिवर्तन = x -y-  

{ धनात्मक तो वृद्धि } (positive then increase)

{ ऋणात्मक तो कमी (negative then decrease)

= 25 – 20 –  = 25 – 20 – 5

=25-25=0

अतः आय में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

ब्लू कार्बन क्या है?

ब्लू कार्बन क्या है?

A. महासागरों और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों द्वारा प्रगृहीत कार्बन

B. वन जैव मात्रा (बायोमास) और कृषि मृदा में प्रच्छादित कार्बन

C. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में अंतर्विष्ट कार्बन

D. वायुमंडल में विद्यमान कार्बन

What is blue carbon?

A. Carbon captured by oceans and coastal ecosystems

B. Carbon sequestered in forest biomass and agricultural soils

C. Carbon contained in petroleum and natural gas

D. Carbon present in atmosphere

Answer: A

भट्टी तेल (फर्नेस ऑयल)

भट्टी तेल (फर्नेस ऑयल) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  1. यह तेल परिष्करणियों (रिफाइनरी) का एक उत्पाद है।
  2. कुछ उद्योग इसका उपयोग ऊर्जा (पावर) उत्पादन के लिए करते हैं।
  3. इसके उपयोग से पर्यावरण में गंधक का उत्सर्जन होता है।

           उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?

A. केवल 1 और 2

B. केवल 2 और 3

C. केवल 1 और 3

D. 1, 2 और 3

With reference to furnace oil, consider the following statements :

  1. It is a product of oil refineries.
  2. Some industries use it to generate power.
  3. Its use causes sulphur emissions into environment.

Which of the statements given above are correct?

A. 1 and 2 only

B. 2 and 3 only

C. 1 and 3 only

D. 1, 2 and 3

ताम्र प्रगलन संयंत्रों

ताम्र प्रगलन संयंत्रों के बारे में चिन्ता का कारण क्या है?

  1. वे पर्यावरण में कार्बन मोनोक्साइड को घातक मात्राओं में निर्मुक्त कर सकते हैं।
  2. ताम्रमल (कॉपर स्लैग) पर्यावरण में कुछ भारी धातुओं के निक्षालन (लीचिंग) का कारण बन सकता है।
  3. वे सल्फर डाइऑक्साइड को एक प्रदूषक के रूप में निर्मुक्त कर सकते हैं।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए ।

A. केवल 1 और 2

B. केवल 2 और 3

C. केवल 1 और 3

D. 1, 2 और 3

Why is there a concern about copper smelting plants?

  1. They may release lethal quantities of carbon monoxide into environment.
  2. The copper slag can cause the leaching of some heavy metals into environment.
  3. They may release sulphur dioxide as a pollutant.

Select the correct answer using the code given below.

A. 1 and 2 only

B. 2 and 3 only

C. 1 and 3 only

D. 1, 2 and 3

R2 व्यवहार संहिता

निम्नलिखित में से किसके अंगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘R2 व्यवहार संहिता (R2 कोड ऑफ प्रैक्टिसेज)’ साधन उपलब्ध करती है?

A. इलेक्ट्रॉनिकी पुनर्चक्रण उद्योग में पर्यावरणीय दृष्टि से विश्वसनीय व्यवहार

B. रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्र भूमि’ का पारिस्थितिक प्रबंधन

C. निम्नीकृत भूमि पर कृषि फसलों की खेती का संधारणीय व्यवहार

D. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में ‘पर्यावरणीय प्रभाव आकलन’

‘R2 Code of Practices’ constitutes a tool available for promoting the adoption of

A. environmentally responsible practices in electronics recycling industry

B. ecological management of ‘Wetlands of International Importance’ under the Ramsar Convention

C. sustainable practices in the cultivation of agricultural crops in degraded lands

D. ‘Environmental Impact Assessment’ in the exploitation of natural resources

Answer: A

अंतिम उधारदाता (लेंडर ऑफ लास्ट रिसॉर्ट)

भारत में, ‘अंतिम उधारदाता (लेंडर ऑफ लास्ट रिसॉर्ट)’ के रूप में केन्द्रीय बैंक के कार्य में सामान्यतः निम्नलिखित में से क्या सम्मिलित है/है?

  1. अन्य स्रोतों से ऋण प्राप्ति में विफल होने पर व्यापार एवं उद्योग निकार्यों को ऋण प्रदान करना
  2. अस्थायी संकट के समय बैंकों के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना
  3. बजटीय घाटों के वित्तीयन के लिए सरकारों को ऋण देना

 नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

A. 1 और 2

B. केवल 2

C. 2 और 3

D. केवल 3

In India, the central bank’s function as the lender of last resort’ usually refers to which of the following?

  1. Lending to trade and industry bodies when they fail to borrow from other sources
  2. Providing liquidity to the banks having a temporary crisis
  3. Lending to governments to finance budgetary deficits

Select the correct answer using the code given below.

A. 1 and 2

B. 2 only

C. 2 and 3

D. 3 only

Answer: B

‘वॉटरक्रेडिट’ के संदर्भ में

‘वॉटरक्रेडिट’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में कार्य के लिए सूक्ष्म वित्त साधनों (माइक्रोफाइनेंस टूल्स) को लागू करता है।
  2. यह एक वैश्विक पहल है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक के तत्त्वावधान में प्रारंभ किया गया है।
  3. इसका उद्देश्य निर्धन व्यक्तियों को सहायिकी के बिना अपनी जल-संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समर्थ बनाना है।

 उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

A. केवल 1 और

B. केवल 2 और 3

C. केवल 1 और 3

D. 1, 2 और 3

With reference to WaterCredit’, consider the following statements:

  1. It puts microfinance tools to work in the water and sanitation sector.
  2. It is a global initiative launched under the aegis of the World Health Organization and the World Bank.
  3. It aims to enable the poor people to meet their water needs without depending on subsidies.

Which of the statements given above are correct?

A. 1 and 2 only

B. 2 and 3 only

C. 1 and 3 only

D. 1, 2 and 3

Answer: C

डीमैट खातों के माध्यम से

भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. खुदरा निवेशक डीमैट खातों के माध्यम से प्राथमिक बाजार में ‘राजकोष बिल (ट्रेजरी बिल)’ और ‘भारत सरकार के ऋण बॉन्ड’ में निवेश कर सकते हैं।
  2. ‘बातचीत से तय लेनदेन प्रणाली-ऑर्डर मिलान (निगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-ऑर्डर मैचिंग)’ भारतीय रिज़र्व बैंक का सरकारी प्रतिभूति व्यापारिक मंच है।
  3. ‘सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज लिमिटेड’ का भारतीय रिज़र्व बैंक एवं बम्बई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तन किया जाता है।

           उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/हैं?

A. केवल 1

B. 1 और 2

C. केवल 3

D. 2 और 3

With reference to India, consider the following statements:

  1. Retail investors through demat account can invest in ‘Treasury Bills’ and ‘Government of India Debt Bonds’ in primary market.
  2. The Negotiated Dealing System-Order Matching’ is a government securities trading platform of the Reserve Bank of India.
  3. The ‘Central Depository Services Ltd.’ is jointly promoted by the Reserve Bank of India and the Bombay Stock Exchange.

Which of the statements given above is/are correct?

A. 1 only

B. 1 and 2

C. 3 only

D. 2 and 3